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तिरुपति बालाजी मंदिर 20 मार्च से बंद है, लेकिन अन्न प्रसाद जारी, यहां रोज 1.40 लाख पैकेट भोजन जरूरतमंदों के लिए तैयार हो रहा

  • तिरुपति ट्रस्ट ने आंध्र के 13 जिलों को एक-एक करोड़ रुपए दिए गरीबों और मजदूरों के भोजन के लिए 
  • पशुओं और स्ट्रीट डॉग्स के लिए भी दो वक्त का खाना दे रहा है मंदिर 
  • 2000 सालों में पहली बार इतने दिन भक्तों से दूर हैं भगवान
नितिन आर. उपाध्याय

नितिन आर. उपाध्याय

Apr 25, 2020, 01:45 PM IST

आंध्र प्रदेश की तिरुमाला पहाड़ियों पर बसे श्री वैंकटेश तिरुपति बालाजी मंदिर पर इन दिनों सन्नाटा है। आम दिनों में यहां रोजाना 70 से 80 हजार लोग दर्शन करने आते हैं। देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक तिरुपति में अब भी कुछ पुजारी रोज होने वाली पारंपरिक पूजाएं कर रहे हैं। लेकिन, श्रद्धालुओं की लंबी कतारें नहीं हैं। कोरोनावायरस के चलते मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए जरू बंद हुए लेकिन एक और परंपरा अब भी जारी है। यहां प्रतिदिन बनने वाला अन्न अन्न प्रसादम् पहले की तरह जारी है।

लॉकडाउन के कारण जिन गरीबों को भोजन नहीं मिल पा रहा है, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् (टीटीडी) ट्रस्ट उन्हें भोजन उपलब्ध करा रहा है। सिर्फ इंसान ही क्यों, यहां  पशुओं के लिए भी भोजन व्यवस्था की गई है। 

प्रशासन को सहायता

केवल तिरुपति ही नहीं, आसपास के एक दर्जन जिलों में मंदिरों ने प्रशासन को भोजन व्यवस्था के लिए पैसा दिया है। ट्रस्ट ने 13 जिलों के लिए 13 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। रोज सुबह और शाम भोजन के 70 हजार पैकेट बांटे जा रहे हैं। करीब 1 लाख 40 हजार पैकेट रोज तैयार किए जा रहे हैं। यह सिलसिला 28 मार्च से जारी है। अब तक 37 लाख से ज्यादा पैकेट बांटे जा चुके हैं। मंदिर में 20 मार्च से श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद है। ट्रस्ट के एक्जिक्यूटिव ऑफिसर अनिल कुमार सिंघल के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के एक दर्जन जिलों में श्रीवारि अन्न प्रसादम् योजना के तहत भोजन वितरीत किया जा रहा है। ट्रस्ट की प्राथमिकता ऐसे भिक्षुकों और दिहाड़ी मजदूरों को भोजन उपलब्ध कराना है, जो लॉकडाउन के कारण आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या उन मजदूरों की है जो दूसरे राज्यों के रहने वाले हैं। 

36 दिनों से तिरुपति मंदिर सूना है। आम दिनों में यहां रोजाना 70 से 80 हजार श्रद्धालु आते हैं। 20 मार्च से यहां प्रवेश बंद है। 
  • दो हजार साल में पहली बार ऐसी स्थिति 

मंदिर के दो हजार साल के इतिहास में संभवतः पहली बार ऐसा मौका आया है, जब इतने लंबे समय के लिए श्रद्धालुओं का प्रवेश रोका गया हो। 128 साल पहले 1892 में दो दिन के लिए मंदिर बंद हुआ था। हालांकि, उसकी वजह मंदिर के रिकॉर्ड में नहीं है। 3 मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही मंदिर खुलने के आसार हैं। मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अन्न प्रसाद की व्यवस्था हमेशा होती है। आम दिनों में भी यहां हर रोज 70 हजार लोगों के लिए प्रसाद बनता है। 

अन्न प्रसादम् के लिए दो शिफ्टों में करीब 750 कर्मचारी रोज काम कर रहे हैं। दो जगहों पर ये भोजन तैयार किया जा रहा है। एक शिफ्ट में 70 हजार पैकेट तैयार होते हैं। 
  • 750 लोग कर रहे हैं काम 

श्रीवारि अन्न प्रसादम् के लिए 750 कर्मचारी दो शिफ्ट में काम कर रहे हैं। एक शिफ्ट में 70 हजार पैकेट बनाए जा रहे हैं। सुबह 3 से 11 बजे तक और फिर दोपहर 1 से रात 8 बजे तक दो शिफ्ट में पैकेट बनाए जा रहे हैं। पहले ये व्यवस्था 3 मई तक के लिए थी। लेकिन, अब इसे 25 अप्रैल तक कर दिया गया है।  

तिरुपति के स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाते तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् ट्रस्ट के कर्मचारी। 
  • इंसानों के साथ जानवरों के लिए भी 

तिरुपति ट्रस्ट ने जरूरतमंद लोगों के साथ ही मवेशियों और स्ट्रीट डॉग्स के लिए भी भोजन व्यवस्था की है। मवेशियों के लिए लगभग तीन टन भोजन सामग्री जुटाई गई है। ये व्यवस्था 1 अप्रैल से जारी है। 

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