- परशुराम और कर्ण का प्रसंग, कर्ण ने विद्या पाने के लिए परशुराम से बोला था झूठ
दैनिक भास्कर
Apr 26, 2020, 01:53 PM IST
रविवार, 26 अप्रैल को परशुराम जयंती है। इस अवसर पर जानिए परशुराम और कर्ण से जुड़ा एक प्रसंग। इस प्रसंग की सीख यह है कि हमें कभी भी झूठ बोलकर विद्या हासिल नहीं करनी चाहिए। महाभारत के अनुसार परशुराम ने सारी पृथ्वी कश्यप ऋषि को दान कर दी। वे अपने सारे अस्त्र-शस्त्र भी ब्राह्मणों को ही दान कर रहे थे। कई ब्राह्मण उनसे शक्तियां मांगने पहुंच रहे थे। द्रौणाचार्य ने भी उनसे कुछ शस्त्र लिए। तभी कर्ण को भी ये बात पता चली। कर्ण ब्राह्मण नहीं था, लेकिन परशुराम जैसे योद्धा से शस्त्र लेने का अवसर वो गंवाना नहीं चाहता था।
कर्ण को एक युक्ति सूझी, उसने ब्राह्मण का वेश बनाकर परशुराम से भेंट की। उस समय तक परशुराम अपने सारे शस्त्र दान कर चुके थे। फिर भी कर्ण की सीखने की इच्छा को देखते हुए, उन्होंने उसे अपना शिष्य बना लिया। कई दिव्यास्त्रों का ज्ञान भी दिया।
एक दिन दोनों गुरु-शिष्य जंगल से गुजर रहे थे। परशुराम को थकान महसूस हुई। उन्होंने कर्ण से कहा कि वे आराम करना चाहते हैं। कर्ण एक घने पेड़ के नीचे बैठ गया और परशुराम उसकी गोद में सिर रखकर सो गए। कर्ण उन्हें हवा करने लगा। तभी कहीं से एक बड़ा कीड़ा आया और उसने कर्ण की जांघ पर डंक मारना शुरू कर दिया।
कर्ण को दर्द हुआ, लेकिन गुरु की नींद खुल गई तो उसके सेवा कर्म में बाधा होगी, यह सोच कर वह चुपचाप डंक की मार सहता रहा। कीड़े ने बार-बार डंक मारकर कर्ण की जांघ को बुरी तरह घायल कर दिया। उसकी जांघ से खून बहने लगा, खून की छोटी सी धारा परशुराम को लगी तो वे जाग गए। उन्होंने कीड़े को हटाया, फिर कर्ण से पूछा कि तुमने उस कीड़े को हटाया क्यों नहीं।
उसने कहा मैं थोड़ा भी हिलता तो आपकी नींद खुल जाती, मेरा सेवा धर्म टूट जाता। ये अपराध होता। परशुराम ने तत्काल समझ लिया। उन्होंने कहा इतनी सहनशक्ति किसी ब्राह्मण में नहीं हो सकती। तुम जरूर कोई क्षत्रिय हो। कर्ण ने अपनी गलती मान ली। परशुराम ने उसे शाप दिया कि जब उसे इन दिव्यास्त्रों की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, वो इसके प्रयोग की विधि भूल जाएगा। ऐसा हुआ भी, जब महाभारत युद्ध में कर्ण और अर्जुन के बीच निर्णायक युद्ध चल रहा था, तब कर्ण कोई दिव्यास्त्र नहीं चला सका, सभी के संधान की विधि वो भूल गया।
इस प्रसंग से स्पष्ट होता है कि कभी झूठ का सहारा लेकर कोई काम नहीं करना चाहिए। अन्यथा परिणाम विपरीत ही आएंगे। झूठ कुछ समय का सुख दे सकता है, लेकिन ये भविष्य में मुसीबत अवश्य बनता है।