दैनिक भास्कर
Mar 09, 2020, 02:11 PM IST
लाइफस्टाइल डेस्क. लाल रंग प्रेम का प्रतीक है, लेकिन यही लाल रंग जब ट्रैफिक सिग्नल पर होता है तो खतरे का संकेत माना जाता है। यह रंग ब्लड प्रेशर बढ़ाता है, इसलिए बेडरूम में आमतौर पर लाल रंग का इस्तेमाल करने से बचते हैं। हालांकि जब कार्यक्षेत्र की बात आती है, तो ऑफिस आदि में लाल रंग का इस्तेमाल प्रदर्शन को सुधारता है। लेकिन बात जब पेट पूजा की हो तो यही रंग भूख बढ़ा देता है। रंगों की दुनिया बहुत अलग और विस्तृत है। समय, परिस्थिति और भौगोलिक परिवेश के हिसाब से भी रंगों के प्रति हमारा दिमाग प्रतिक्रिया देता है। रंग हमारे तंत्रिका तंत्र पर गहरा असर डालते हैं। कुछ रंग रक्त संचार बढ़ा देते हैं, तो किन्हीं रंगों से हमें सुकून मिलता है। ये हमारा मूड और हमारा निर्णय तक बदल देते हैं। कुछ रंगों का संबंध हमारे ब्लड प्रेशर, मेटाबॉलिज़्म और आंखों से भी है।
रंग किसी के व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ कहते हैं। लेखक वुल्फिंग वॉन के अनुसार अगर कोई व्यक्ति सिर्फ काले वस्त्रों में रहना और काले कपड़ों में ही बाहर जाना पसंद करता है, तो इसका मतलब है कि वह व्यक्ति खुद को सुरक्षित रखना चाहता है और अपने बारे में कुछ बताना नहीं चाहता। रंग हमारे स्वास्थ्य, स्वभाव और मनोविज्ञान के बारे में बहुत कुछ कहते हैं। बाजार इस मनोविज्ञान को समझता है और उस हिसाब से चीजे तय करता है। होली के उपलक्ष्य पर साइकोलॉजिस्ट एवं साइकोथैरेपिस्ट, डॉ. अनामिका पापडीवाल से जानें रंगों का मनोविज्ञान।
रंग और ब्रांड्स का नाता
गुलाबी : रोमांस और सहृदयता के लिए इस्तेमाल
- यह रंग कोमलता और मासूमियत का भी प्रतीक है। यह पारंपरिक तौर पर रोमांस और नारीवाद के लिए दर्शाया जाता है। इसलिए सौंदर्य सामग्री वाली कई कंपनियां अपने उत्पादों में गुलाबी रंग का इस्तेमाल करती हैं। बच्चों के कई ब्रांड्स में भी इसका इस्तेमाल होता है।
नीला : शांति, गहराई और विश्वास की निशानी
- यह उपभोक्ताओं के बीच विश्वास और सुरक्षा का भाव देता है। इसीलिए कई बड़े बैंक, वित्तीय संस्थाएं, बिजनेस अपने लोगो और नाम में नीले का इस्तेमाल प्रमुखता से करते हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, टाटा, एलआईसी, इंटेल। इस सूची में और भी कई नाम हैं।
नारंगी : आनंद, स्वास्थ्य और प्रणय तथा प्रसन्नता का प्रतीक
- मानसिक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होता है। मस्तिष्क व शरीर के बीच संतुलन स्थापित करने में भी मुख्य भूमिका अदा करता है। यह यौवन की निशानी के तौर पर देखा जाता है। कई वित्तीय संस्थाओं, सॉफ्ट ड्रिंक्स आदि की ब्रांडिंग में इस रंग का इस्तेमाल होता है।
पीला : ऊर्जा, प्रसन्नता और सकारात्मकता से जुड़ा
- यह सूर्य का भी रंग है, इसलिए रोशनी और उजास को दर्शाता है। खुशी को प्राथमिक मानकर कई ब्रांड्स जैसे नूडल्स, अमूल बटर पैकेजिंग में पीले रंग का प्रयोग करते हैं। कई स्नैक्स और फूड कंपनियां पीले के साथ लाल रंग का इस्तेमाल भी करती हैं।
लाल : प्रेम, उत्साह, उत्तेजना, जल्दबाज़ी और भूख का प्रतीक
- लाल रंग ऊर्जा और शक्ति का भी प्रतीक है। धार्मिक कार्यों में इसलिए इसे प्राथमिक और पवित्र माना गया है। भूख के साथ-साथ एनर्जी का प्रतीक होने के कारण कई बड़ी फूड कंपनियां जैसे पिज्जा हट, केएफसी, मैकडॉनल्ड अपने ब्रांड नेम में लाल रंग का प्रयोग करती हैं।
हरा : नैसर्गिकता, सुकून और ताज़गी का प्रतीक
- प्रकृति से जुड़ा हुआ रंग होने के कारण प्राकृतिक और जैविक उत्पादों के लिए इस रंग का इस्तेमाल किया जाता है। गहरा हरा रंग रुपए-पैसे दर्शाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। यह सफ़ाई भी दर्शाता है। हैंडवॉश-सोप आदि के कई ब्रांड्स हरा रंग इस्तेमाल करते हैं।
व्यक्तित्व से भी जुड़ा होता है आपका पसंदीदा रंग
रंग | नकारात्मक पहलू | व्यक्तित्व |
लाल | गुस्सैल | साहसी, शक्तिशाली, ऊर्जा-उत्साह से लबरेज़ |
नारंगी | जल्दी हथियार डालने वाले, अपरिपक्व | आरामपसंद, फूडी, उत्साही, जज़्बे से भरे हुए |
ग्रे | ऊर्जा व आत्मविश्वास का अभाव | मनोवैज्ञानिक रूप से उदासीन |
नीला | भावनाओं व दोस्ताना रवैये का अभाव | इंटेलिजेंट, संवाद में निपुण, विश्वास से भरे हुए |
बैंगनी | अंतर्मुखी, हीनभावना से भरे | आस्थावान, सत्यवादी, जागरूक, दूरदृष्टि |
सफेद | रूखा स्वभाव, दोस्ती में अविश्वास | सफ़ाई पसंद, सादगी पसंद, स्पष्टवादी, सुलझे हुए |
पीला | भावनात्मक रूप से अस्थिर | सकारात्मक, आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी, रचनात्मक |
गुलाबी | तनाव में रहने वाले | शांत हृदय, प्रेम पसंद |
काला | दुखी रहने वाले, देर से फैसले लेने वाले | सुरक्षित और प्लानिंग से काम करने वाले |
हरा | नीरस, लेट-लतीफ़, कमज़ोर | शांति-सुकून प्रेमी, आपाधापी से दूर रहने वाले |
ब्राउन | हास्य की कमी, उदास | गंभीर, विश्वसनीय, मददगार |
रंगों का मनोविज्ञान
- 42% भारतीय सफेद रंग की कार को पसंद करते हैं। उसके बाद ग्रे और सिल्वर पसंद करते हैं।
- 60% लोगों का पसंदीदा रंग नीला होता है।
- 40% रीडिंग स्किल बेहतर होती है रंगों से।
- 65% तक सीखने की क्षमता का विस्तार होता है रंगों से।
- 73% तक समझ बढ़ जाती है विषय की, रंगों के इस्तेमाल से।
- 42% तक ज्यादा ध्यान जाता है रंगबिरंगे विज्ञापनों पर, बजाय ब्लैक एंड व्हाइट विज्ञापनों के।
- 84.7 % उपभोक्ता कोई विशेष उत्पाद खरीदने के पीछे उसके रंग को प्रमुख वजह मानते हैं।