दैनिक भास्कर
Mar 11, 2020, 06:57 PM IST
स्टोरी इनपुट-बीबीसी
लाइफस्टाइल डेस्क. कोरोना का कहर दुनियाभर में जारी है। इससे अबतक लगभग 4368 मौतें हो चुकी हैं, वहीं 1.21 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं और बच्चों में कोरोनावायरस का असर कम दिख रहा है। मृतकों के आंकड़ों पर नजर डालें तो इसमें में महिलाओं और बच्चों की संख्या कम है। चाइनीज सेंटर्स ऑफ डिजीज कंट्रोल ने इस पर अध्ययन किया जिसमें सामने आया कि कोरोनावायरस से संक्रमित जिन 44 हजार लोगों पर ये अध्ययन किया गया उनमें से 2.8% पुरुषों की और 1.7% महिलाओं की मौत हुई है। वहीं उम्र की बात करें तो जहां वायरस से संक्रमित 0.2% बच्चे और किशोरों की मौत हुई हैं वहीं 80 साल से ज्यादा उम्र के 15% लोगों की मौत हुई है।
क्या इन आंकड़ों से यह समझा जाए कि महिलाओं और बच्चों को कोरोनावायरस होने का डर कम है। जानिए एक्सपर्ट्स की राय….
1. संक्रमण से लड़ने की शक्ति
- एक वजह तो ये हो सकती है कि महिलाओं और बच्चों में संक्रमण कम होता है या उनका शरीर इस वायरस से बेहतर तरीके से लड़ सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर से डॉक्टर भरत पनखनिया कहते हैं, “अमूमन जो भी नया वायरस आता है उससे हर कोई संक्रमित हो जाता है, ये बात सबसे महत्वपूर्ण है। इसका कारण ये है कि किसी में भी उस वायरस से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती।
- हालांकि, जब कोई वायरस फैलना शुरू होता है तो बच्चे उससे कम संक्रमित होते हैं। किंग्स कॉलेज लंदन के डॉक्टर नथालिए मैकडरमेट बताते हैं, “बच्चों में संक्रमण कम होने के पीछे एक कारण ये हो सकता है कि माता-पिता बच्चों को ज्यादा सुरक्षित रखते हैं। उन्हें संक्रमण के खतरे से बचाते हैं।
2. महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कम
- आपको ये जानकर हैरानी होगी कि कोरोनावायरस से होने वाली मौतों में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कम है। हालांकि, वैज्ञानिक इससे बिल्कुल हैरान नहीं हैं। फ्लू सहित अन्य संक्रमणों में भी ऐसा ही देखने को मिलता है। इसकी वजह ये है कि अपनी लाइफस्टाइल के कारण पुरुष का स्वास्थ्य महिलाओं के मुकाबले खराब होता है। उनके लाइफस्टाइल में धूम्रपान और शराब महिलाओं के मुक़ाबले ज़्यादा शामिल होते हैं।
- डॉक्टर मैकडरमेट कहते हैं, “धूम्रपान आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है और ये कोई अच्छी बात नहीं है।” ये समस्या चीन के मामले में ज़्यादा हो सकती है जहां एक आंकड़े के मुताबिक 52 प्रतिशत पुरुष और सिर्फ तीन प्रतिशत महिलाएं धूम्रपान करते हैं। लेकिन, पुरुषों और महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण को लेकर किस तरीके से प्रतिक्रिया करती है ये अंतर भी मायने रखता है।
- यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंगलिया में प्रोफेसर पॉल हंटर कहते हैं, “महिलाओं में आंतरिक रूप से पुरुषों से अलग प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं होती हैं, महिलाओं को ऑटो-इम्यून डिजीजिस (प्रतिरक्षा तंत्र के अति सक्रिय होने के कारण होने वाली बीमारियां) होने का ज़्यादा खतरा होता है और इस बात के काफी प्रमाण भी हैं कि महिलाएं फ्लू के टीकों के लिए बेहतर एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं।
3. गर्भावस्था में कितना खतरा
- आधिकारिक रूप से इसका जवाब ना है, लेकिन विशेषज्ञों में इसे लेकर संदेह है। गर्भावस्था में शरीर में बहुत कुछ होता है। जैसे इस दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो जाती है और इससे शरीर भ्रूण को गर्भाशय में स्वीकार कर पाता है। लेकिन, इससे महिलाओं को संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है। समान उम्र की अन्य महिलाओं के मुकाबले गर्भवती महिलाओं की फ्लू से मौत होने की आशंका ज़्यादा होती है। ब्रिटेन की सरकार का कहना है कि इस बात के “कोई स्पष्ट संकेत नहीं है” कि गर्भवती महिलाएं कोरोनवायरस से ज़्यादा गंभीर रूप से प्रभावित होती हैं।
- प्रोफेसर हंटर कहते हैं, “मुझे इस पर पूरी तरह भरोसा नहीं है। यह सिर्फ नौ गर्भवती महिलाओं से मिले आंकड़ों पर आधारित है इसलिए मुझे ये कहना ठीक नहीं लगता कि सबकुछ ठीक है। अगर मेरी पत्नी की बात करें तो मैं उन्हें सावधानी बरतने, हाथ धोने और ध्यान रखने के लिए कहूंगा।”
4. बच्चों में कोरोना वायरस
- बच्चों को कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है। अभी तक का सबसे कम उम्र का मामला, एक दिन के बच्चे का है। बच्चों में कोविड-19 के लक्षणों के बारे में बहुत कम जानकारी प्राप्त हुई है लेकिन लक्षण हल्के-फुल्के होते हैं जैसे बुख़ार, नाक बहना और खांसी। छोटे बच्चे भी इससे बीमार हो सकते हैं। फ्लू के मामले में भी यही होता है जिसमें पांच साल से कम उम्र (खासतौर पर दो साल से कम) के बच्चों को खतरा ज़्यादा होता है।
- डॉक्टर पनखनिया कहते हैं, “लोग उम्र बढ़ने पर ज़्यादा बीमार हो जाते हैं क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।” उम्रदराज़ लोगों में या पहले से ही कमजोर प्रतिरोधक क्षमता व गंभीर अस्थमा जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में ज़्यादा संक्रमण पाया गया है। उन्हें इसका ज़्यादा खतरा होगा लेकिन बच्चों में वायरस का असर हल्का ही पाया गया है।
5. बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर है?
- एक बच्चे और व्यस्क की प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। बचपन में हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली अपरिपक्व होती है और वो अति प्रतिक्रिया कर सकती है इसलिए बच्चों में बुख़ार होना सामान्य बात है। प्रतिरक्षा प्रणाली का अति सक्रिय होना भी ठीक नहीं है क्योंकि इससे शरीर के बाकी हिस्सों को नुकसान पहुंच सकता है। कोरोनावायरस के घातक होने का ये भी एक कारण है।
- डॉक्टर मैकडरमेट कहते हैं, “आपको लगता है कि ये और बिगड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं होता। ये वायरस ऐसा कुछ जरूर करता है जिससे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली उत्तेजित नहीं होती लेकिन ये क्या करता है ये स्पष्ट नहीं है।” हालांकि, ये भी याद रखने वाली बता है कि बच्चों को लेकर इस बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है।