- अमावस्या और रविवार को नहीं तोड़ना चाहिए बिल्व के पेड़ से पत्तियां
दैनिक भास्कर
Apr 28, 2020, 10:33 AM IST
पूजा-पाठ में कई तरह की सामग्रियां भगवान को चढ़ाई जाती हैं। सभी देवी-देवताओं की पूजन सामग्रियों में अलग-अलग चीजों का विशेष महत्व है। शिव पूजा में बिल्व पत्र खासतौर पर शामिल किए जाते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार बिल्व पत्र का वृक्ष घर के बाहर या आसपास हो तो वास्तु के कई दोष दूर हो जाते हैं। आयुर्वेद में भी इस वृक्ष का महत्व बताया गया है। जानिए बिल्व पत्र से जुड़ी खास बातें…
कई दिनों तक चढ़ा सकते हैं बिल्व पत्र
शिवलिंग पर चढ़ाया गया बिल्व पत्र कई दिनों तक बासी नहीं माना जाता है। एक ही बिल्व पत्र को बार-बार धोकर फिर से पूजा में चढ़ाया जा सकता है। अभी देशभर में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन है, ऐसी स्थिति में रोज ताजे बिल्व पत्र मिलना मुश्किल है। इन हालातों में बिल्व पत्र कई दिनों तक उपयोग कर सकते हैं।
ध्यान रखें अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या और रविवार को बिल्व पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। इन वर्जित तिथियों पर बाजार से खरीदकर बिल्व पत्र शिवजी को चढ़ा सकते हैं। अगर इन तिथियों पर ताजे बिल्व पत्र न मिले तो पुराने पत्तों का उपयोग कर सकते हैं।
बिल्व वृक्ष है शिवजी का स्वरूप
शिवपुराण में बिल्व वृक्ष को शिवजी का ही स्वरूप बताया गया है। इसे श्रीवृक्ष भी कहते हैं। श्री देवी लक्ष्मी का एक नाम है। इस कारण बिल्व की पूजा से लक्ष्मीजी की कृपा भी मिलती है। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में देवी कात्यायनी वास करतीं हैं। इसी वजह से इस वृक्ष का पौराणिक महत्व काफी अधिक है।
घर में किस दिशा में लगाएं ये वृक्ष
बिल्व वृक्ष की वजह से घर में सकारात्मकता बनी रहती है। बिल्व का पौधे लगाना हो तो घर के उत्तर-पश्चिम कोण में लगाना शुभ रहता है। अगर उत्तर-पश्चिम कोण में लगाना संभव न हो तो इसे घर की उत्तर दिशा में भी लगाया जा सकता है।