
दैनिक भास्कर
Mar 16, 2020, 04:48 PM IST
हेल्थ डेस्क. क्या कोरोनावायरस का असर बच्चों और बुजुर्गों पर ज्यादा होगा या हर इंसान को मास्क पहनने की जरूरत है…? कोरोनावायरस को लेकर ऐसे तमाम सवाल लोगों के दिमाग और सोशल मीडिया में घूम रहे हैं। भास्कर ने दो एक्सपर्ट से जाने इन शंकाओं और सवालों के जवाब। सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएन अग्रवाल और एम्स की प्रोफेसर डॉ. नीलकमल कपूर ने बताया इन बातों में कितनी है सच्चाई…
भ्रांति-1 : कोरोनावायरस असर केवल बुजुर्गों या बच्चों पर ही होगा?
एक्सपर्ट : यह सच है कि बहुत छोटे बच्चों और 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों पर इसका ज्यादा असर हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कमजोर होती है। ऐसे में केवल कोरोना ही नहीं, अन्य बीमारियों का भी इन पर ज्यादा ख़तरा होता है। गर्भवती महिलाएं भी इसकी चपेट में जल्दी आ सकती हैं। जो व्यक्ति क्रोनिक यानी दीर्घकालीन बीमारियों से ग्रस्त है, यानी जिन्हें किडनी, लिवर, हृदय रोग संबंधी बीमारियां हैं, वे भी इससे जल्दी प्रभावित हो सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सामान्य व्यक्ति पूरी तरह सुरक्षित है। सामान्य फ्लू की तरह यह किसी को भी रोगग्रस्त कर सकता है। इसलिए सतर्कता रखें।
भ्रांति-2 : शराब पीने वालों को इसका खतरा नहीं है?
एक्सपर्ट: यह सोशल मीडिया में फैली हुई भ्रांति है। यह उस तथ्य की वजह से फैली है कि 60% से ज्यादा अल्कोहल में यह वायरस मर सकता है। लेकिन जो शराब पी जाती है, उसमें अल्कोहल की इतनी मात्रा नहीं होती। बल्कि ज्यादा शराब से लिवर कमजोर ही होगा जो वायरस को हमले के ज्यादा मौके देगा।
भ्रांति-3 : हर व्यक्ति को मास्क पहनना चाहिए
एक्सपर्ट : कोई भी वायरसग्रस्त व्यक्ति छींकता-खांसता है तो उससे फैली द्रव्य की बूंदों में ये वायरस हो सकते हैं। ये अधिकतम 5 से 6 फीट की दूरी तक असर करते हैं। इसलिए किसी भी तरह के फ्लू से ग्रस्त व्यक्ति को मास्क पहनना चाहिए या खांसते-छींकते समय मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए। इसके अलावा जो व्यक्ति ऐसे मरीजों की देखभाल में लगे हैं, उन्हें भी मास्क पहनना चाहिए। लेकिन हर व्यक्ति मास्क पहनें ही, यह जरूरी नहीं। बस, छींकने या खांसने वाले व्यक्ति से 5 से 6 फीट की दूरी रखें।
भ्रांति-4 : अगर नाक बह रही है तब भी यह कोरोना का लक्षण है?
एक्सपर्ट : कोरोनावायरस में पहले बुख़ार होता है। इसके बाद सूखी खांसी होती है और फिर एक हफ्ते बाद सांस लेने में परेशानी होती है। यानी बुखार के बाद सूखी खांसी इसका एक मुख्य लक्षण है। यह लक्षण सामने आते ही डॉक्टर से मिलें। गंभीर स्थिति में निमोनिया हो जाता है और फिर यह मौत का कारण बनता है। कोरोनावायरस में कफ नहीं होता और इसलिए नाक भी नहीं बहती। यह सामान्य फ्लू का लक्षण होता है, कोरोनावायरस का नहीं।
भ्रांति-5 :क्या चीन से आने वाले उत्पादों में भी कोरोनावायरस हो सकता है?
एक्सपर्ट: कोरोनावायरस या कोई भी अन्य वायरस ज्यादातर संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से ही फैलता है। इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम है कि चीन से भारत आ रहे हर सामान के साथ कोरोनावायरस भी यहां आ सकता है। हां, कोई संक्रमित व्यक्ति आपसे मिलता है और आपके किसी सामान को हाथ लगाता है या आपकी कुर्सी टेबल पर बैठता है तो उसे जरूर साफ करें, क्योंकि उसमें वायरस हो सकता है। ऐसी किसी अस्पताल या संदिग्ध जगहों पर जाने से बचें, जहां कोरोना से ग्रसित व्यक्ति मौजूद हों।
सवाल : क्या गर्मियों में कोरोनावायरस खत्म हो जाएगा?
एक्सपर्ट डॉ. नीलकमल कपूर: गर्मी बढ़ने पर सामान्य वायरस की तो ग्रोथ कम हो जाती है और एक तरह से गायब हो जाते हैं। लेकिन 2003 में इसी प्रकार के एक वायरस का संक्रमण गर्मी होने पर तेजी से फैला था। चूंकि कोरोनावायरस नया है और इस पर अध्ययन किए जा रहे हैं। इसलिए ईमानदारी की बात तो यह है कि अभी किसी को पक्के तौर पर कुछ भी नहीं मालूम कि गर्मियों में इसका व्यवहार क्या होगा।
एक्सपर्ट डॉ. पीएन अग्रवाल : तापमान बढ़ने से खासकर 38-40 डिग्री तापमान में वायरस की ग्रोथ कम हो जाती है और इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं कि कोरोनावायरस का असर भी गर्मी बढ़ने पर कम हो जाएगा। हालांकि फिर भी कुछ जगहों पर यह वायरस रह सकता है जो बाद में लोगों को संक्रमित कर सकता है।