- राजनाथ सिंह ने कहा- राष्ट्र इस कठिन समय में शहीदों के परिवारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है
- 15-16 जून की रात करीब 12 बजे, लद्दाख की गालवन वैली में भारत-चीन के सैनिकों में झड़प हुई थी
दैनिक भास्कर
Jun 17, 2020, 01:45 PM IST
नई दिल्ली. भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की गालवन घाटी में हुई झड़प के करीब 36 घंटे बाद सरकार की ओर से बयान आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि गालवन में सैनिकों को खोना बेहद परेशान करने वाला और दर्दनाक है। हमारे सैनिकों ने साहस और वीरता का प्रदर्शन किया और भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपरा को निभाते हुए अपने जीवन का बलिदान दिया। राष्ट्र उनकी बहादुरी और बलिदान को कभी नहीं भूलेगा।
In order to discuss the situation in the India-China border areas, Prime Minister @narendramodi has called for an all-party meeting at 5 PM on 19th June. Presidents of various political parties would take part in this virtual meeting.
— PMO India (@PMOIndia) June 17, 2020
राजनाथ ने कहा कि मेरी संवेदनाएं जान गंवाने वाले सैनिकों के परिवारों के साथ हैं। राष्ट्र इस कठिन समय में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। हमें भारत के सैनिकों की बहादुरी और साहस पर गर्व है।
सोमवार रात हुई थी हिंसक झड़प
15-16 जून की दरमियानी रात लद्दाख में 14 हजार फीट ऊंची गालवन वैली भारत और चीन के जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई। यह हमला पत्थरों, लाठियों और धारदार चीजों से किया गया। भारत के कमांडिंग अफसर समेत 20 जवान शहीद हो गए, 135 जख्मी है। 4 की हालत गंभीर है।
चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए
न्यूज एजेंसी ने बुधवार को सूत्रों के हवाले से कहा कि चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं, जिनमें यूनिट का कमांडिंग अफसर भी शामिल है। यह अफसर उसी चीनी यूनिट का था, जिसने भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प की।
चीन के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन
दिल्ली में चीनी दूतावास के बाहर स्वदेशी जागरण मंच के सदस्यों और कुछ पूर्व सैनिकों ने विरोध प्रदर्शन। इनकी मांग की थी सरकार चीन के खिलाफ कार्रवाई करे और चीनी उत्पादों को बहिष्कार किया जाए।पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को हिरासत में लिया।
गुजरात के अहमदाबाद में भी चीन के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पुतला जलाया गया। यहां पर कई चीनी उत्पादों को जलाया भी गया।