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चीनी शोधकर्ता का दावा, कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें पेट के बल लिटाना फायदेमंद

  • चीन में साउथवेस्ट यूनिवर्सिटी ने की रिसर्च, शोधकर्ताओं के मुताबिक; संक्रमण की गंभीर स्थिति में राहत मिलती है
  • रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, जब फेफड़ों पर सकारात्मक दबाव बढ़ता है तो उनका व्यवहार बदलता है

दैनिक भास्कर

Mar 25, 2020, 06:08 PM IST

हेल्थ डेस्क. कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। चीनी शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में बताया है कि ऐसे मरीजों को अगर उल्टा लिटाया जाए तो सांस लेना आसान हो जाता है। ऐसी स्थिति में पेट के बल लेट जाएं और मुंह को तकिए पर रखें। यह रिसर्च कोरोनावायरस के गढ़ वुहान में इस वायरस से जूझ रहे मरीजों पर की गई है। 

बदलता है फेफड़ों का व्यवहार
अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पिरेट्री एंड क्रिटकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित शोध के मुताबिक, वेंटीलेटर पर कोरोना पीड़ित का उल्टा लेटना फेफड़ों के लिए बेहतर है। चीन में साउथवेस्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता हैबो क्यू के मुताबिक, जब फेफड़ों पर सकारात्मक दबाव बढ़ता है तो उनका व्यवहार बदलता है। ऐसी स्थिति में मरीज राहत महसूस करता है।

वुहान में 12 कोरोना पीड़ितों पर हुई रिसर्च
वुहान के 12 कोरोना पीड़ितों पर यह रिसर्च की गई। रिपोर्ट में सामने आया कि नए कोरोनावायरस के मरीज एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम से जूझते हैं। जिन्हें मशीनों के जरिए ऑक्सीजन दी जाती है। चीन में भी कोरोना के जो मरीज भर्ती हुए वो भी इस सिंड्रोम से जूझ रहे थे। 

फरवरी में एक हफ्ते चली थी रिसर्च

यह रिसर्च एक हफ्ते तक चली थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि इलाज के दौरान मरीज के शरीर की पोजिशन का भी प्रभाव पड़ता है। गलत तरह से लेटने पर शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। वेंटिलेटर पर लेटे कोरोना पीड़ित मरीज का ऑक्सीजन लेवल, फेफड़ों का आकार और एयर-वे प्रेशर जांचा गया। रिसर्च में सामने आया कि 7 मरीज कम से कम एक बार ही सीने के बल लेटे थे (प्रोन पोजिशन) में लेटे थे। वहीं, तीन ऐेसे थे जो प्रोन पोजिशन में लेटे थे, उन्हें इक्मो भी दिया जा रहा था। इक्मो एक तरह का लाइफ सपोर्ट सिस्टम है। इसके अलावा तीन की मौत हो गई थी।

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