- महेंद्र सिंह धोनी ने कहा- भारत में ज्यादातर मौकों पर खिलाड़ी मानसिक परेशानी को लेकर कोच से बात नहीं करते
- भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने भी कहा- सिर्फ खेल ही नहीं, बल्कि जिंदगी में भी मानसिक स्वास्थ्य जरूरी
दैनिक भास्कर
May 07, 2020, 08:30 PM IST
मैदान पर हमेशा शांत रहने वाले भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी डर लगता है और वे भी दबाव महसूस करते हैं। धोनी ने कहा कि भारतीय क्रिकेटर भी मानसिक परेशानी पर बात करने से कतराते हैं। ऐसे में टीम के साथ हमेशा एक मेंटल कंडिशनिंग कोच रहना चाहिए।
धोनी ने पूर्व क्रिकेटर एस.बद्रीनाथ की मेंटल हेल्थ को लेकर काम करने वाली संस्था के ऑनलाइन सेशन में क्रिकेट, वॉलीबॉल, टेनिस के शीर्ष कोचों के साथ चर्चा के दौरान यह बात कही।
टीम के लिए कंडिशनिंग कोच जरूरी
इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा कि मेंटल कंडिशनिंग कोच अगर कुछ दिनों के लिए टीम के साथ जुड़ता है तो उसका ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा। क्योंकि तब वह कुछ दिनों के लिए खिलाड़ियों से अपने अनुभव साझा कर पाएगा। अगर वह टीम के साथ लगातार रहता है, तो समझ सकता है कि ऐसे कौन से क्षेत्र हैं, जो किसी खिलाड़ी के खेल पर असर डाल रहे हैं।
‘देश में मानसिक परेशानी को स्वीकार करना बड़ा मु्द्दा’
उन्होंने कहा कि भारत में आज भी मानसिक परेशानी को स्वीकार करना बड़ा मुद्दा है। खासतौर पर खिलाड़ियों के साथ ऐसा है। कोई भी वास्तव में यह नहीं कहता है कि, जब मैं बल्लेबाजी करने जाता हूं, तो पहली 5 से 10 गेंदे खेलते वक्त दिल की धड़कनें बहुत तेज हो जाती हैं। मुझे दबाव महसूस होता है, मुझे थोड़ा डर लगता है। हर कोई ऐसा महसूस करता है। लेकिन इसका सामना कैसे करना है, यह कोई नहीं बताता?
खिलाड़ी और कोच का रिश्ता अहम: धोनी
धोनी ने आगे कहा कि यह मामूली परेशानी है। लेकिन ज्यादातर मौकों पर खिलाड़ी कोच से इस बारे में बात नहीं करता है। खिलाड़ी और कोच का रिश्ता बहुत अहम होता है।
इस सेशन में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने मेंटल हेल्थ को लेकर कहा कि सिर्फ खेल ही नहीं, बल्कि जिंदगी में भी यह जरूरी है।