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कोरोना के चलते अमेरिका और ब्रिटेन में टेलिमेडिसिन का दौर शुरू, मरीज वॉइस और वीडियो कॉल करके डॉक्टर से ले रहे सलाह

  • लंदन में बदला इलाज का तरीका, डॉक्टर्स ने तैयार किए ‘डर्टी जोन’ और ‘हॉट हब’; ये सांस में तकलीफ और कोरोना के मरीजों के लिए बनाए गए हैं 
  • यूरोप के कई देशों में वर्चुअल मेडिसिन को सख्ती के साथ लागू किया गया है, ब्रिटेन में इस सुविधा से सोशल डिस्टेंसिंग भी मेनटेन हो रही है

दैनिक भास्कर

Apr 07, 2020, 06:44 AM IST

लंदन. अमेरिका के बाद ब्रिटेन में टेलिमेडिसिन  का दौर शुरू हो चुका है। अब कोरोना मरीज डॉक्टर की क्लीनिक के बाहर लम्बी कतार लगाकर नहीं बैठ रहे हैं। वे सीधे डॉक्टर को फोन कर रहे हैं, दवाओं से लेकर जरूरी सावधानी बरतने की जानकारी ले रहे हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी मरीज अपने लक्षण डॉक्टर को समझा पा रहे हैं। कोरोनावायरस के खौफ के बीच ब्रिटेन में भी शुरू हुई टेलिमेडिसिन की सुविधा सोशल डिस्टेंसिंग के दायरे को भी मेनटेन कर रही है। यूरोप के कई अन्य देशों में भी वर्चुअल मेडिसिन को सख्ती के साथ लागू किया जा रहा है। 

डॉक्टर्स के पास खुद के लिए समय नहीं
लंदन के जनरल प्रैक्टिसनर डॉ. सैम वैस्ले के कहते है, यह वो बदलाव है जिसकी उम्मीद अगले 10 साल में की जा रही थी जो एक हफ्ते में ही हो गया। पहले 95 फीसदी मरीज सीधे डॉक्टर से मिलते थे और अब ऐसा नहीं है। यूरोप में वर्चुअल मेडिसिन को सख्ती के साथ लागू किया गया है। ब्रिटेन में खासतौर पर फिजिशियंस पर वर्कलोड अधिक पड़ रहा है। उनसे पास खुद के लिए समय नहीं है।

मरीजों के लिए अलग-अलग जोन बने
स्थानीय लोगों का कहना है कि टेलिमेडिसन की सुविधा से समय बच रहा है। शोध संस्था किंग्स फंड के बेकी बेयर्ड मानते हैं कि इस महामारी के खत्म होने के बाद भी टेलिमेडिसिन का दौर जारी रहेगा। लंदन के हिस्सों में डॉक्टर्स ने डर्टी-जोन और क्लीन जोन तैयार किए हैं। डर्टी जोन ऐसे मरीजों के लिए है जो सांस की समस्या से जूझ रहे हैं, यहां ऐसे ही मरीजों की जांच की जा रही हैं। वहीं, क्लीन जोन में सामान्य मरीजों के लिए है। प्राइमरी हेल्थ वर्करों ने अपनी क्लीनिक को ‘हॉट हब’ में तब्दील किया है, जो पूरी तरह से कोरोना पीड़ितों के लिए काम रही है।

कोरियर से पहुंच रहे एक्सपायरी डेट के मास्क 
कोरोना के खौफ के बीच डॉक्टर्स खुद को भी बचाने की कोशिश में लगे हैं। कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जब कोरियर से मंगाए गए सर्जिकल मास्क सालों पुराने और एक्सपायरी डेट के निकले। यूरोप और ब्रिटेन में लॉकडाउन जारी है और बुजुर्गों को घर में रहने की लगातार सलाह दी जा रही है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डॉक्टर ऐसे मरीजों तक पहुंच रहे हैं। 

डिजिटल अपॉइंटमेंट की 100 फीसदी तक मांग बढ़ी
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक, कोरोना की महामारी से पहले 340 मिलियन में से महज 1 फीसदी लोग ही वीडियो अपॉइंटमेंट लेते थे। लेकिन अब देश में हजारों क्लीनिक में डिजिटल अपॉइंटमेंट के लिए फोन आ रहे हैं। एक टेलिमेडिसन कंपनी के डॉक्टर का कहना है, महामारी के बाद एक हफ्ते में 70 फीसदी अपॉइंटमेंट की मांग बढ़ी। वहीं एक अन्य कंपनी का कहना है, जैसे-जैसे वायरस का संक्रमण बढ़ा एक हफ्ते में 100 फीसदी मांग का इजाफा हुआ।

मांग पूरी करना बड़ी चुनौती
जर्मनी में वर्चुअल कंसल्टेशन के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं। मरीजों की प्राइवेसी से जुड़ा कोई भी डाटा लीक नहीं हो सकता है। यूरोपियन कमीशन ने 2018 में कहा था कि 2021 तक टेलिमेडिसिन का मार्केट 40 बिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर जाएगा। ब्रिटिशन डिजिटल हेल्थकेयर काउंसिल के डायरेक्टर ग्राहम केंडल का कहना है कि इस समय मांग इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि टेलिमिडिसिन की सुविधा उपलब्ध कराने वाले प्रोफेशनल्स के लिए चुनौती बन गई है।

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