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रविवार और चतुर्थी व्रत के योग में करें गणेशजी और सूर्यदेव की पूजा, भगवान को इत्र चढ़ाएं

  • चतुर्थी पर सूर्यास्त के बाद दीपक जलाकर एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् मंत्र का जाप करें

दैनिक भास्कर

May 10, 2020, 11:12 AM IST

रविवार, 10 मई को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष का गणेश चतुर्थी व्रत है। इस दिन भगवान गणेश को दूर्वा की 21 गांठ चढ़ाएं और गणेशजी के मंत्र का जाप करना चाहिए। रविवार को चतुर्थी होने से इस दिन गणेशजी के साथ ही सूर्यदेव की भी विशेष पूजा करनी चाहिए, क्योंकि गणेशजी चतुर्थी तिथि के स्वामी हैं और रविवार का कारक ग्रह सूर्य है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से जानें गणेश चतुर्थी पर गणेशजी की सरल पूजा कैसे कर सकते हैं…

रविवार और चतुर्थी के योग में गणेशजी का ध्यान करें और सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे का उपयोग करें। लोटे में चावल और लाल फूल डालें। सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। सूर्य पूजा के बाद सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें। गणेशजी को जनेऊ पहनाएं।

अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र आदि गणपतिजी को चढ़ाएं। चावल सहित अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। गणेश मंत्र ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करें, दूर्वा की 21 गांठ चढ़ाएं। भोग लगाएं। कर्पूर और दीपक जलाकर आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें।

जो लोग इस तिथि पर व्रत करते हैं, उन्हें फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि का सेवन करना चाहिए, अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। दिनभर भगवान का ध्यान करें और अधार्मिक कामों से बचें।

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जाप सही उच्चारण के साथ करना चाहिए।

सूर्यास्त के बाद गणेशजी के सामने दीपक जलाएं। पूजा करें। इसके बाद उनके मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें। मंत्र- एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

पूजा पूरी होने के बाद अन्य भक्तों को प्रसाद वितरित करें और गणेशजी से दुख दूर करने की प्रार्थना करें। पूजा में हुई अनजानी भूल के लिए गणेशजी से क्षमा अवश्य मांगे।

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