March 29, 2024 : 5:20 PM
Breaking News
लाइफस्टाइल

जानलेवा मेनिंगोकोकल बीमारी से बचाव कैसे करें?

  • बैक्टीरियल मेनिंजाइटिस के लक्षण 24 घंटे के भीतर विकसित हो सकते हैं।

दैनिक भास्कर

Apr 11, 2020, 12:51 PM IST

माता-पिता हमेशा यह सुनिश्चित करते हैं कि वे अपने बच्चे को किसी भी संभावित बीमारी से बचाने में कोई कसर न छोड़ें। इसके बावजूद वे गंभीर बीमारी, विकलांगता या कुछ ही घंटों में जान लेने वाले कुछ संक्रमणों से अपने बच्चों का बचाव करने में चूक सकते हैं। 

मेनिंगोकोकल मेनिंजाइटिस ऐसी ही एक संक्रामक बीमारी है। यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के चारों ओर रहने वाली पतली झिल्ली के गंभीर संक्रमण मेनिंजाइटिस (दिमागी बुखार) का एक बैक्टीरियल रूप है। मेनिंगोकोकल मेनिंजाइटिस से होने वाली मृत्यु की दर काफी ऊंची है (इलाज नहीं होने पर 50% तक)। मेनिंगोकोकल बीमारी नीसेरिया मेनिंजाइटिडिस बैक्टीरिया की वजह से होती है और इससे मेनिंजाइटिस या खून की नलियों का इन्फेक्शन सेप्टीसीमिया हो सकता है।

सबसे डरावनी बात यह है कि यह बहुत जल्दी जानलेवा बन जाती है और 24 घंटों के भीतर ही जान ले सकती है। यह किसी सामान्य सर्दी के समान- खांसी, चूमने, हाथ मिलाने या छींक के ज़रिए किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क में आने से फैलती है।

यदि लोग इस बीमारी से बच भी जाते हैं, तो उनमें से अधिकांश को अंग कटने, घाव, बहरापन या दिमाग को नुकसान जैसी गंभीर जटिलताओं के साथ जीना पड़ सकता है।

चूंकि इसके लक्षण फ्लू के समान ही हैं, इसलिए यह आसानी से डायग्नोस (निदान) नहीं किया जा सकता है। इसके अन्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और गर्दन में अकड़न शामिल है।

मेनिंगोकोकल मेनिंजाइटिस का प्रभावी उपचार 

टीकाकरण सबसे अच्छा तरीका है जिससे माता-पिता अपने बच्चों की सुरक्षा कर सकते हैं। मेनिंगोकोकल वैक्सीन (टीका) बैक्टीरियल मेनिंजाइटिस और अन्य गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकने वाले संक्रमण मेनिंगोकोकल बीमारी से बचाता है।

  • यदि आपको संदेह है कि आपके बच्चे को मेनिंजाइटिस हो सकता है, तो अपने शिशु-रोग विशेषज्ञ को तुरंत कॉल करें या आपातकालीन विभाग में जाएं।
  • बैक्टीरियल मेनिंजाइटिस के लक्षण 24 घंटे के भीतर विकसित हो सकते हैं।
  • कभी भी खुद इलाज न करें और बीमारी के किन्हीं लक्षणों को यह सोचकर अनदेखा न करें कि यह ठीक हो जाएंगे।
  • मेनिंगोकोकल मेनिंजाइटिस का टीका 9 माह जितने छोटे बच्चों को दिया जा सकता है और यह टीके के माध्यम से रोकी जा सकने वाली मेनिंजाइटिस के खिलाफ संपूर्ण सुरक्षा की लुप्त कड़ी है।

बचपन का टीकाकरण क्यों आवश्यक होता है?

वैक्सीन यानी टीके हमारे पास उपलब्ध कुछ सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी दवाओं में से हैं, और इनकी वजह से बच्चों की कई जानलेवा बीमारियां अब बहुत कम हो गई हैं। हालांकि जब आप नए माता-पिता हैं तो बचपन के टीके या टीकाकरण बेहद ज़रूरी हो सकता है। 

टीकाकरण से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना: 

बच्चों के बड़े होने तक टीका लगवाने में देर करना वास्तव में शिशुओं और नन्हे-मुन्नों को संभावित जानलेवा बीमारियों के और अधिक जोखिम में डालना है।  

टीके बीमारियां पैदा नहीं करते, जानिए क्यों : क्योंकि उनमें सक्रिय वायरस नहीं होते। सरल शब्दों में कहें तो, टीके उन बीमारियों की ‘नकल’ करते हैं जिनसे वे बचाते हैं। इसमें वह रोग प्रतिरोधक क्षमता शामिल होती है जो कि प्राकृतिक और लंबे समय तक रहने वाली होती है।

जानलेवा बैक्टीरियल मेनिंजाइटिस के सामान्य कारणों से बचाने वाले टीके आमतौर पर दुनिया के अनेक भागों में उपलब्ध हैं। हमारे पास स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा, और नीसेरिया मेनिंजाइटिडिस के संक्रमण को रोकने वाले टीके हैं। पहले दो शैशव अवस्था में नियमित टीका शृंखला के भाग के रूप में दिए जाते हैं। अंतिम, नीसेरिया के खिलाफ बचाव वाला, आमतौर पर किशोरावस्था में दिया जाता है, हालांकि यह कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित बच्चों को, दुनिया के उन भागों की यात्रा करने से पहले दिया जाता है जहां संक्रमण आम है, या महामारी (आउटब्रेक) के समय भी दिया जाता है।

टीकों के प्रकार और किन्हें टीकाकरण करवाने की आवश्यकता है?

मेनिंगोकोकल टीकाकरण की दो श्रेणियां उपलब्ध हैं:

मेनिंगोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (MCV) वैक्सीन:

  • 11 से 18 वर्ष के सभी बच्चों और किशोरों के लिए MCV की सिफारिश की जाती है।
  • मेनिंगोकोकल बीमारी के बढ़े हुए जोखिम वाले 2 से 55 वर्ष के अन्य लोगों के लिए टीकाकरण की सिफारिश की जाती है; इसमें कुछ जोखिम कारक शामिल हैं जैसे कि:
  • 19-21 वर्ष के व्यक्ति यदि वे कॉलेज में प्रवेश ले रहे हैं या किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में हैं। 
  • हालांकि पहले से कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों में मेनिंगोकोकल बीमारी का खतरा उनकी उम्र की बाकी सामान्य आबादी के बराबर ही होता है, ऐसा कोई चिकित्सकीय कारण नहीं है कि अन्य छात्र जो मेनिंगोकोकल बीमारी के खतरे को कम करना चाहते हैं वे टीका नहीं ले सकते।         
  • ऐसे व्यक्ति जिनकी स्प्लीन (तिल्ली/प्लीहा) खराब है या नहीं है।
  • ऐसे व्यक्ति जिन्हें निरंतर पूरक घटक की कमी (एक प्रतिरक्षा प्रणाली का विकार) है। 
  • प्रयोगशालाओं में मेनिंगोकोकस बैक्टीरिया के साथ काम करने वाले लोग।
  • उप-सहारा अफ्रीका के कुछ देशों के साथ ही उन देशों की यात्रा करने वाले लोग जहां के लिए मेनिंगोकोकल टीके की सिफारिश की गई है (जैसे वार्षिक हज के लिए मक्का, सउदी अरब की यात्रा)।
  • कोई भी जो संभावित रूप से किसी महामारी (आउटब्रेक) के समय मेनिंजाइटिस के संपर्क में आया हो। 

मेनिंगोकोकल पॉलीसेकराइड वैक्सीन (MPSV4) वैक्सीन:

  • MPSV4 का उपयोग तब किया जा सकता है जब किसी को स्थायी रूप से विपरीत संकेत या MCV4 के उपयोग के लिए सावधानी है। 
  • MPSV4 एकमात्र लाइसेंसशुदा मेनिंगोकोकल वैक्सीन उत्पाद है जिसका उपयोग 56 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वयस्कों में किया जा सकता है।

Related posts

टैरो राशिफल:शनिवार को मिथुन राशि के लोग खुद को कमजोर न समझें, कुंभ राशि के लोगों को मिल सकती है प्रसन्नता

News Blast

Corona हुआ तो आइसोलेशन में Online मंगवाया खाना, अंदर से निकली छिपकली

News Blast

सूतक से ग्रहण खत्म होने तक मनोकामना के अनुसार करना चाहिए जाप, दोपहर 1.38 बजे तक रहेगा ग्रहण, इस समय में पूजा न करें

News Blast

टिप्पणी दें