September 28, 2023 : 9:09 AM
Breaking News
लाइफस्टाइल

14 मई को वृष संक्रांति, इस पर्व पर अन्न और जल के दान से दूर होती है बीमारियां

  • सालभर में 12 संक्रांति होती हैं, वृष राशि में सूर्य के आने पर मनाई जाती है वृष संक्रांति

दैनिक भास्कर

May 12, 2020, 11:38 AM IST

14 मई को सूर्य राशि बदलकर वृष में आ जाएगा। इस दिन वृष संक्रांति मनाई जाती है। संक्रांति पर्व पर स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान कर के सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। लेकिन कोरोना के चलते नदियों में स्नान करने से बचना चाहिए और घर पर ही पानी में गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों का जल मिलकार नहा लेना चाहिए। वृष संक्रांति पर पानी में तिल डालकर नहाने से बीमारियां दूर होती हैं और लंबी उम्र मिलती है। 

क्या होती है संक्रांति
सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहा जाता है। 12 राशियां होने से सालभर में 12 संक्रांति पर्व मनाए जाते हैं। यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर महीने के बीच में सूर्य राशि बदलता है। सूर्य के राशि बदलने से मौसम में भी बदलाव होने लगते हैं। इसके साथ ही हर संक्रांति पर पूजा-पाठ, व्रत-उपवास और दान किया जाता है। वहीं धनु और मीन संक्रांति के कारण मलमास और खरमास शुरू हो जाते हैं। इसलिए एक महीने तक मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।

वृषभ सक्रांति का महत्व
हिंदू कैलेंडर के अनुसार 14 या 15 मई को वृष संक्रांति पर्व मनाया जाता है। सूर्य की चाल के अनुसार इसकी तारीख बदलती रहती है। इस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि छोड़कर वृष में प्रवेश करता है। जो कि 12 में से दूसरे नंबर की राशि है। वृष संक्रांति ज्येष्ठ महीने में आती है। इस महीने में ही सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है और नौ दिन तक गर्मी बढ़ाता है। जिसे नवतपा भी कहा जाता है। वृष संक्रांति में ही ग्रीष्म ऋतु अपने चरम पर रहती है। इसलिए इस दौरान अन्न और जल दान का विशेष महत्व है।

Related posts

वो दौर जब गंगा में इंसानों की लाशें ही लाशें नजर आती थीं, दोनों विश्वयुद्धों में हुई कुल मौतों से भी कहीं ज्यादा

News Blast

कुछ ऐसी आदतें जिन्हें पुरुषों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, जानें घर पर कैसे मेंटेन करें

News Blast

2 अशुभ योग बनने से कामकाज में आा सकती हैं रुकावटें, 5 राशियों को रहना होगा संभलकर

News Blast

टिप्पणी दें