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केरल, हिमाचल, तमिलनाडु और पुड्‌डुचेरी के चमगादड़ों में मिला कोरोना वायरस, ICMR के वैज्ञानिकों ने इसे ‘बैट कोरोना’ नाम दिया

  • केरल, हिमाचल, तमिलनाडु और पुड्‌डुचेरी से लिए गए सैम्पल की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई

  • चमगादड़ों में मिला वायरस नए कोरोनावायरस सार्स सीओवी2 से मिलता जुलता हो सकता है, इस पर अध्ययन होना बाकी

दैनिक भास्कर

Apr 15, 2020, 03:12 PM IST

नई दिल्ली. नया कोरोनावायरस जानवरों से इंसानों तक कैसे पहुंचा, इस पर भले ही वैज्ञानिकों की एक राय न हो लेकिन देश के केरल, हिमाचल, तमिलनाडु और पुड्‌डुचेरी के चमगादड़ों में कोरोनावायरस पाया गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चमगादड़ों में मिला वायरस कोविड-19 के सार्स सीओवी2 से मिलता जुलता हो सकता है। इस पर और अध्ययन किया जाना बाकी है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के इस शोध में 10 में से 4 राज्यों में चमगादड़ से लिए गए नमूनों में बैट कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि हुई है। वहीं, 6 अन्य राज्य कर्नाटक, चंडीगढ़, उड़ीसा, पंजाब, गुजरात, तेलंगाना से लिए गए सैम्पल की रिपोर्ट निगेटिव आई है।

रिसर्च की 3 बड़ी बातें

  • 25 चमगादड़ों की रिपोर्ट पॉजिटिव 

रिसर्च टीम की हेड और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे की साइंटिस्ट डॉ. प्रज्ञा डी. यादव के मुताबिक, बैट कोरोनावायरस (चमगादड़ में मौजूद कोरोना) से इंसानों में संक्रमण फैलने के अब तक कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। केरल, हिमाचल प्रदेश, पुड्‌डुचेरी और तमिलनाडु में पेट्रोपस और रोसेट्स प्रजाति के 25 चमगादड़ों की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है। केरल में 2018 और 2019 में निपाह वायरस भी चमगादड़ की पेट्रोपस प्रजाति से फैला था। 

  • पीसीआर जांच में पुष्टि हुई

रिसर्च टीम की हेड डॉ. प्रज्ञा यादव के मुताबिक, चमगादड़ की दो प्रजातियों के गले से और मल के सैम्पल लिए गए थे। इनकी पॉलीमिरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) जांच के बाद स्थिति सामने आई। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, चमगादड़ कई तरह के वायरस का वाहक होता है। इनमें ऐसे कई वायरस पाए जाते हैं जो इंसानों के लिए खतरनाक हैं। 

  • संदिग्ध रहा है चमगादड़

रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में फैले निपाह वायरस का सम्बंध भी चमगादड़ से था। नए कोरोनावायरस के मामले में भी इसकी भूमिका संदिग्ध है। शोध का लक्ष्य है, देश अलग-अलग राज्यों में पेट्रोपस और रोसेट्स प्रजाति के चमगादड़ में कोरोनावायरस का पता लगाना। फिलहाल अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि कोरोनावायरस के कुछ प्रकार ही इंसानों को संक्रमित क्यों करते हैं।

वायरस चमगादड़ को संक्रमित क्यों नहीं कर पाता?
चमगादड़ पर 50 साल से अधिक समय से रिसर्च कर रहे वेस्टर्न ऑन्टेरियो युनिवर्सिटी के प्रो ब्रॉक फेंटॉन के मुताबिक, चमगादड़ में एक समय में कई वायरस हो सकते हैं। यह उसकी खासियत में से एक है लेकिन वायरस उसे संक्रमित नहीं कर पाते। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीफन लुबी निपाह वायरस पर पिछले 12 साल से रिसर्च कर रहे हैं। उनका कहना है कि रात को निकलने वाले चमगादड़ के शरीर में एक विशेष प्रकार की एंटीबॉडीज पाई जाती हैं। इसी कारण से वायरस चमगादड़ को प्रभावित नहीं कर पाता। यह वायरस चमगादड़ के शरीर में सुप्त अवस्था में पड़ा रहता है, जिसे शेडिंग कहते हैं। जब चमगादड़ कोई फल खाता है या ताड़ी जैसा कोई पेय पीता है तो वायरस चमगादड़ से उन चीजों में प्रसारित हो जाता है। ये वायरस चमगादड़ के मल-मूत्र द्वारा भी दूसरे जीवों और खासतौर पर स्तनाधारियों को संक्रमित कर सकता है। संक्रमित होने पर अजीब तरह का बुखार आता है जो सही समय पर इलाज न मिलने से जानलेवा बन जाता है। 2018 में केरल में फैले निपाह वायरस का वाहक भी चमगादड़ था। 

थ्योरी कई, लेकिन केंद्र में चमगादड़ बरकरार

एक्सपर्ट की राय : कनेक्शन तो है सिर्फ साबित होना बाकी
अमेरिका के ऑन्टेरियो वेटरनेरी कॉलेज के प्रोफेसर स्कॉट वीज जानवरों से फैलने वाली बीमारियों पर रिसर्च कर रहे हैं। प्रोफेसर स्कॉट के मुताबिक, कोरोनावायरस का चमगादड़ से कनेक्शन तो है लेकिन यह इंसानों तक पहुंचना कैसे अब तक सामने नहीं आ पाया है। चीनी वैज्ञानिकों ने भले ही पैंगोलिन से चमगादड़ और फिर चमगादड़ से इंसान में वायरस पहुंचने की बात कही हो, लेकिन यह बात पूरी तरह साबित नहीं हो पाई है।

चीनी वैज्ञानिकों का पक्ष : पैंगोलिन से चमगादड़ में पहुंचा वायरस

चीनी वैज्ञानिक अलग-अलग रिसर्च में कोरोनावायरस फैलने की वजह चमगादड़, सांप और पैंगोलिन को बता चुके हैं। चीन की साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस के लिए पैंगोलिन को जिम्मेदार ठहराया। शोधकर्ता शेन योंगी और जिओ लिहुआ के मुताबिक, वायरस पैंगोलिन से चमगादड़ और इससे इंसान में पहुंचा। इसे समझने के लिए 1 हजार जंगली जानवरों के सैम्पल लिए। मरीजों से लिए गए सैंपल में मौजूद कोनोरावायरस और पैंगोलिन का जीनोम सिक्वेंस (आनुवांशिक अनुक्रम) 99 फीसदी तक एक जैसा है।

डब्ल्यूएचओ का बयान : चमगादड़ से दूसरे जानवर में पहुंचा वायरस
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इंसान सीधी तौर पर चमगादड़ के संपर्क में नहीं आते, इसलिए इसका पता लगाना और जरूरी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हो सकता है चमगादड़ ने दूसरे जानवर को संक्रमित किया हो जिससे वायरस इंसान तक पहुंचा हो।

माइक्रोबायोलॉजिस्ट का तर्क : यह कई तरह के वायरस का वाहक
टोरंटो हेल्थ साइंस सेंटर की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ समीरा मुबारेका कहती हैं, यह पहली बार नहीं है जब इंसानों में किसी बीमारी की वजह के रूप में चमगादड़ का नाम आया है। यह कई तरह के वायरस का वाहक है जो पहले भी साबित हो चुका है। चमगादड़ की कुछ प्रजातियां रेबीज और निपाह वायरस की भी वाहक रही हैं। जुलाई 2019 में कनाडा के वैंकूवर आइलैंड में रेबीज से 23 साल के एक व्यक्ति की मौत हुई। जांच में पुष्टि हुई कि रेबीज का वाहक चमगादड़ था।

कब-कब चमगादड़ से फैले वायरस

  • 2002 में चमगादड़ से फैले सार्स से दुनियाभर में 774 मौते हुईं। सार्स वायरस पहले चमगादड़ से बिल्ली और इससे इंसानों तक पहुंचा।
  • 2018 में केरल में निपाह वायरस का वाहक भारतीय फलभक्षी चमगादड़ था, इससे 17 मौतें हुई थीं।
  • इसके अलावा इबोला, रैबीज, हेंद्र और मारबर्ग वायरस के मामलों में भी वाहक चमगादड़ ही था।

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