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ये वायरस फेफड़ों पर दो तरह अटैक करता है, पहला- सूजन बढ़ाता है और दूसरा- खून में ऑक्सीजन जाने से रोक देता है

  • कोरोनावायरस आंतों और किडनी पर भी असर डालता है, लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह जरूर लें
  • लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी हाथों की सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा कोई विकल्प नहीं

दैनिक भास्कर

Apr 18, 2020, 06:00 AM IST

नई दिल्ली. नई दिल्ली. कोरोनावायरस शरीर के किस अंग को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, क्या हर बुजुर्गों पर कोरोना का हमला जानलेवा है?, क्या लॉकडाउन खत्म होने के बाद वायरस का खतरा रहेगा?… ऐसे कई सवाल सबके दिमाग में चल रहे हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब ऑल इंडिया रेडिया ने जारी किए हैं। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ. नरेश गुप्ता से जानिए, इन सवालों के जवाब….

#1)  कोरोनावायरस शरीर के किस अंग को ज्यादा प्रभावित करता है?
कोरोनावायरस किडनी और फेफड़ों पर अटैक करता है लेकिन ज्यादातर मामलों में इसका असर फेफड़ों पर देखा जाता है। यह फेफड़ों में सूजन पैदा करता है जिसे निमोनिया कहते हैं। कोरोनावायरस शरीर की आंत और किडनी में भी जा सकता है। फेफड़े इस वायरस का प्रवेश द्वार हैं इसलिए सबसे ज्यादा डैमेज यहीं होता है इसीलिए ऑक्सीजन और वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है।

#2) कोरोनावायरस फेफड़ों पर कैसे हमला करता है?
यह वायरस फेफड़ों पर दो तरह से हमला करता है। पहला, फेफड़े में सूजन से निमोनिया हो जाता है। दूसरा, खून को फेफड़ों में जमा देता है और नाक के द्वारा ली गई ऑक्सीजन को खून में नहीं जाने देता। खांसी-जुकाम भी वायरल इंफेक्शन होता है, जो गले, नाक, मुंह तक ही सीमित रहता है। इसमें सांस लेने में तकलीफ नहीं होती।

हमारे शरीर में दो फेफड़े होते हैं, अगर एक में निमोनिया हो जाए तो दूसरा काम करता रहेगा और सांस लेने में दिक्कत नहीं होगी। अगर सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो एक बात साफ है कि संक्रमण बहुत अधिक है। यह कोविड-19 का संक्रमण हो सकता है। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

कोरोना पीड़ितों के फेफड़ों की यह तस्वीर रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (RSNA) ने जारी की है। फेफड़ों के एक्स-रे और सीटी स्कैन से सामने आया है कि पीड़ितों के फेफड़े चिकने और गाढ़ी बलगम (म्यूकस) से भर जाते हैं। इसके कारण पीड़ित व्यक्ति की सांस घुटने लगती है क्योंकि उसके फेफड़ों में हवा जाने के लिए कोई जगह ही नहीं बचती।

#3) क्या हर बुजुर्ग पर कोरोना का हमला जानलेवा है?
60 साल से ऊपर के लोगों के लिए यह जानलेवा है, उन्हें बचाव की जरूरत है लेकिन डरने की बात नहीं। कोरोनावायरस ऐसे बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरा पैदा करता है जो ब्लड प्रेशर, मधुमेह, कैंसर या लम्बे समय से किसी बीमारी से परेशान हैं।

#4) अगर खांसी कई दिन तक आए तो कोरोना का खतरा तो नहीं?
खांसी आना सामान्य है, इससे घबराएं नहीं। कई बार सामान्य खांसी ठीक होने में भी 7 दिन या उससे ज्यादा का समय लग जाता है। पहले लोग इसे टीबी समझ लेते थे लेकिन अब कोरोना का संक्रमण मान लेते हैं। आपको तब तक परेशान नहीं होना है जब तक आप किसी संक्रमित के सम्पर्क में न आए हों। आप चाहें तो आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड कर लीजिए। इसमें कुछ आसान सवाल पूछे जाते हैं उसका उत्तर दीजिए। आप आसानी से जान पाएंगे कि आपको कोरोना संक्रमण का खतरा है या नहीं। 

#5) कितने तापमान पर वायरस नष्ट होता है?
गर्मियां आ गई हैं और तापमान बढ़ रहा है। कुछ लोग सोच रहे हैं जल्द ही वायरस का असर खत्म हो जाएगा, लेकिन अभी भी इस बात का कोई प्रमाण सामने नहीं आया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, तापमान 23 डिग्री होने पर यह वायरस नष्ट हो जाता है। फिलहाल इस समय घर का बना खाना ही खाएं, जो भी खाएं उसे अच्छी तरह पकाएं ताकि अगर कोई खाने का सामान बाहर से भी मंगाया गया है तो उसमें वायरस का असर खत्म हो जाए।

कालीमिर्च शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाती है। इसे हर रोज मसाले के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

#6) क्या कालीमिर्च खाने से वायरस का संक्रमण नहीं होगा?
कालीमिर्च या अदरक, लहसुन खाने वायरस का संक्रमण नहीं होता, ऐसा नहीं है। इससे केवल रोगों से लड़ने की क्षमता यानी इम्युनिटी बढ़ती है। इम्युनिटी शरीर को बीमारी या वायरस से लड़ने की ताकत देती है। जिससे बीमारी शरीर पर अधिक असर न छोड़ सके। जहां तक इसके खाने का सवाल है तो यह हमेशा से फायदेमंद है। 

#7) क्या मच्छर और मक्खी से वायरस का संक्रमण होता है?
नहीं, कोरोनावायरस इनसे नहीं फैलता। लेकिन मक्खी और मच्छर से दूसरी बीमारियां फैलती हैं। गर्मी में इनसे बचकर रहें। साफ-सफाई रखें।

#8) क्या लॉकडाउन खत्म होने के बाद वायरस का खतरा रहेगा?
लॉकडाउन सोशल डिस्टेंसिंग के लिए किया गया है। पहले भी संक्रमित बीमारी होने पर ऐसा करने के लिए कहा जाता था लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। चूंकि इस वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हाथ धोने, सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देश को केवल लॉकडाउन तक ही सीमित न रखें, इन्हें आगे भी अमल में लाना होगा।

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