September 10, 2024 : 12:27 PM
Breaking News
लाइफस्टाइल

सिर्फ कर्तव्य और अधिकारों को समझने से ही सुखी हो जाएगा वैवाहिक जीवन

दैनिक भास्कर

May 15, 2020, 06:06 PM IST

रामायण के अनुसार हर पति-पत्नी को अपने रिश्ते से जुड़ी कुछ खास जिम्मेदारियां और अधिकार पता होने चाहिए। रामायण के बारे में जानने के बाद कई लोगों को लगता है कि श्रीराम और सीता का वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं था। उनके जीवन में सुख नहीं था, लेकिन ये बात गलत है। श्रीराम और सीता को भौतिक सुखों की जरुरत नहीं थी। उन्होंने तो बस अपने कर्तव्य और अधिकारों को ठीक से समझा। जिससे थोड़े समय में ही वैवाहिक जीवन का सुख बहुत ज्यादा मिला। श्रीराम और सीता का रिश्ते को देखकर हमें भी कुछ बातें सीखनी चाहिए।

रामायण के अनुसार पति-पत्नी का रिश्ता कुछ ऐसा होना चाहिए

  1. रामायण के अनुसार सीता से विवाह के भगवान श्रीराम ने सफल वैवाहिक जीवन की नींव रखी। सीता को भगवान राम ने विवाह के बाद उपहार के रुप में वचन दिया कि जिस तरह से दूसरे राजा कई रानियां रखते हैं, कई विवाह करते हैं, वे ऐसा कभी नहीं करेंगे। हमेशा सीता के प्रति ही निष्ठा रखेंगे।
  2. रामायण कहती है कि पत्नी से ही सारी अपेक्षाएं करना और पति को सारी मर्यादाओं और नियम-कायदों से छूट देना बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं है। पति-पत्नी का संबंध तभी सार्थक है जबकि उनके बीच प्रेम हमेशा रहे। तभी तो पति-पत्नी को दो शरीर एक प्राण कहा जाता है। इससे दोनों की अपूर्णता जब पूर्णता में बदल जाती है तो अध्यात्म के रास्ते पर बढ़ना और आसान हो जाता है। 
  3. रामायण में बताया है कि स्त्री में ऐसे कई अच्छे गुण होते हैं जो पुरुष को अपना लेना चाहिए। प्रेम, सेवा, उदारता, समर्पण और क्षमा की भावना स्त्रियों के ऐसे गुण हैं, जो उन्हें देवी के जितना सम्मान और गौरव प्रदान करते हैं।
  4. रामायण में जिस प्रकार पतिव्रत की बात हर कहीं की जाती है, उसी प्रकार पत्नीव्रत भी उतना ही जरूरी और महत्वपूर्ण है। जबकि गहराई से सोचें तो यही बात जाहिर होती है कि पत्नी के लिए पति व्रत का पालन करना जितना जरूरी है उससे ज्यादा जरूरी है पति का पत्नी व्रत को निभाना। दोनों का महत्व समान है। कर्तव्य और अधिकारों के नजरिये से भी दोनों से एक समान ही हैं।
  5. रामायण के अनुसार जो नियम और कायदे-कानून पत्नी पर लागू होते हैं वही पति पर भी लागू होते हैं। ईमानदारी और निष्पक्ष होकर यदि सोचें तो यही साबित होता है कि स्त्री पुरुष की बजाय ज्यादा महत्वपूर्ण और सम्मान की हकदार है।

0000000000000000000000000000000000000000000
– रामायण के अनुसार विवाह के पहले ही दिन एक दिव्य विचार आया। रिश्ते में भरोसे और आस्था का संचार हो गया। सफल गृहस्थी की नींव पड़ गई। श्रीराम ने अपना यह वचन निभाया भी। सीता को ही सारे अधिकार प्राप्त थे। श्रीराम ने उन्हें कभी कमतर नहीं आंका।

Related posts

पूरे शरीर के लिए है फायदेमंद सूर्य नमस्कार, वजन घटाने के साथ यह बॉडी को लचीला भी बनाता है

News Blast

मुंबई में 4 हेल्थवर्करों को 19 से 65 दिन में दोबारा संक्रमण हुआ; पहली बार में उनमें लक्षण हल्के थे, लेकिन रिकवरी के बाद एंटीबॉडी तक नहीं बनी

News Blast

सोमवार को नए काम का प्रस्ताव मिल सकता है, अटके काम पूरे हो सकते हैं

News Blast

टिप्पणी दें