- शोधकर्ता का दावा, कुत्ते में कमजोर प्रोटीन जैप के कारण वायरस उसकी आंतों में जगह बना लेता है फिर इससे इंसानों तक संक्रमण फैलता है
- रिसर्च की आलोचना करने वाले वैज्ञानिकों का तर्क, जर्नल में दी गई जानकारी का आपस में मेल नहीं, यह अतिशियोक्ति है
दैनिक भास्कर
Apr 18, 2020, 11:07 AM IST
नई दिल्ली. अब तक कोरोनावायरस पर हुई ज्यादातर रिसर्च में इंसानों तक पहला संक्रमण पहुंचने की वजह पैंगोलिन या चमगादड़ बताया गया है। लेकिन हालिया रिसर्च में शोधकर्ताओं का कहना है कि चमगादड़ से कुत्ते में और कुत्ते से इंसान में कोरोनावायरस पहुंचा होगा। यह दावा कनाडा के वैज्ञानिक ने किया है। उनका कहना है कि आवारा कुत्तों का चमगादड़ खाना कोरोना महामारी की वजह हो सकती है। हालांकि इस रिसर्च को ज्यादा वैज्ञानिकों ने खारिज किया और कहा, कुत्तों की देखभाल करने वाले लोगों को इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है।
दावा; कुत्ते की आंतों में पहुंचा वायरस
कनाडा की ओटावा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जुहुआ जिया ने यह रिसर्च की। अब तक 1250 से ज्यादा कोरोनावायरस के जीनोम का अध्ययन कर चुके जुहुआ का कहना है कि सांप और पैंगोलिन में मिले वायरस के स्ट्रेन के कारण असल कड़ी टूट गई है जिसमें यह पता करना था कि चमगादड़ से इंसानों में वायरस कैसे पहुंचा। नए कोरोनावायरस के फैलने की कड़ी में नई जानकारी सामने आई है। चमगादड़ के जरिए यह वायरस कुत्तों की आंत तक पहुंचा और इससे इंसानों में संक्रमण फैला।
New study suggests COVID-19 hopped from dogs to humans. Here’s why you should be skeptical. https://t.co/f02y5PYzdV pic.twitter.com/BiN92uqGdD
— Live Science (@LiveScience) April 14, 2020
विरोध में आए वैज्ञानिक
- कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक प्रोफेसर जेम्स वुड ने इस रिसर्च की आलोचना की है। उनका कहना है कि मुझे यह समझ नहीं आया कि कैसे शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंच गया। यह अतिशियोक्ति है। यह हकीकत से काफी दूर है। रिसर्च में मौजूद जानकारी कुत्तों से इंसान में कोरोनावायरस पहुंचने का समर्थन नहीं करती। यह रिसर्च जर्नल में प्रकाशित भी हो गई, यह भी सोचने वाली बात है।
- पिछले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इस पर एक बयान भी जारी किया है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अब तक पालतू जानवरों से कोरोनावायरस के संक्रमण के प्रमाण नहीं मिले हैं।
- सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लिउनी पेनिंग्स कहते हैं, यह थ्योरी और डेटा एक-दूसरे को सपोर्ट नहीं करते और मैं इस रिसर्च को नहीं मानता।
तर्क दिया, कोरोना शरीर में कमजोर कोशिका ढूंढता है
मॉलीक्युलर बायोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, इंसानों के शरीर में एक प्रोटीन होता है जिसे जिंक फिंगर एंटीवायरल प्रोटीन (जैप) कहते हैं। यह प्रोटीन जैसे ही कोरोनावायरस के जेनेटिक कोड साइट CpG को देखता है उसपर हमला करता है। अब वायरस अपना काम शुरू करता है और इंसान के शरीर में मौजूद कमजोर कोशिकाओं को खोजता है। कुत्तों में जैप कमजोर होता है इसलिए कोरोनावायरस आसानी से उसकी आंतों में अपना घर बना लेता है।