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अचला एकादशी 18 को, इस व्रत से खत्म हो जाते हैं जाने अनाजाने में किए पाप

  • अचला एकादशी व्रत रखने से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अचला रहती हैं, यानी धन की कमी नहीं रहती

दैनिक भास्कर

May 17, 2020, 01:50 AM IST

ज्येष्ठ महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर व्रत के साथ ही भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करने से धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साधक को अपार धन से संपन्न बनाती हैं, इसलिए इसे अपरा एकादशी कह जाता है। इस साल यह व्रत 18 मई को किया जाएगा।

  • भगवान विष्णु की कृपा के लिए किए जाने वाले एकादशी व्रतों के बारे में पुराणों में भी बताया गया है। पद्मपुराण के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को प्रेत योनि में कष्ट नहीं भोगना पड़ता है। अपरा एकादशी को अचला एकादशी, भद्रकाली एकादशी और जलक्रीड़ा एकादशी भी कहा जाता है।

नहीं करनी चाहिए परनिंदा

इस व्रत को करने से जाने-अनजाने में किए उन सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, जिनके कारण प्रेत योनि में जाना पड़ता। पद्मपुराण में बताया गया है कि इस एकादशी के व्रत से आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि दूसरों की बुराई, झूठ, ठगी, छल ऐसे पाप हैं, जिनके कारण किसी इंसान को दूसरा जन्म मिलने से पहले इनका फल भोगना पड़ता है। इस एकादशी के व्रत से इन पापों के प्रभाव में कमी आ जाती है।

  • एकादशी के दिन स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा में तुलसी पत्ता, चंदन, गंगाजल एवं मौसमी फलों का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इस दिन संकल्प लेना चाहिए कि दूसरों की बुराई, झूठ और छल-कपट से दूर रहेंगे। जो लोग किसी कारण व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के चावल और उससे बनी चीजें नहीं खानी चाहिए।

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