दैनिक भास्कर
Apr 19, 2020, 03:34 PM IST
बच्चों को लगने वाले टीकों का एक तय शेड्यूल होता है। टीकाकरण अगर सही समय पर नहीं हो तो माता-पिता का चिंतित होना लाजिमी है। कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन है। ऐसे में कई लोगों के लिए टीकाकरण करवा पाना मुमकिन नहीं हो पा रहा है। लेकिन इस परिस्थिति में भी अभिभावकों को घबराने की जरूरत नहीं है। बच्चों को लगने वाले अधिकांश टीके बाद में भी लगवाए जा सकते हैं। आपातकालीन स्थिति में टीके में छह महीने का भी अंतराल हो सकता है। बस अगली बार जब टीकाकरण के लिए जाएं, तो पिछली बार लगे टीके की जानकारी और बीच में आए अंतराल से डॉक्टर को अवगत जरूर करवाएं।
कितना अंतराल रख सकते हैं?
वैसे तो टीकों को तय शेड्यूल के अनुसार ही लगवाना बेहतर होता है, लेकिन इन दिनों कोरोनावायरस से खुद को और अपने बच्चों को बचाना ज्यादा जरूरी है। इसलिए निजी अस्पतालों में लगने वाले टीके लगवाने से बचना चाहिए। इन्हें आप बाद में भी लगवा सकते हैं। सरकारी कार्यक्रम में शामिल टीके लगवाए जा सकते हैं। अस्पताल जाते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। अगर कोई टीका छूट भी जाए, तो बाद में उसे कवर कर सकते हैं। जैसे अगर आपने बच्चे को डेढ़ महीने की उम्र में डीपीटी का टीका लगवाया था, लेकिन इस बीच लॉकडाउन की वजह से दूसरा डीपीटी आप नहीं लगवा पाए, तो इसे कुछ दिनों से लेकर महीनों बाद भी लगवा सकते हैं। इससे बच्चे को कोई नुकसान नहीं होगा।
अगर जन्म के समय टीका नहीं लगा हो तो क्या करें?
कुछ टीके बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर लगना अनिवार्य होते हैं। अगर लॉकडाउन के दौरान कोई बच्चा पैदा हुआ है तो कोशिश करें कि बच्चे को वहीं अस्पताल में ही जन्म के समय ही यह लगवा लें। लेकिन अगर अस्पताल में टीके उपलब्ध न हों या किसी कारण से ये टीके भी न लग पाए तो भी घबराएं नहीं। बेहद जरूरी माने जाने वाले ये टीके भी बाद में लग सकते हैं। इन टीकों के समय में कितना भी अंतराल हो सकता है। बस, छूटना नहीं चाहिए।
बाद में टीकाकरण करवाएं तो क्या ध्यान रखें?
परिस्थितियां सामान्य होने के बाद जब टीकाकरण के लिए जाएं, तो पिछली बार लगवाए हुए टीके की जानकारी डॉक्टर को जरूर देंं। टीकों में बहुत ज्यादा गैप होने की स्थिति में कई बार टीकाकरण का चक्र फिर से शुरू करना पड़ता है और इसमें भी कोई दिक्कत की बात नहीं है। बस, अपने पास उपलब्ध टीकाकरण चार्ट संभालकर रखें।
रोटावायरस सात माह के बाद ना पिलाएं
सात महीने की उम्र तक इसके तीन डोज़ होना जरूरी है। पहला डोज़ छह सप्ताह, दूसरा 10 सप्ताह और तीसरा 14 सप्ताह की उम्र में दिया जाता है। सारे टीकों में रोटावायरस अकेला ऐसा अपवाद है, जिसे सात महीने की उम्र के बाद नहीं दिया जा सकता। सात महीने की उम्र के बाद देने पर दुष्परिणाम हो सकते हैं। अगर रोटावायरस नहीं लगा है तो डॉक्टर से परामर्श कर लें। कुत्ते के काटने पर भी तुरंत इंजेक्शन लगवाएं।
टीकों का सही समय
जन्म के समय बीसीजी, पोलियो व हेेपेटाइटिस बी का टीका। छह हफ्ते की उम्र में रोटावायरस, पेंटावेलेंट, न्यूमोकोकल और इंजेक्शन पोलियो का टीका। 10 सप्ताह की उम्र में पेंटावेलेंट, इंजेक्शन पोलियो और रोटावायरस। 14 सप्ताह की उम्र में पेंटावेलेंट, रोटावायरस, न्यूमोकोकल, इंजेक्शन पोलियो का टीका। 9 महीने की उम्र में एमआर, ओरल पोलियो और न्यूमोकोकल के टीके। कुछ टीके निजी अस्पतालों में लगवाए जाते हैं। फ्लू के दो टीके छह महीने व सात महीने की उम्र में। एक साल की उम्र में हेपेटाइटिस ए, 15 महीने की उम्र में एमएमआर और चिकनपॉक्स। 18 महीने की उम्र में पेंटावेलेंट, न्यूमोकोकल और ओरल पोलियो। पांच साल की उम्र में डीपीटी और पोलियो का टीका।