- महाभारत में कौरवों के पास सभी सुख-सुविधाएं थीं और पांडव अभाव में जी रहे थे, कुंति ने पांडवों को अच्छे संस्कार दिए और उनका जीवन सुधर गया
दैनिक भास्कर
May 19, 2020, 08:04 AM IST
परिवार में सबसे मुश्किल है, बच्चों को अच्छे संस्कार देना। काफी लोग बच्चों के लिए सभी सुविधाएं और साधन उपलब्ध करा देते हैं, बच्चों पर पूरा स्नेह लुटा देते हैं, फिर भी कई लोग अपनी संतान को अच्छे संस्कार नहीं दे पाते हैं। बच्चे माता-पिता के प्रेम का लाभ उठाता हैं तो गलती माता-पिता की ही होती है। बच्चों को पूरा दोष देना गलत होता है। ये बात पूरी तरह गलत है कि बच्चों को संस्कारी और योग्य बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा संसाधनों और पूंजी की जरूरत होती है। अभाव में भी संतानों को योग्य बनाया जा सकता है।
महाभारत से सीखें संतानों का जीवन कैसे सुधार सकते हैं
महाभारत में दो तरह की संतानें हैं। पहली कौरव जो पूरे जीवन राजमहलों में रहे, सुविधाएं भोगीं। दूसरी पांडव जिनका जन्म और लालन-पालन जंगल में हुआ। पांडव और माद्री के देह त्यागने के बाद कुंती ने पांडवों को जंगल में अकेले पाला। वो सारे संस्कार दिए जो कौरवों में राजकीय सुविधाओं के बावजूद नहीं थे। दुर्योधन और उसके 99 भाई, सभी कुसंस्कारी निकले। लेकिन युधिष्ठिर और उसके चारों भाई धर्मात्मा थे।
कुंती ने अकेले उनको वो संस्कार दिए जो कौरवों को महल में भीष्म सहित सारे कौरव परिजन मिलकर भी नहीं दे पाए। अगर आप ये सोचते हैं कि सुविधाओं से बच्चों में संस्कार आते हैं तो यह गलत है। संस्कार हमारे विचारों से आते हैं।
हम हमेशा सिर्फ सुविधाओं की ना सोचें, कभी-कभी उन्हें अभावों में भी रखने का प्रयास करें, लेकिन अभावों में सुविधाओं के स्थान पर आपका प्यार और संस्कार बच्चों के साथ होना चाहिए। फिर कभी संतानें भटकेंगी नहीं, उनका जीवन सुधर जाएगा और वे हमेशा सुखी रहेंगे।