- स्कंदपुराण के अनुसार अमावस्या पर स्नान और दान से मिलता है सौभाग्य, इस दिन पूजा से पितरों को मिलती है तृप्ति
दैनिक भास्कर
May 19, 2020, 08:12 PM IST
मत्स्य पुराण, स्कंद, ब्रह्म और गरुड़ पुराण में अमावस्या तिथि का महत्व बताया गया है। इन ग्रंथों के अनुसार हर महीने की अमावस्या पर तीर्थ स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ करने से भगवान और पितृ प्रसन्न होते हैं। इसलिए इस तिथि पर घर में पुरूष पितरों की पूजा करते हैं। महिलाएं व्रत और उपवास कर के पीपल को जल चढ़ाती हैं। पति-पत्नी मिलकर दान और पूजा-पाठ करते हैं। अमावस्या तिथि पर पीपल के पेड़ की पूजा का महत्व है। ग्रंथों और परंपराओं के अनुसार ज्येष्ठ महीने की अमावस्या पर घर की महिलाओं को व्रत कर के वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की भी पूजा करनी चाहिए।
ज्येष्ठ अमावस्या पर सौभाग्य के लिए करें शिव-पार्वती पूजा
शुक्रवार को अमावस्या का संयोग बनने से इस पर्व के एक दिन पहले महिलाएं मेहंदी लगाएं। अगले दिन सुबह जल्दी उठकर तीर्थ स्नान करें महामारी के कारण घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहा लेना चाहिए। इसके बाद शिव-पार्वती की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें। ज्येष्ठ महीने की अमावस्या पर शुक्रवार का संयोग बनने से चावल का दान करना चाहिए। इसके साथ गाय को हरी घास खिलाएं।
पीपल की पूजा का महत्व
ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में यानी जड़ों में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा उपर ब्रह्माजी का निवास होता है। इसलिए महिलाओं को सुबह जल्दी पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद उसकी जड़ में भगवान विष्णु-लक्ष्मीजी की पूजा करें। तने पर शिव-पार्वती की पूजा करें। इससे अखंड सौभाग्य मिलता है।
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर नहा लें इसके बाद घर में गंगाजल और गौमूत्र छिड़के।
सुबह जल्दी नहाने के बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं।
भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें और दिनभर व्रत रखने का संकल्प लें।
शिवलिंग पर कच्चा दूध और पानी मिलाकर चढ़ाएं।
पीपल के पेड़ की पूजा करें। जड़ में जल चढ़ाएं।
पूजा की सुपारी को देवी गौरी और भगवान गणेश मानकर पूजा करें।
मिट्टी का शिवलिंग बनाएं और उसकी पूजा करें।
इसके बाद पेड़ की परिक्रमा करें।
पेड़ के नीचे थोड़ा सा अनाज, अन्न, जल और थोड़ी सी मिठाई चढ़ाएं।
इसके बाद ब्राह्मण को भोजन करवाएं और दक्षिणा के साथ मिट्टी के बर्तन में जलभर कर दान करें।
महत्व
ऐसा करने से जाने-अनजाने में लगे दोष दूर हो जाते हैं। घर में शांति और समृद्धि भी आती है। इससे वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर हो जाती हैं और परिवार में सुख बढ़ता है। पंरपराओं के अनुसार माना जाता है कि अमावस्या व्रत और पूजा के प्रभाव से पति की उम्र बढ़ती है। इससे सौभाग्य प्राप्ति होती है और संतान की शारीरिक परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। इस पर्व पर किए गए स्नान,दान और पूजा-पाठ से हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं।