- कोरोनावायरस के बाद बदल सकता है कॉम्बैट और कॉन्टैक्ट स्पोर्ट्स का स्वरूप
- कबड्डी, कुश्ती, बॉक्सिंग, कराते और ताइक्वांडो के इंटरनेशनल रेफरी ने बदलाव के लिए सुझाव दिए
कृष्ण कुमार पांडेय
May 19, 2020, 06:05 AM IST
भोपाल. लॉकडाउन के बाद जब खिलाड़ी मैदान पर लौटेंगे तो कॉम्बैट और कॉन्टैक्ट खेल का स्वरूप बदल सकता है। कबड्डी, कुश्ती, बॉक्सिंग, ताइक्वांडो, कराते ऐसे खेल हैं, जिनमें खिलाड़ियों को एक-दूसरे को छूना पड़ता ही है। खेल संघों के सामने खिलाड़ियों को वायरस के संक्रमण से बचाने की चुनौती होगी। ऐसे में कुश्ती, कबड्डी जैसे खेलों के इंटरनेशनल संघ ने रेफरी, कोच, एसोसिएशन से सुझाव मांगे हैं कि खिलाड़ियों को संक्रमण से बचाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं या फिर नियमों में क्या बदलाव हो सकते हैं। इन 5 खेलों के इंटरनेशनल रेफरी ने अपने सुझाव शेयर किए।
कबड्डी: बोनस लाइन क्रॉस करने पर डबल अंक
रेडर को बोनस लाइन क्रॉस करने पर डबल अंक मिलें। सफल रेड के बाद डिफेंड कर रही टीम का एक खिलाड़ी आउट हो। डिफेंडर के टच से रेड खत्म हो जाए और रेडर बाहर हो। खिलाड़ियों के लिए एंटी वायरस किट बने, जो उनके हिसाब से सुरक्षित और आरामदायक हो। जैसे- ईरान की महिला टीम हिजाब पहनकर खेलने उतरती है, किट उसी तरह की हो।
–जेसी शर्मा, इंटरनेशनल रेफरी
कुश्ती: कैंप से पहले हर खिलाड़ी क्वारैंटाइन हो
हमें एहतियात बरतना जरूरी होगा। कैंप में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को क्वारैंटाइन में रहना अनिवार्य कर देना चाहिए। उन्हें कैंप से बाहर जाने की इजाजत न दी जाए। चैंपियनशिप से पहले हर खिलाड़ी, कोच और ऑफिशियल का टेस्ट हो। इसके लिए बाकायदा संघों से कोरोना फीस भी लेना चाहिए। मैट को भी लगातार सैनिटाइज करना होगा।
–कृपा शंकर, इंटरनेशनल रेफरी
कराते: ऑनलाइन टूर्नामेंट को बढ़ावा मिले
ऑनलाइन और स्किल कॉम्पिटीशन पर फोकस करना होगा, ताकि खिलाड़ी जब वापसी करे तो उसकी स्किल स्ट्रांग हो। हमें निचले लेवल से ही एक वेट कैटेगरी और एज कैटेगरी में खिलाड़ियों को फिल्टर करना होगा। ताकि एक इवेंट में एक ही खिलाड़ी ऊपर जाए। फेस अटैक को बंद कर देना चाहिए। मिडिल अटैक को अनुमति दे सकते हैं।
–परितोष शर्मा, इंटरनेशनल रेफरी
बॉक्सिंग: क्लोजर रेंज और होल्डिंग वर्जित हो
खिलाड़ियों द्वारा क्लोजर रेंज, क्लिपिंग और होल्डिंग करना वर्जित कर दिया जाए। चैंपियनशिप में हिस्सा लेने से पहले हर खिलाड़ी का टेस्ट हो। रिपोर्ट के बाद ही उसे चैंपियनशिप में हिस्सा लेने की अनुमति दी जाए। ग्लव्स, हेड कवर, रिंग का सैनिटाइजेशन हो। फाइट के दौरान इंस्पायरिंग सेशन कम कर दिए जाएं। खिलाड़ी और रेफरी की मेडिकल स्क्रीनिंग हो।
–जोगिंदर सोन, इंटरनेशनल रेफरी
ताइक्वांडो: रेफरी को रबर के ग्लव्स पहनने होंगे
वर्ल्ड ताइक्वांडो फेडरेशन ने तो सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ओलिंपिक के लिए खिलाड़ियों की पोशाक बदल दी है। खिलाड़ी स्किन टाइट पैंट और शर्ट पहनेंगे। इनके हेड गेयर, क्राउन गार्ड, चेस्ट गार्ड, स्किन गार्ड और ग्लव्ज भी बदले हुए नजर आएंगे। रेफरी को भी रबर के ग्लव्स पहनने होंगे।
–राजीव कुमार, इंटरनेशनल रेफरी