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अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से मारे जाएंगे हवा में मौजूद कोरोना वायरस, दावा- बिना जोखिम 99 फीसदी को खत्म किया जा सकता है

  • शोधकर्ता के मुताबिक, अल्ट्रा वॉयलेट किरणें इंसानों को नुकसान पहुंचाए बगैर वायरस को खत्म करती हैं
  • ये किरणें बैक्टीरिया और वायरस के डीएनए को डैमेज करती हैं, इनका इस्तेमाल अस्पतालों में होता है

दैनिक भास्कर

Apr 26, 2020, 11:49 PM IST

कोलम्बिया. वैज्ञानिक कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए हॉलीवुड की फिल्मों वाले फार्मूले जैसा कुछ करना चाहते हैं। कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का दावा है कि एक खास तरह की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से हवा में मौजूद 99% कोरोनावायरस खत्म किया जा सकता है। शोधकर्ता और सेंटर ऑफ रेडियोलॉजिकल रिसर्च के डायरेक्टर डॉ. डेविड ब्रेनर का कहना है कि फार-यूवीसी किरणें जीवाणुओं और वायरस को खत्म करती हैं और ये इंसानों के शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचातीं हैं।

प्रो डेविड ब्रेनर कहते हैं, अभी किसी कमरे में वायरस की संख्या कम करने का कोई सटीक तरीका नहीं है। अगर कमरे में कोई छींकता है तो क्या कर सकते हैं। ऐसे में अगर हवा से वायरस को मारना है तो पावरफुल हथियार की जरूरत पड़ेगी। चीन और साउथ कोरिया में यूवी लाइट का इस्तेमाल किया जा रहा है। कई जगह रोबोट इन्हीं किरणों की मदद से अस्पतालाें, बसों और ट्रेनों को सैनेटाइज कर रहे हैं। 

जर्मिसाइडल किरणें इंसानों के लिए नुकसानदेह
आमतौर पर जर्मिसाइडल अल्ट्रा वायलेट (यूवी) किरणों का इस्तेमाल अस्पताल और मेडिकल सेंटर की सफाई में किया जाता है। यह इंसान के शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं लेकिन बैक्टीरिया और वायरस के डीएनए को डैमेज करती हैं। इनसे इंसानों को दूर रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये किरणें स्किन कैंसर और मोतियाबिंद के खतरे को बढ़ा देती हैं। 

फार-यूवीसी किरणों से कोई खतरा नहीं
वैज्ञानिकों ने अल्ट्रा वायलेट रेज के दूसरे रूप फार-यूवीसी किरणों से नए कोरोनावायरस को खत्म करने का दावा किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये काफी पावरफुल किरणें हैं क्योंकि इनका इस्तेमाल क्लीनर की तरह किया जा सकता है। ये इंसानों की चमड़ी को नुकसान भी नहीं पहुंचाती। डॉ. डेविड ब्रेनर कोरोना महामारी से पहले ही फार-यूवीसी किरणों की मदद से वायरस को खत्म करने पर शोध कर रहे हैं। पहले लक्ष्य फ्लू के वायरस को खत्म करने का बनाया गया था अब कोरोना को खत्म करना प्राथतिकता है।

चीन और साउथ कोरिया में अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से ट्रेनों और बसों को सैनिटाइज किया जा रहा है। तस्वीर साभार : डेलीमेल

एफडीए से अप्रूवल मिलना बाकी
प्रो डेविड ब्रेनर के मुताबिक, फार-यूवीसी किरणों के हल्के डोज से भी वायरस को 99 फीसदी तक खत्म किया जा सकता है। कोरोना के मामले में भी ऐसा ही होगा लेकि फार-यूवीसी लैंम्प को अभी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मंजूरी मिलनी बाकी है। अप्रूअल मिलते ही इसका इस्तेमाल पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे एयरपोर्ट, प्लेन, ट्रेन के अलावा स्कूल और हॉस्पिटल में किया जा सकेगा। 

वायरस की ऊपरी सतह पतली नष्ट होगी
2018 में साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित रिसर्च में डॉ. डेविड ब्रेनर ने बताया था कि यूवी लाइट 95 फीसदी से अधिक असर के साथ कोरोना जैसे वायरस को खत्म कर सकती है। शोध के मुताबिक, वायरस की ऊपरी लेयर काफी पतली होती है जिसे अल्ट्रा वॉयलेट किरणें आसानी से तोड़ सकती हैं। रिसर्च करने वाली टीम ने उस समय दो तरह के वायरस पर इसका प्रयोग किया था जो सफल रहा था। अब वही टीम नए कोरोनावायरस पर भी इसकी टेस्टिंग कर रही है।

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