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5 मार्च 2018 को बताया कैंसर है और ट्विटर पर लिखा- जिंदगी पर आरोप नहीं कि हमें वह नहीं दिया जिसकी हमें उससे उम्मीद थी

  • 53 साल के इरफान को मंगलवार को मुंबई के कोकिलोबन अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया था
  • इरफान को न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर यानी एक तरह का रेयर कैंसर भी था, इसका उन्होंने पिछले साल लंदन में इलाज कराया था

दैनिक भास्कर

Apr 29, 2020, 03:11 PM IST

मुम्बई. बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान ने बुधवार सुबह मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें एक सप्ताह पहले कोलोन इन्फेक्शन के चलते भर्ती कराया गया था। इरफान ने 5 मार्च 2018 को ट्वीट कर बताया था कि उन्हें एक दुर्लभ बीमारी है। उन्होंने अपनी पोस्ट की शुरुआत मार्गेरेट मिशेल के विचार से की। उन्होंने लिखा था, “जिंदगी पर इस बात का आरोप नहीं लगाया जा सकता कि इसने हमें वह नहीं दिया जिसकी हमें उससे उम्मीद थी।”

इरफान ने क्या खुलासा किया था?

  • इरफान खान ने ट्वीट कर उनकी बीमारी को लेकर लग रहे कयास पर विराम लगा दिया था।
  • ट्वीट में लिखा था, मुझे न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होने का पता चला। इसे स्वीकार करना आसान नहीं है, लेकिन मेरे आसपास मौजूद लोगों के प्यार और मेरी इच्छाशक्ति ने मुझे उम्मीद दी है।”
  • “आप सभी मेरे लिए दुआएं कीजिए। इस बीच उड़ी अफवाहों की बात करूं तो न्यूरो शब्द का इस्तेमाल हमेशा ब्रेन के लिए ही नहीं होता और रिसर्च के लिए गूगल से आसान रास्ता नहीं है। जिन लोगों ने मेरे लिखने का इंतजार किया, उम्मीद है उन्हें बताने के लिए कई कहानियों के साथ लौटूंगा।”
5 मार्च 2018 को कैंसर की जानकारी देने के बाद इरफान ने कई ट्वीट करके अपना हाल बताया था।

‘कभी-कभी आप एक झटके से जागते हैं’
 इरफान खान ने 5 मार्च को ट्वीट कर खुद इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने लिखा था था- “कभी-कभी आप एक झटके से जागते हैं। पिछले 15 दिन मेरे जीवन की सस्पेंस स्टोरी है। मैं दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हूं। मैंने जिंदगी में कभी समझौता नहीं किया। मैं हमेशा अपनी पसंद के लिए लड़ता रहा और आगे भी ऐसा ही करूंगा।” “मेरा परिवार और दोस्त मेरे साथ हैं। हम बेहतर रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे ही सारे टेस्ट हो जाएंगे, मैं आने वाले दस दिनों में अपने बारे में बात दूंगा। तब तक मेरे लिए दुआ करें।”

न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर क्या है?
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर उस अवस्था को कहते हैं, जिसमें शरीर में हार्मोन पैदा करने वाले न्यूरोएंडोक्राइन सेल्स बहुत अधिक या कम हार्मोन बनाने लगती हैं। इस ट्यूमर को कारसिनॉयड्स भी कहते हैं। यह शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है, जैसे कि लंग्स, गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट, थायरॉयड या एड्रिनल ग्लैंड। ट्यूमर शरीर के किस हिस्से में है, इसके आधार पर इसका प्रकार तय होता है। वहीं, अगर बीमारी का पता वक्त से लग जाए तो इलाज संभव है।

तीन प्रकार का होता है ये ट्यूमर
1) गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर: यह ट्यूमर गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के किसी भी हिस्से में हो सकता है, जिसमें बड़ी आंत और एपेंडिक्स शामिल है।
2) लंग न्यूरोजएंडोक्राइन ट्यूमर: यह फेफड़ों में होने वाला ट्यूमर है। जिसमें खांसी के दौरान ब्लड आना और सांस लेने में दिक्कत होती है।
3) पेंक्रियाटिक न्यूरोजएंडोक्राइन ट्यूमर: यह पेंक्रियास में होने वाला ट्यूमर है। हार्मोन से जुड़ाव के कारण ब्लड शुगर काफी प्रभावित होता है।

क्यों होता है यह ट्यूमर ?
 न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होने की कई वजह हैं। इनमें से एक बड़ी वजह माता-पिता में इस बीमारी के होने को माना जाता है। माता या पिता में से किसी एक को भी यह बीमारी है तो बच्चों को होने की आशंका बढ़ जाती है। वहीं, स्मोकिंग और बढ़ती उम्र के साथ कमजोर हाेता इम्यून सिस्टम भी बीमारी को पनपने का मौका दे देता है। इसके अलावा अल्ट्रावायोलेट किरणें भी न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होने के खतरे को बढ़ाती हैं।

क्या हैं इसके लक्षण?

  • ब्लड प्रेशर बढ़ जाना, थकान या कमजोरी महसूस होना
  • पेट में लगातार दर्द रहना और वजन घटना
  • टखनों में सूजन रहना, स्किन पर धब्बे होना
  • बेहोशी छाना, पसीना आना
  • शरीर में ग्लूकोज का लेवल तेजी से बढ़ना या कम होना

किन जांचों से करते हैं कन्फर्म?

  • सीबीसी, बायोकेमेस्ट्री टेस्ट, सीटी स्कैन, एमआरआई और बायोप्सी कर पुष्टि की जाती है।
  • इनके अलावा बेरियम टेस्ट, पैट स्कैन, एंडोस्कोपी व बोन स्कैन भी करते हैं।
  • यह ट्यूमर कितना गंभीर (स्टेज) है, यह जांचों की रिपोर्ट के आधार पर तय होता है।

क्या है इलाज?

  • यह शरीर के किस हिस्से में है, कौन सी स्टेज है और अन्य बीमारियां क्या है इन बातों के आधार पर इलाज तय किया जाता है।
  • सर्जरी की मदद से इस ट्यूमर को हटाया जाता है। कुछ मामलों में रिजल्ट के आधार पर दोबारा सर्जरी भी की जाती है।
  • ड्रग थैरेपी भी देते हैं। इसमें कीमोथैरेपी, टारगेटेड थैरेपी और दवाएं दी जाती हैं। इनके आलावा रेडिएशन और लिवर डायरेक्टेड थैरेपी भी दी जाती है।

स्टीव जॉब्स भी इसी बीमारी से पीड़ित थे
अमरीकी मल्टीनेशनल कंपनी एप्प्ल के पूर्व फाउंडर स्टीव जॉब्स की मौत का कारण पेंक्रियाटिक न्यूरोजएंडोक्राइन ट्यूमर था। जिसका खुलासा उन्होंने 2009 में एक ओपन लैटर में किया था।

सहज अभिनय के लिए जाने जाते हैं इरफान

  • 7 जनवरी, 1967 को जयपुर में पैदा हुए इरफान नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पासआउट हैं। इरफान अपने सहज अभिनय के लिए जाने जाते हैं।
  • 1988 में मीरा नायर की फिल्म सलाम बॉम्बे से उन्होंने फिल्मों में डेब्यू किया। फिल्म ऑस्कर अवॉर्ड के लिए भी नॉमिनेट हुई थी।
  • इरफान की कुछ खास फिल्मों में हासिल, मकबूल, लाइफ इन मेट्रो, न्यूयॉर्क, द नेमसेक, लाइफ ऑफ पई, साहब, बीवी और गैंगस्टर 2 और पान सिंह तोमर हैं।
  • 2011 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
  • 2012 में उन्हें पान सिंह तोमर के लिए बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

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