February 8, 2025 : 6:34 PM
Breaking News
लाइफस्टाइल

कर्नाटक में 35 हजार मंदिरों के अर्चक-पुजारी राहत के लिए कोर्ट की शरण में, सरकार को नोटिस

  • ग्रेड सी वाले मंदिरों में पुजारियों और सेवकों के लिए जीवनयापन का संकट
  • 27 मई को होगी इस मामले में सुनवाई

दैनिक भास्कर

May 23, 2020, 06:00 AM IST

बेंगलुरु. लॉकडाउन के चलते सिर्फ उद्योगों पर ही नहीं, मंदिरों पर भी खासा आर्थिक संकट है। तमिलनाडु के 8 हजार मंदिरों ने बिजली बिल माफ करने की मांग उठाई है। कर्नाटक में 35 हजार से ज्यादा मंदिरों के अर्चक, सेवक और पुजारियों ने आर्थिक सहायता के लिए कोर्ट की शरण ली है। हाल ही में, कर्नाटक हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें कर्नाटक के छोटे और मध्यम मंदिर (जो सी श्रेणी में आते हैं) के सेवकों और अर्चकों को आर्थिक सहायता देने की मांग की गई है। 

याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक सरकार के अधीन आने वाले इन मंदिरों के पुजारी, सेवकों और अर्चकों को कुछ आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए। कर्नाटक में कुल 50 हजार से ज्यादा मंदिर हैं। जिनमें से लगभग 35 हजार 500 मंदिर छोटे या “सी” श्रेणी के मंदिरों में आते हैं। इन मंदिरों की मुख्य आमदानी दान-दक्षिणा ही होती है। लेकिन, नेशनल लॉकडाउन के चलते दो महीने से सारी आय बंद है। मंदिर के सेवकों और अर्चकों को मंदिर की गतिविधियां संचालित करने, दैनिक खर्चों और खुद का जीवनयापन करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

कर्नाटक हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिस में चीफ जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका और जस्टिस के.एन. फणीन्द्र ने वकील श्रीहरि कुटसा और बेंगलुरु के एक मंदिर के अर्चक के.एस.एन. दीक्षित की याचिका को स्वीकार किया है। न्यायालय इस मामले में 27 मई को सुनवाई कर सकता है। कर्नाटक सरकार को भी इस मामले में कोर्ट की तरफ से नोटिस दे दिया गया है।

  • सालभर का खर्च मात्र 48 हजार 

कर्नाटक में सी श्रेणी में आने वाले मंदिरों को सालभर का खर्च महज 48 हजार रुपए दिया जाता है। इसमें से ही उन्हें मंदिर के रोज के खर्च, मैंटनेंस, अर्चकों-सेवकों की तनख्वाह आदि खर्चों की पूर्ति करनी होती है। ये मंदिर अपने खर्चों की पूर्ति आमतौर पर दान राशि से ही करते हैं। कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (KHRICE) के पास मंदिरों के लिए करीब 300 करोड़ से ज्यादा का बजट है लेकिन ये ज्यादातर बढ़े मंदिरों पर खर्च हो जाता है। छोटे मंदिरों को कुछ मिल नहीं पाता। जबकि, राज्य में छोटे मंदिरों की संख्या ही सबसे ज्यादा है। 

Related posts

दिल्ली की महिला के शरीर से 50 किलो का ओवेरियन ट्यूमर निकाला, ऑपरेशन के बाद वजन सिर्फ 56 किलो रह गया

News Blast

कोरोना के दर्द की 10 फोटो जिनमें सिर्फ जगहें बदल गईं, लेकिन अपनों को आखिरी अलविदा कहना कोई नहीं चाहता था

News Blast

फूड पॉइजनिंग और एलर्जी से बचना चाहते हैं तो प्रोडक्ट खरीदते समय फूड लेबल्स जरूर पढ़ें

News Blast

टिप्पणी दें