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कोरोना के लक्षण बदलने का मतलब यह नहीं कि वायरस बदल रहा है, लक्षण कुछ लोगों में कम दिखते हैं और कुछ में ज्यादा : एक्सपर्ट

  • एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर वायरस से बचने के लिए निर्देशों का पालन कर रहे हैं तो तनाव लेने की जरूरत नहीं
  • आपने लॉकडाउन में खुद को सुरक्षित रखा है, चिंता करके उसे बेकार न जाने दें और आशावादी रहें

दैनिक भास्कर

May 02, 2020, 10:20 PM IST

नई दिल्ली. क्या वाकई कोरोना के बदलने से लक्षण में भी बदलाव आ रहा है? लॉकडाउन के दौरान मानसिक तनाव से कैसे निपटें? ऐसे कई सवालों के जवाब डॉ. देश दीपक, सीनियर चेस्ट फिजिशियन, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, नई दिल्ली ने आकाशावाणी को दिए, जानिए कोरोना से जुड़ी का शंका का समाधान….

#1) क्या कोरोनावायरस अपना रूप बदल रहा है और इसके नए लक्षण क्या हैं?
कुछ मरीजों में बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ के अलावा कंपकंपी लगना, खाने का स्वाद न महसूस होना, गंध का पता न चलना जैसे लक्षण दिखाई दिए हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वायरस अपना रूप बदल रहा है बल्कि यह कह सकते हैं कि कुछ लोगों में ये लक्षण कम दिखते हैं तो कुछ में ज्यादा।

#2) भारत में संक्रमण के दोगुने होने की रफ्तार 11 दिन है, इसका क्या मतलब है?
पहले वायरस के संक्रमण के मामले दोगुने होने में 4 से 5 दिन लगते थे अब यह रफ्तार धीमी होकर 11 दिन हो गई है। यह एक तरह टूल है जिससे वायरस की गंभीरता को मापा जा सकता है। इसी के आधार पर इलाज के लिए इंतजाम किए जाते हैं।

#3) बतौर विशेषज्ञ मरीजों की संख्या पर क्या कहेंगे?
देश में मरीजों की संख्या बढ़ रही है लेकिन साथ में ठीक होकर घर भी जा रहे हैं। कई मरीज ऐसे हैं जिनमें लक्षण न के बराबर हैं या वे एसिम्प्टोमेटिक हैं। ऐसे मरीज 80 तक हैं। इसके अलावा जो वायरस से गंभीर रूप से बीमार हैं वो करीब 10 फीसदी या उससे भी कम हैं।

#4) लॉकडाउन बढ़ गया है, ऐसे में मानसिक तनाव से कैसे निपटें?
वायरस ने एक तरह से यही सिखाया है कि इस तरह की परिस्थितियों से कैसे निपटें। अगर आप वायरस से बचने के लिए सभी निर्देशों का पालन कर रहे हैं तो तनाव लेने की जरूरत नहीं। कई लोग इस बात से चिंतित रहते हैं कि कहीं मैं संक्रमित न हो जाउं। तनाव और चिंता को हावी न होने दें। लॉकडाउन सभी की जिंदगी को बचाने के लिए है। आपने इतने लम्बे लॉकडाउन में खुद को सुरक्षित रखा है, चिंता करके उसे बेकार न जाने दें। अपना मनपसंद काम करें, आशावादी रहिए। अपनों से बात करें। उनके सम्पर्क में रहें। 

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