- 124 साल पुरानी टेस्टिंग कंपनी रोशे डायग्नोस्टिक ब्रिटेन के लोगों का करेगी एंटीबॉडी टेस्ट
- कंपनी ने तैयार की किट, कहा- शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज 100 फीसदी सटीक जानकारी मिलेगी
दैनिक भास्कर
May 05, 2020, 05:59 AM IST
ब्रिटेन में अगले में दो हफ्तों में एंटीबॉडी टेस्ट की शुरुआत हो जाएगी। जांच का जिम्मा 124 साल पुरानी स्विस कंपनी रोशे डायग्नोस्टिक को मिला है। कंपनी का दावा है कि उसने सटीक जानकारी बताने वाली किट तैयार कर ली और नेशनल हेल्थ एजेंसी के साथ मिलकर हर हफ्ते लाखों टेस्ट कराएगी। रिपोर्ट से ब्रिटेन के लोग जान सकेंगे कि क्या उनमें वायरस से बचने के लिए 100 फीसदी एंटीबॉडीज हैं या नहीं।
भले ही इसकी शुरुआत होने वाली है लेकिन दुनियाभर में कई जगह लोग पहले एंटीबॉडी टेस्ट करा रहे हैं। हाल ही में मेडोना ने भी एंटीबॉडी टेस्ट कराया है। उनका कहना है कि मुझे पता चल गया है कि मुझमें एंटीबॉडीज हैं। अब मैं कार में लॉन्ग ड्राइव के लिए जाने वाली हूं।
आमतौर पर इस टेस्ट के लिए 300 डालर यानी करीब 23 हजार रुपए लिए जा रहे हैं। एक्सपर्ट का कहना है मार्केट एंटीबॉडीज टेस्ट की बाढ़ सी आ गई है लेकिन क्या यह सुरक्षित तरीके से किए जा रहे हैं।
संक्रमण रोकने के लिए अहम कदम है टेस्ट
टेस्टिंग कंपनी रोशे डायग्नोस्टिक का दावा है कि एंटीबॉडीज टेस्ट से झूठी निगेटिव रिपोर्ट नहीं मिलेगी यह शत-प्रतिशत सटीक नतीजे देगा। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर जिओफ ट्विस्ट का कहना है कि कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए एंटीबॉडी टेस्टिंग एक बड़ा कदम है। यह फ्रंट वर्कर्स की मदद करेगा और इलाज बेहतर हो सकेगा।
इम्युनिटी की सटीक जानकारी मिलेगी
ब्रिटिश सरकार के चीफ मेडिकल एडवाइजर का कहना है हमारे पास अभी लोगों की इम्युनिटी को लेकर अधिक जानकारी नहीं है। इंग्लैंड के डिप्टी चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. जेनी हैरिस के मुताबिक, कोरोना के हर मरीज में इम्युनिटी का स्तर अलग-अलग हो सकता है। डॉक्टरों का मानना हे कि लोगों में एक हफ्ते जो इम्युनिटी रहती है वह संक्रमित होने के बाद आधी रह जाती है।
पांच सवाल : समझें एंटीबॉडी की एबीसीडी
#1) क्या होता है एंटीबॉडी टेस्ट
जब आप किसी वायरस के संपर्क में आते हैं तो आपका शरीर ब्ल्ड और टिश्यू में रहने वाली एंटीबॉडीज बनाने लगता है। ये एंटीबॉडीज प्रोटीन होते हैं, जो वायरस को शरीर में फैलने से रोकते हैं। टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि शरीर इन्हें बना रहा है या नहीं। अगर यह मौजूद हैं तो यह आशंका बढ़ जाती है कि आप कोविड-19 के संपर्क में आ चुके हैं।
#2) यह टेस्ट कैसे काम करता है?
माउंट सिनाई हेल्थ सिस्टम के क्लीनिकल लैबोरेट्रीज और ट्रांसफ्यूजन सर्विसेज के डायरेक्टर डॉक्टर जैफरी झांग बताते हैं कि आमतौर पर एंटीबॉडीज बनने में एक हफ्ते से 14 दिन तक का समय लेती हैं। इनका स्तर इम्यून सिस्टम और संपर्क में आने के समय पर निर्भर करता है। हालांकि कम एंटीबॉडीज होने का यह मतलब भी नहीं है कि आप संक्रमित नहीं हैं। यह एक आम ब्ल्ड टेस्ट की तरह ही होता है।
#3) अगर एंटीबॉडीज हैं, तो मैं वायरस से लड़ सकता हूं?
पुख्ता तौर पर यह नहीं कह सकते। क्योंकि एंटीबॉडी टेस्ट से कोविड 19 के खिलाफ इम्यूनिटी का पता नहीं लगता है। ऐसा कहना बहुत जल्दी होगा कि एंटीबॉडीज से इम्यूनिटी का पता चलता है। क्योंकि यह नया वायरस है। हालांकि कुछ एक्स्पर्ट्स ने सार्स समेत दूसरे वायरसों के अनुभवों के आधार पर यह बताया है कि एंटीबॉडीज का होना कुछ सुरक्षा तो देता है। लेकिन यह साफ नहीं है कि कितने वक्त तक। चीन के डॉक्टर झांग का कहना है, परेशानी यह है कि अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जो यह बताए की एंटीबॉडीज दोबारा बीमार होने से बचा सकते हैं। मुझे लगता है कि कई लोग सोचते हैं कि कई मामलों में एंटीबॉडीज सुरक्षा प्रदान करेगी।’
#4) क्या एंटीबॉडी टेस्ट से संक्रमित होने का पता चल सकता है?
एंटीबॉडी टेस्ट कोविड 19 का पता लगाने वाले टेस्ट से अलग है और यह नहीं बताएगा कि, आप संक्रमित हैं या नहीं। एंटीबॉडीज बनने में वक्त लगता है इसलिए कम स्तर होने का मतलब हो सकता है कि आपके शरीर के पास वायरस से पहले इन्हें बनाने का समय नहीं था।
#5) क्या टेस्ट सटीक होते हैं?
14 उपलब्ध एंटीबॉडीज टेस्ट स्टडी के मुताबिक, केवल तीन ने सबसे विश्वसनीय परिणाम दिए। हालांकि इस स्टडी की अभी समीक्षा होना बाकी है। जहां एक टेस्ट ने कभी भी गलत परिणाम नहीं दिए। वहीं, दो अन्य टेस्ट ऐसे थे, जिन्होंने एक प्रतिशत गलत रिजल्ट दिखाए। इन तीन टेस्ट ने शरीर में एंटीबॉडीज के होने की 90 प्रतिशत तक पुष्टि की। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ देशों के इम्युनिटी पासपोर्ट और रिस्क फ्री सर्टिफिकेट के विचारों का हवाला देते हुए नीति बनाने के लिए इन टेस्ट पर भरोसा न करने की सलाह दी है।