- यूवी टावर में मौजूद 6 लैंप से निकलने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणें हवा और किसी सतह पर मौजूद वायरस को खत्म करती हैं
- चीन और साउथ कोरिया में यूवी लाइट का इस्तेमाल करके रोबोट अस्पतालाें, बसों और ट्रेनों को सैनेटाइज कर रहे हैं
दैनिक भास्कर
May 05, 2020, 05:00 PM IST
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए यूवी ब्लास्टर टॉवर तैयार किया है। यह बिना केमिकल के होटल, मॉल और एयरपोर्ट जैसी जगहों को सैनेटाइज करेगा। यूवी टावर में 6 लैंप हैं। हर लैंप में से 43 वॉट की अल्ट्रा वॉयलेट-सी पावर है। यहां से निकलने वाली किरणें हवा और चीजों पर मौजूद कोरोना वायरस को खत्म करती हैं।
रिमोट से कर सकते हैं कंट्रोल
यूवी ब्लास्टर टॉवर को वाई-फाई की मदद से लैपटॉप और मोबाइल फोन से कंट्रोल किया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इसे डीआरडीओ की दिल्ली स्थित प्रयोगशाला लेजर साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर ने गुरुग्राम की न्यू ऐज इंट्रूमेंट्स एंड मैटेरियल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर बनाया है। यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कंप्यूटर या प्रयोगशालाओं में रखे जाने वाले गैजेट्स को आसानी से बिना केमिकल के संक्रमणमुक्त कर सकता है।
कोलम्बियाई शोधकर्ताओं ने 99 फीसदी वायरस मारने का दावा किया
- हाल ही में कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि एक खास तरह की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से हवा में मौजूद 99% कोरोनावायरस खत्म किया जा सकता है।
- शोधकर्ता और सेंटर ऑफ रेडियोलॉजिकल रिसर्च के डायरेक्टर डॉ. डेविड ब्रेनर का कहना है कि फार-यूवीसी किरणें जीवाणुओं और वायरस को खत्म करती हैं और ये इंसानों के शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचातीं हैं।
- प्रो डेविड ब्रेनर कहते हैं, अभी किसी कमरे में वायरस की संख्या कम करने का कोई सटीक तरीका नहीं है। अगर कमरे में कोई छींकता है तो क्या कर सकते हैं। ऐसे में अगर हवा से वायरस को मारना है तो पावरफुल हथियार की जरूरत पड़ेगी।
- चीन और साउथ कोरिया में यूवी लाइट का इस्तेमाल किया जा रहा है। कई जगह रोबोट इन्हीं किरणों की मदद से अस्पतालाें, बसों और ट्रेनों को सैनेटाइज कर रहे हैं।
वायरस की ऊपरी सतह पतली नष्ट होगी
2018 में साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित रिसर्च में डॉ. डेविड ब्रेनर ने बताया था कि यूवी लाइट 95 फीसदी से अधिक असर के साथ कोरोना जैसे वायरस को खत्म कर सकती है। शोध के मुताबिक, वायरस की ऊपरी लेयर काफी पतली होती है जिसे अल्ट्रा वॉयलेट किरणें आसानी से तोड़ सकती हैं।