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कैंसर, बीपी और डिप्रेशन की दवाओं से कोरोना को हराने की तैयारी, दावा- वैक्सीन से पहले ऐसा इलाज फेफड़ों को बचाएगा

  • ट्रायल में अलग-अलग दवाओं से संक्रमण के खतरे को कम करने की कोशिश और डैमेज हुए फेफड़ों को रिकवर करने का लक्ष्य
  • कोरोना पॉजिटिव के मरीज जिनमें माइल्ड लक्षण दिख रहे और हॉस्पिटल नहीं पहुंचे, इन्हें ट्रायल में पहले शामिल किया जाएगा

दैनिक भास्कर

May 07, 2020, 02:57 PM IST

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जहां दुनियाभर में मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) और इबोला की दवा रेमेडिसिविर की भारी मांग है।  इसी क्रम में अमेरिकी वैज्ञानिक अब कैंसर, हाईबीपी और डिप्रेशन की दवाएं संक्रमित मरीजों को देने की योजना बना रहे हैं। इसके पीछे का कारण संक्रमण का सबसे पहला शिकार बनने वाले फेफड़ों को बचाना है।

यह वैकल्पिक दवाओं की मदद से  एक तरह का ट्रायल है, जिसमें अलग-अलग दवाओं से संक्रमण के खतरे को कम करने की कोशिश की जा रही है। शोधकर्ताओं का मानना है इन दवाओं से कोरोनावायरस को शरीर की कोशिकाओं में पहुंचने से रोका जा सकता है। 

4  तरह की दवाओं को आजमाएंगे डॉक्टर

वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन ऐसे कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर ट्रायल शुरू करेगा जो घर में ही क्वारैंटाइन में हैं और अभी हॉस्पिटल में एक बार भी भर्ती नहीं हुए। हॉस्पिटल के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. एरिक लेंजे का कहना है कि मरीजों पर प्रयोग के तौर पर इन दवाओं का वैकल्पिक इस्तेमाल भी किया जाएगा। ये दवा सालों से अलग-अलग रोगों में इस्तेमाल की जा रही हैं और सुरक्षित भी है।

1. कैंसर की दवा  

रक्सोलिटिनिब नाम की दवा माइलोफाइब्रोसिस के मरीजों को दी जाती है। माइलोफाइब्रोसिस बोन मैरो का कैंसर होता है। यह दवा सूजन को कम करने के साथ इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करके कैंसर कोशिकाओं को खत्म करती है। इसका क्लीनिकल ट्रायल वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में शुरू होने वाला है।

2. कीमोथैरेपी ड्रग  

.वैज्ञानिक कैंसर के एक और ड्रग टोपोसाइड को कोरोना मरीजों को देने की तैयारी कर रहे हैं। यह दवा लंग कैंसर, लिम्फोमा और टेस्टिकुलर कैंसर के मरीजों की कीमोथैरेपी में इस्तेमाल की जाती है। अमेरिका के बॉस्टन मेडिकल सेंटर में  टोपोसाइड ड्रग की क्षमता और प्रभाव समझने के लिए शोध भी किया जा रहा है। 

3. एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं

कोरोना संक्रमण का खतरा कम करने के लिए आमतौर पर डिप्रेशन में दी जाने वाली एंटी-डिप्रेसेंट फ्लूवॉक्सामाइन का ट्रायल भी जल्द शुरू होगा। वैज्ञानिकों का कहना है इसे दवा से शरीर में सेरेटोनिन नाम के खुशी के केमिकल का स्तर सुधरेगा और  मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा। इस दवा का प्रयोग प्रोटीन में सूजन को रोकेगा और सांस लेने में होने वाली दिक्कत को भी दूर करेगा। 

4. ब्लड प्रेशर की दवा 

शोधकर्ता ब्लड प्रेशर में दी जाने वाली दवा लोसारटन को भी विकल्प के तौर पर देंगे। उनके मुताबिक, यह कोरोना मरीजों के लिए अहम ड्रग है। यह रक्त वाहिनियों में अकड़न पैदा करने वाले तत्वों को ब्लॉक करता है। दावा है कि यह कोरोना को फेफड़ों को संक्रमित करने से रोकेगी। कोरोनावायरस जिस रिसेप्टर की मदद से कोशिकाओं पर हमला करके अपनी संख्या बढ़ाता है, यह दवा उसी रिसेप्टर को ब्लॉक करेगी।

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