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तनाव लेने वालों और मानसिक रोगियों को कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा, सावधानी बरतें, बाहर निकले हैं तो जूते-चप्पल घर के अंदर न लाएं : एक्सपर्ट

  • वरिष्ठ नागरिक और प्रेग्नेंट महिलाएं घर से न निकलें, अपनी दवाएं रेग्युलर लेते रहें, इमरजेंसी में डॉक्टर से सम्पर्क करें
  • लॉकडाउन में ढील दी गई लेकिन सावधानियों और निर्देशों का पालन करते रहें, हाथ धोते रहें और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें

दैनिक भास्कर

May 08, 2020, 02:32 PM IST

नई दिल्ली. डेयरी वाले दूध और जूते-चप्पलों से कोरोना के संक्रमण का खतरा कितना है, देश में वैक्सीन की स्थिति क्या है, ऐसे ही कई सवालों का जवाब डॉ. अपर्णा अग्रवाल, प्रोफेसर मेडिसिन, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज ने आकाशवाणी को दिए। जानिए कोरोना से जुड़े सवालों के जवाब-

#1) क्या बारिश के मौसम में कोरोनावायरस का संक्रमण बढ़ेगा?
अभी इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि ये नया वायरस है। कोरोना किस मौसम में क्या व्यवहार करेगा, गर्मी या बारिश में कैसा रहेगा अभी कुछ भी पता नहीं। इसलिए सभी को बचने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है।

#2) चिकित्साकर्मी वायरस से कैसे सुरक्षित रहते हैं?
जो लोग वायरस से संक्रमित और संदिग्ध मरीजों का इलाज करते हैं वे सभी सिर से पैर तक पूरे कवर रहते हैं। लम्बा गाउन वाला पीपीई किट, विशेष प्रकार का चश्मा, फेस शील्ड, हाथ में दस्ताने पहने होते हैं। पैरों में जूता और इसके ऊपर भी एक कवर डाला जाता है। इन सभी उपकरणों को पहनने और उतारने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। अगर किसी स्वास्थ्य कर्मी की पीपीई किट फटी है उसने नहीं पहन रखी है तो उसे तुरंत चेकअप के लिए भेजा जाता है। साथ ही 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन में रखा जाता है।

#3) क्या डेयरी से दूध लाने पर कोरोना का संक्रमण का खतरा है?
दूध कोई भी लाएं उसे उबालकर ही प्रयोग करें। फिलहाल अब तक किसी लिक्विड के सेवन से कोरोना संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है क्योंकि एक उच्च तापमान पर पहुंचकर वायरस नष्ट हो जाता है।

#4) वरिष्ठ नागरिक जो अस्पताल नहीं जा पा रहे, उनके लिए क्या सलाह देंगी?
लॉकडाउन 3.0 में सरकार ने वरिष्ठ नागरिक और प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए खास निर्देश दिए हैं कि उन्हें बाहर नहीं निकलना है। इससिए ऑफिस या अस्पताल न जाएं। जो दवाएं ले रहे हैं उसे लेते रहें। डायबिटीज या ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो घर पर ही बीपी और ब्लड शुगर चेक करते रहें। इस बीच उन्हें दिक्कत बढ़ती है तो टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू की गई है। इसके अलावा आप वॉट्सऐप पर अपनी परेशानी बता सकते हैं। जो कैंसर के मरीज हैं या जिनकी डायलिसिस या ऐसी बीमारी है जिसमें जांच जरूरी है वे अपने डॉक्टर से सम्पर्क करके जरूर बताएं। ऐसे मरीजों के लिए अस्पताल के साथ ही सरकार ने भी आने-जाने की सुविधा दी है।

#5) क्या मानसिक रोगियों को वायरस का खतरा ज्यादा है?
कोरोना का संक्रमण किसी को भी हो सकता है लेकिन जो पैनिक होते हैं, तनाव लेते हैं या किसी भी मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं, उनसे संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए तनाव न लें। अगर कोई परेशानी है तो अपने डॉक्टर से सम्पर्क रहें और घर में सुरक्षित रहें।

#6) क्या जूते-चप्पल से भी वायरस घर में प्रवेश कर सकता है?
बाहर से आएं तो जूते-चप्पल को कुछ घंटों के लिए बाहर ही रखें। घर में अगर चप्पल पहनते हैं तो इसे अलग रखें। इससे अगर बाहर के जूते में वायरस का खतरा होगा भी तो आप सुरक्षित रहेंगे।

#7) लॉकडाउन में ढील दी गई लेकिन बाहर जाने पर क्या सावधानी रखनी है?
पहले लॉकडाउन के जो नियम बताए गए हैं उनका पालन करें। सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर मास्क लगाने और हाथ धुलने तक सभी अनिवार्य है। खासकर ऑफिस या दुकान पर जा रहे हैं तो मोबाइल, गाड़ी की चाबी, चश्मा जो भी उसे सैनिटाइज कर लें। दुकान पर हैं तो विशेष हाइजीन का ध्यान रखना है। थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ सैनिटाइज जरूर करें क्योंकि कोई भी ग्राहक आ रहा है तो आप नहीं जानते कि वायरस से संक्रमित है या नहीं।

#8) वैक्सीन या दवा को लेकर क्या स्थिति है?
पूरी दुनिया में वैक्सीन पर शोध चल रहा है। कई देशों में वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल चल रहा है। लेकिन अभी इसे आने में 10-12 महीने लगेंगे। ट्रायल में साइड इफेक्ट न हो इसकी पुष्टि के बाद ही मार्केट में दवा को उतारा जाएगा। इजरायल ने वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने का दाया किया है, हालांकि अभी यह कितना कारगर है, ह्यूमन ट्रायल के बाद ही पता चलेगा।

#9) वेंटिलेटर की जरूरत कब पड़ती है?
ज्यादातर लोग संक्रमण के बाद खुद ही ठीक हो जाते हैं। करीब 5 प्रतिशत लोग गंभीर बीमार होते हैं। उनसे से कुछ लोगों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। जब शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तो वेंटिलेटर पर ऑक्सीजन देते हैं। आजकल थर्मल थैरेपी का भी ट्रायल चल रहा है, जो ज्यादा बीमार हैं, उन मरीजों पर प्री-वेंटिलेटर का टेस्ट कर रहे हैं।

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