दैनिक भास्कर
May 10, 2020, 12:32 AM IST
कहते हैं कि हर बच्चा जब पैदा होता है तो उसकी पहली पुकार मां होती है। उसके रोने में, चीत्कारने में, उसकी हर हरकत में सिर्फ मां होती है। मां उसकी जननी के साथ वह प्रेरणा होती है जो ताउम्र एक बच्चे के साथ बनी रहती है। शायद इसीलिए समझदार कहते हैं कि बच्चा भले ही कितना बड़ा हो जाए, अपनी मां से हमेशा नौ महीने छोटा ही रहता है। गर्भ के उन नौ महीनों की पीड़ा तपस्या बनकर मां के महत्व को इतना बढ़ा देती है कि स्वयं ईश्वर भी नतमस्तक हो जाते हैं।
कोरोना के संकट के बीच इस मदर्स डे पर मां को समर्पित कुछ विद्वानों के ऐसे शब्द जो मां के महत्व को बताते हैं और समझाते हैं कि इस रिश्ते से बड़ा कोई रिश्ता नहीं।