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लॉकडाउन में मोबाइल गेम की लत लग गई है क्या करूं, एक्सपर्ट – मोबाइल छोड़कर उस एक्टिविटी में व्यस्त रहिए जिसमें आपको खुशी मिलती है

  • लॉकडाउन के दौरान बच्चों को बताएं कि बाहर जाना जानलेवा है और उन्हें घर के कामों में व्यस्त रखने की कोशिश करें

दैनिक भास्कर

May 11, 2020, 10:18 PM IST

कोरोना संक्रमण के इस मुश्किल दौर में बहुत से लोगों के मन में सवाल हैं कि इन हालात से कैसे निकलें? किसी को पढ़ाई की चिंता है तो किसी को नौकरी या परिवार की सुरक्षा का तनाव है। भास्कर पाठकों के सवालों का जवाब दे रही हैं प्रसिद्ध साइकिएट्रिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट अंजलि छाबड़िया

मैं कोरोना पॉजिटिव हूं। अब ठीक हो गया हूं और आइसोलेशन में हूं। इन दिनों घर वालों के पास आने पर भी डर रहा हूं। मुझे बेहद निगेटिव विचार आ रहे हैं। मुझे अभी भी डर लग रहा कि न जाने मेरी वजह से और भी लोग संक्रमित हुए होंगे। मैं क्या करूं?
– मुकेश

मुकेश मैं बहुत खुश हैं कि आप इस बीमारी से बाहर आ गए हैं। डर महसूस होना बहुत आम बात है। आप क्वारेंटाइन में बने रहिए और वीडियो चैट के जरिए अपने प्यारे परिजनों से मिलते रहिए। आप इस बात को लेकर अपराध बोध हैं कि आपकी वजह से कोई दूसरा व्यक्ति संक्रमित न हो गया है। इस समस्या पर ध्यान देने की जरूरत है। आप कोविड-19 रोगियों के लिए साथ काम करने वाले मनोवैज्ञानिक से बात करिए। वे आपको इन तरह की चिंताओं से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं।

मेरी उम्र 35 साल है। लॉकडाउन की वजह से मुझे मोबाइल गेम की लत लग गई है। घर वालों से बात करने का मन ही नहीं होता है। घर में कोई रोकता है तो मुझे बहुत गुस्सा आता है। झगड़े भी होते हैं। लेकिन मैं यह आदत छोड़ नहीं पा रहा हूं। क्या करूं?
मुझे खुशी है कि आपने खुद यह महसूस कर लिया है कि यह एक तरह की लत है। आप कुछ और करने को कोशिश करिए और दूसरे लोगों से बात करिए। आप मोबाइल को छोड़कर एेसी गतिविधियों में खुद को व्यस्त रखिए, जिससे आपको खुशी मिलती है। जब आप अपने फोन से दूरी बनाने में सफल हो तो इसे एक उपलब्धि की तरह सेलिब्रेट कीजिए। आप अपनी योजना के अनुरूप काम कर सकें, इसके लिए अपने परिवार के सदस्य को साथ जोड़िए। अगर तब भी आप इस लत से नहीं दूर हो पा रहे हैं तो किसी पेशेवर की मदद लीजिए।

अप्रैल में मेरी बेटी की शादी लॉकडाउन की वजह से हो नहीं पाई। तैयारियों पर बहुत खर्च हो गया। अब डर लग रहा है कि फिर इतना खर्च करना पड़ेगा। डर लग रहा है कि कहीं शादी टूट न जाए। सारा दिन इसी उधेड़बुन में दिमाग लगा रहता है। कृपया मार्गदर्शन करिए।
– पवन तिवारी

मिस्टर तिवारी, मैं समझ सकती हूं कि आपने बेटी की शादी की बहुत सारी तैयारी की होंगी। काफी एक्साइटमेंट भी होगी। मेरी सलाह है कि आप विक्रेताओं से बात करिए, क्योंकि यह बिल्कुल अलग स्थिति है। अपनी बेटी, लड़के और लड़के के परिवार से खुलकर बात करिए कि इस स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है। इसके अलावा अपनी बेटी और उसके होने वाले पति से बात करिए कि इस स्थिति में वे किस प्रकार का फंक्शन चाहते हैं। इस स्थिति को लेकर बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए। मौजूदा स्थिति को लेकर चिंता करने पर यह आपके तनाव को बढ़ा देगा। यह आपके स्वास्थ्य को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा। इससे आपकी बेटी बहुत दुखी हो जाएगी।

स्कूल न जा पाने की वजह से मेरे बच्चे चिड़चिड़े हो गए हैं। वो काफी असभ्यता से पेश आ रहे हैं। बाहर घुमाने की जिद करते हैं। बड़ा बेटा 14 साल का है, वो कई बार चुपके से मोहल्ले के अपने दोस्तों के पास चला जाता है। उसे कैसे समझाऊं?
– मनीष श्रीवास्तव

बच्चों में बहुत ज्यादा ऊर्जा होती है, लेकिन जब उन्हें इस ऊर्जा को खर्च करने का सही रास्ता नहीं मिलता है तो यह निराशा में बदलने लगती है। उन्हें मत डांटिए। शांत बने रहें। बच्चों को बहुत प्यार से समझाइए कि बाहर जाने से कैसे वे जानलेवा वायरस की चपेट में आ सकते हैं। उन्हें घर के कामों में व्यस्त रखने की कोशिश करिए। जैसे कि उन्हें कुकिंग, घर की साफ सफाई और ऐसे ही अन्य कामों में व्यस्त रखने की कोशिश करिए। बच्चों के साथ घर में खेलिए और उन्हें ऐसा महसूस कराइए कि घर भी मजे किए जा सकते हैं।

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