October 10, 2024 : 10:53 AM
Breaking News
लाइफस्टाइल

बच्चों में सूखी खांसी नहीं डायरिया और उबकाई भी हो सकते हैं संक्रमण के लक्षण, चीन में ऐसे ही मामले सामने आ रहे

  • चीन के शोधकर्ताओं और बाल रोग विशेषज्ञों ने अपनी रिसर्च में किया दावा, कहा- ऐसे लक्षण दिखें तो अलर्ट होना जरूरी
  • शोधकर्ता डॉ. वेनबिन के मुताबिक, संक्रमण फैलाने में मदद करने वाला एसीई-2 रिसेप्टर आंतों की कोशिकाओं में भी पाया जाता है

दैनिक भास्कर

May 14, 2020, 05:57 AM IST

बच्चों में कोरोनावायरस का संक्रमण होने पर डायरिया के साथ बुखार आ सकता है। चीन के बच्चों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। यह दावा चीन में शोध कर रहे बाल रोग विशेषज्ञों ने अपनी रिसर्च में किया है।

फ्रंटियर्स इन पीडियाट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, अगर बच्चों में उबकाई (मितली) और डायरिया के लक्षण दिख रहे हैं तो अलर्ट होने की जरूरत है। कुछ समय पहले व्यस्कों में भी ऐसे ही लक्षण नजर आए थे। चीन से मिले आंकड़ों के अनुसार, 50 फीसदी कोरोना मरीजों में पेट में दर्द, उल्टी और डायरिया जैसे लक्षण देखे गए थे। 

बच्चे कोरोना के गंभीर मरीज नहीं
रिसर्च वुहान के टॉन्गजी हॉस्पिटल में की गई है। शोधकर्ता और बाल रोग विभाग के हेड डॉ. वेनबिन ली का कहना है कि ज्यादातर बच्चे कोरोना के गंभीर मरीज नहीं हैं। कुछ ही मामले गंभीर हैं। चीन में जो मामले सामने आ रहे हैं, उनमें बच्चों को पेट से जुड़ी दिक्कतें हो रही हैं। अगर बच्चा पहले कभी बीमार रहा है और अब उसे बुखार आ रहा है तो जांच की जरूरत है।

शुरुआत में सांस से जुड़ी समस्या नहीं
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना आंतों तक भी पहुंच सकता है। वुहान के टॉन्गजी हॉस्पिटल में पहुंच रहे संक्रमित बच्चों में नॉन रेस्पिरेटरी लक्षण नजर आ रहे हैं, यानी सांस से जुड़ी कोई समस्या नहीं सामने आ रही है। हालांकि, बाद में इन्हें निमोनिया हुआ और फिर भी कोविड-19 की पुष्टि हुई। 

हर 5 में से 4 बच्चों में पेट से जुड़े लक्षण दिखे

शोधकर्ताओं के मुताबिक, इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हुए बच्चों में पहले से पेट संबंधी कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन बाद में एक बात कॉमन निकली। जब उनका सीटी स्कैन किया गया तो सभी में निमोनिया की पुष्टि हुई। लेकिन कुछ समय बाद इनके शरीर में कोविड-19 वायरस का पता भी चला।  अस्पताल में हर 5 में से 4 में पेट से जुड़ी समस्या के लक्षण दिखे। 

यहां भी संक्रमण की वजह एसीई-2 रिसेप्टर
शोधकर्ता डॉ. वेनबिन का कहना है कि कोरोना को संक्रमण फैलाने में मदद करने वाला एसीई-2 रिसेप्टर फेफड़ों के अलावा आंतों की कोशिकाओं में भी पाया जाता है। हाल ही में हुए कई शोध में एसीई-2 रिसेप्टर को संक्रमण का गेटवे बताया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि संक्रमित मल से भी आंतों तक कोरोना का संक्रमण फैल सकता है। 

बच्चों ही नहीं बड़ों भी दिख चुके हैं ऐसे लक्षण
द सन की एक रिपोर्ट में लंदन के बलहम शहर निवासी इस्ला हसलम ने अपना अनुभव शेयर किया। इस्ला ने कहा- जब वह कोरोनावायरस के संक्रमण से जूझ रही थीं तो पेट में अजीब किस्म का दर्द महसूस हुआ, यह संक्रमण का पहला लक्षण था। एक दिन सुबह उठी तो लगा कि फूड पॉइजनिंग हुई है। कुछ घंटों बाद गले में सूजन और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखे। रात तक नाक पूरी बंद हो चुकी थी, वह बेहद डरावना अनुभव था। शरीर में अकड़न हो रही थी और काफी भारीपन महसूस होने के साथ बुखार चढ़ रहा था।

Related posts

कोरोना कैसे फैला, इसकी सटीक भविष्यणी अब तक कोई गणितिय मॉडल नहीं कर पाया: आईसीएमआर प्रमुख

News Blast

कर्नाटक में 200 से ज्यादा मंदिरों में ई-पूजा और दर्शन की तैयारी, घर बैठे मिलेगा प्रसाद

News Blast

अगर पूजा-पाठ, व्रत-उपवास नहीं कर पा रहे हैं तो पुरुषोत्तम मास में 4 काम करके पा सकते है पुण्य और परमात्मा

News Blast

टिप्पणी दें