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जर्मनी के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में किया दावा, कोरोना के 45 मरीजों पर हुआ शोध
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रिसर्च लक्ष्य यह पता लगाना था कि कोरोना से पीड़ित पुरुषों की मौत का आंकड़ा दोगुना क्यों
दैनिक भास्कर
May 14, 2020, 07:21 PM IST
ऐसे पुरुष जिनमें टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का स्तर कम है उन्हें कोरोना से मौत का खतरा ज्यादा है। यह दावा जर्मन वैज्ञानिकों ने हालिया रिसर्च में किया है। जर्मनी के हॉस्पिटल में कोरोना से पीड़ित 45 मरीजों पर रिसर्च की गई। शोध का लक्ष्य यह पता लगाना था कि कोरोना से मरने वाले पुरुषों की मौत का आंकड़ा दोगुना क्यों हैं।
35 पुरुष और 10 महिलाओं पर हुआ शोध
शोधकर्ताओं के मुताबिक, आईसीयू में भर्ती कोरोना पीड़ितों की जांच की गई तो उनमें टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का स्तर कम पाया गया। कोरोना के 45 मरीजों में से 35 पुरुष और 10 महिलाएं थीं। इनमें 7 मरीज ऐसे थे जिन्हें ऑक्सीजन की अधिक जरूरत थी और 33 मरीजों के लिए वेंटिलेटर जरूरी था। इनमें से 9 पुरुष और 3 महिला की मौत हो गई।
वायरस से लड़ने में मदद करता है
इन मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के पहले दिन जांच हुई। 12 तरह के हार्मोन का पता लगाने के लिए टेस्ट किए गए, इनमें टेस्टोस्टेरॉन और डाइहाइड्रॉक्सीटेस्टोस्टेरॉन शामिल थे। शोधकर्ताओं के मुताबिक, 68.6 फीसदी मरीजों में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम मिला। यह हार्मोन वायरल इंफेक्शन से लड़ने में इम्यून सिस्टम की मदद करता है।
इम्यून सिस्टम का तेजी से रिएक्ट करना भी खतरनाक
शोधकर्ताओं का कहना है कि टेस्टोस्टेरॉन इंसानों के इलाज में अहम रोल अदा करता है। लेकिन कई बार इसके कारण इम्यून सिस्टम वायरस या बैक्टीरिया को इतनी तेजी से मारने की कोशिश करता है कि यह कंट्रोल से बाहर हो सकता है। इस स्थिति को सायटोकाइन स्टॉर्म कहते हैं। इसके कारण फेफड़े डैमेज हो सकते हैं और सांस से जुड़ी समस्या हो सकती है।