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88 % पेरेंट्स बोले- बच्चों में गैजेट इस्तेमाल करने का समय बढ़ा, 43 % ने कहा- ये जरूरत से ज्यादा स्क्रीन पर बिता रहे समय

  • बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था ‘क्राय’ ने 23 राज्यों में किया सर्व, पेरेंट्स से ऑनलाइन पूछे सवाल
  • 43 फीसदी ऐसे पेरेंट्स हैं जो लॉकडाउनके दौरान बच्चों पर ऑनलाइन नजर रख रहे हैं

दैनिक भास्कर

May 14, 2020, 11:08 PM IST

लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है। 88 फीसदी पेरेंट्स का कहना है कि बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है यानी वे गैजेट का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। 45 फीसदी कह रहे हैं कि बच्चे जरूरत से ज्यादा स्क्रीन पर समय बिता रहे हैं। मात्र 43 फीसदी ही ऐसे पेरेंट्स हैं जो बच्चों पर ऑनलाइन नजर रख रहे हैं। यह दावा, बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था ‘क्राय’ ने अपने एक सर्वे में किया है।

पेरेंट्स-बच्चों के बीच लॉकडाउन के असर को समझने की कोशिश
संस्था ने 23 राज्यों के 1102 पेरेंट्स का ऑनलाइन इंटरव्यू किया और उनसे जाना कि लॉकडाउन का बच्चे पर क्या असर पड़ रहा है। सर्वे की मदद से यह समझनेकी कोशिश भी की गई कि क्या वह अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिता रहे हैं या नहीं। 

बच्चों में लॉकडाउन के साइड इफेक्ट दिख रहे
क्राय की चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर पूजा मारवाह का कहना है कि भले ही बच्चे कोरोना से नहीं जूझ रहे हैं लेकिन कोविड-19 का असर उन पर पड़ रहा है। सर्वे बताता है कि बच्चों में लॉकडाउन के साइड इफेक्ट दिखाई दे रहे हैं। उन पर शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तीनों तरह से असर पड़ रहा है। 

बच्चों से साथ लॉकडाउन पर चर्चा भी हुई

54 फीसदी पेरेंट्स ने कहा कि उन्होंने बच्चों से कोविड-19 और लॉकडाउन के बारे में चर्चा की। वहीं, 47 फीसदी का कहना है उन्होंने बच्चों को दूसरी एक्टिवटीज में व्यस्त करके लॉकडाउन से ध्यान हटाने की कोशिश की।

खाने का तरीका तक बदला

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 50 फीसदी से अधिक पेरेंट्स ने कहा, बच्चे उत्तेजित और बेचैन हो रहे हैं। 37 फीसदी ने कहा, लॉकडाउन के कारण बच्चों के खुश रहने पर असर पड़ा। 41 फीसदी पेरेंट्स बोले, बच्चों के खाने का तरीका भी कुछ हद तक बदला और 35 फीसदी ने कहा, यह काफी हद तक बदला है।

एक्सपर्ट एडवाइज : लॉकडाउन में यूं रखें बच्चों का ध्यान

  • सायकोलॉजिस्ट अनामिका पापड़ीवाल का कहना है कि थोड़ा समय बच्चों को दें। उनके साथ खेलें, उनसे कहानियां सुनें भी और सुनाएं भी। जिस तरह आप अपनी नानी-दादी से सुनते थे। वे बहुत कुछ अपने पेरेंट्स से कहना चाहते हैं सभी व्यस्त होने के कारण बोल नहीं पाते। उन्हें नई-नई एक्टिविटी में बिजी रखें जैसे पेंटिंग और ब्रेन गेम्स।

  • स्ट्रेस होने पर बच्चों में अलग-अलग लक्षण दिखते हैं। जैसे बहुत ज्यादा गुस्सा करना, बिस्तर पर पेशाब करना, परेशान दिखना, खुद को हर चीज से अलग कर लेना। ऐसे बदलाव दिखने पर पेरेंट्स को अलर्ट होने की जरूरत है।
  • ऐसी स्थिति में उनकी हर बात को ध्यान से सुनें। समय-समय पर उनसे बात करते रहें और उनके हर सवाल का जवाब प्यार और धैर्य के साथ दें। संभव हो तो उनके साथ समय बिताएं और इंडोर गेम्स खेलें।
  • कोशिश करें कि ऐसी स्थिति में बच्चे पेरेंट्स या घर के मेंबर के साथ ही रहें या केयरटेकर मौजूद हो तो वह इनका खास ध्यान रखें। 
  • अगर बच्चे से दूर हैं तो उनसे कनेक्ट रहें। कुछ घंटों के अंतराल पर उनसे फोन पर बातचीत करते रहें। जितना हो सके, उन्हें सामान्य माहौल जैसा ही महसूस कराएं। उनके मन में डर का माहौल न बनने दें।

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