September 17, 2024 : 8:15 PM
Breaking News
लाइफस्टाइल

कोरोना पीड़ितों को लैब में विकसित सेल्स से ठीक करने की तैयारी, गंभीर मरीजों पर बिना साइड इफेक्ट प्रयोग सफल

  • अमेरिका में सेडार-सिनाई मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने की रिसर्च, दावा- किसी भी मरीज में नहीं दिखा कोई साइड इफेक्ट 
  • हार्ट सेल थैरेपी का इस्तेमाल पहले हार्ट फैल्योर के मरीजों के लिए किया जाता था लेकिन यह पूरे शरीर के मददगार साबित हुई

दैनिक भास्कर

May 15, 2020, 12:25 PM IST

शोधकर्ता कोरोना के मरीजों का इलाज हार्ट सेल थैरेपी से करने की तैयारी कर रहे हैं। इस थैरेपी में लैब में विकसित हार्ट कोशिकाओं को मरीज के शरीर में इंजेक्ट किया है। कोरोना से मरने वाले ऐसे मरीजों की संख्या ज्यादा है जिनके शरीर में सूजन देखी गई थी। हार्ट सेल थैरेपी का इस्तेमाल इसी अतिरिक्त सूजन को कम करने के लिए किया जा रहा है। 

शुरुआती प्रयोग में इससे कुछ संक्रमित रिकवर हुए हैं और परिणाम बेहतर आए हैं, जिसके बाद कहा जा रहा है कि अब इसका बड़े स्तर पर ट्रायल किया जाएगा। 

मरीज वेंटिलेटर पर थे, 3 हफ्ते में ठीक हो गए
जर्नल बेसिक रिसर्च इन कार्डियोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक, कोरोना के 6 मरीज सांस लेने की तकलीफ से जूझ रहे थे। उन्हें ऑक्सीजन की सख्त जरूरत थी।  इस थैरेपी को लेने के वाले पांच मरीज वेंटिलेटर पर थे और हालत में भी सुधार दिखा। वहीं, एक अन्य मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी। थैरेपी के तीन हफ्ते बाद सभी मरीजों को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया।

थैरेपी कितनी सुरक्षित, यह पता लगाएंगे

यह प्रयोग अमेरिका के सेडार-सिनाई मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मरीजों में परिणाम बेहतर दिखे हैं लेकिन यह थैरेपी कोरोना पीड़ितों के लिए कितनी सुरक्षित है, इसका पता लगाया जाना बाकी है। हालांकि रिसर्च के अंत तक कोरोना के मरीजों में इस थैरेपी का कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखा।

क्या है हार्ट सेल थैरेपी

इस थैरेपी को CAP-1002 भी कहते हैं, जिसमें कार्डियोस्फियर-डेराइव्ड सेल्स का प्रयोग किया जाता है। ये कोशिकाएं लैब में इंसानी हृदय के ऊतकों (टिशू) से विकसित की जाती हैं। शुरुआत में इस थैरेपी का प्रयोग हार्ट फेल्योर के मरीजों पर किया जाता था बाद में यह पूरे शरीर के लिए मददगार साबित हुई।

ये कोशिकाएं इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद

शोधकर्ता डुआर्डो मार्बन के मुताबिक, रिसर्च में देखा गया है कि कार्डियोस्फियर-डेराइव्ड सेल्स शरीर के इम्यून सिस्टम के लिए काफी फायदेमंद हैं और कई बीमारियों में सूजन को घटाने का काम करती हैं। ये कोशिकाएं खास तरह के एक्सोसोम्स को रिलीज करती हैं जो पूरे शरीर में घूमते रहते हैं और असर दिखाते हैं।

बड़े स्तर पर ट्रायल की तैयारी

शोधकर्ता राज मक्कड़ के मुताबिक, रिसर्च टीम अब बड़े स्तर पर इस थैरेपी का ट्रायल करने की तैयारी कर रही है। अगले ट्रायल में शामिल होने वाले कोरोना पीड़ितों को दो समूह में रखा जाएगा। पहले समूह में वो मरीज रहेंगे जिनहें थैरेपी दी जाएगी और दूसरे समूह में शामिल मरीजों का सामान्य इलाज चलेगा। ऐसा करके नई चुनौतियों के सामने इस थैरेपी के असर को और भी बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा।

Related posts

महाशिवरात्रि 11 को: शिवलिंग पूजा करते समय करें महामृत्युंजय मंत्र जाप, इससे दूर होता है तनाव और मिलती है शांत

Admin

कैंसर से जूझ रहे मरीजों में कोविड-19 होने पर मौत का खतरा 28 फीसदी तक, अमेरिका, ब्रिटेन और स्पेन में ऐसे मामले सामने आ रहे

News Blast

इस तारीख को खुलेंगे बद्रीनाथ के कपाट, बर्फीले रास्तों पर ऐसे शुरू हुईं तैयारियां

News Blast

टिप्पणी दें