- स्कंद पुराण के अनुसार त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव-पार्वती की पूजा से पूरी होती है मनोकामना
दैनिक भास्कर
Jun 02, 2020, 07:46 PM IST
हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार प्रदोष व्रत 3 जून, बुधवार को है। प्रदोष व्रत भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने का शुभ दिन है। इस व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो भी पूरी श्रद्धा से इस व्रत को करता है और पूरे विधि-विधान से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करता है, उस पर भगवान शिव का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। बुधवार को ये व्रत होने से इसे बुध प्रदोष कहा जाएगा।
प्रदोष व्रत का महत्व
स्कंदपुराण में इस व्रत के बारे में ज़िक्र करते हुए लिखा गया है कि इस व्रत को किसी भी उम्र का व्यक्ति रख सकता है और इस व्रत को दो तरह से रखे जाने का प्रावधान है। कुछ लोग इस व्रत को सूर्योदय के साथ ही शुरू कर के सूर्यास्त तक रखते हैं और शाम को भगवान शिव की पूजा के बाद शाम को अपना व्रत खोल लेते हैं, तो वहीं कुछ लोग इस दिन 24 घंटे व्रत को रखते हैं और रात में जागरण करके भगवान शिव की पूजा करते हैं और अगले दिन व्रत खोलते हैं।
बुध प्रदोष महत्व
शिवपुराण के अनुसार प्रदोष व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वार के अनुसार अलग-अलग दिन त्रयोदशी तिथि का संयोग बनने पर उसके फल का महत्व भी बदल जाता है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के अनुसार बुधवार को त्रयोदशी तिथि होने से बुध प्रदोष का योग बनता है। इस संयोग में भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती है। बुधवार को प्रदोष व्रत रखने से नौकरी और बिजनेस में सफलता मिलती है। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती की पूजा से पहले गणेशजी की पूजा की जाती है। इससे हर तरह की मनोकामना पूरी हो जाती है। बुध प्रदोष का व्रत करने से हर तरह के रोग, शोक, दोष और कलह दूर हो जाते हैं।
- रविवार को प्रदोष व्रत होने से उसे भानु प्रदोष या रवि प्रदोष कहा जाता है। अच्छी सेहत और लंबी उम्र की कामना से ये व्रत किया जाता है।
- सोमवार को त्रयोदशी तिथि होने से सोम प्रदोष या चंद्र प्रदोष कहा जाता है। किसी खास मनोकामना को पूरी करने और नीरोगी रहने के लिए सोम प्रदोष का विशेष महत्व है।
- मंगलवार प्रदोष का संयोग बनने से उसे भौम प्रदोष कहते हैं। कर्ज और लंबे समय से चल रही बीमारी से छुटकारा पाने के लिए भौम प्रदोष व्रत किया जाता है।
- बुधवार को त्रयोदशी तिथि होने से बुध प्रदोष का संयोग बनता है। इस व्रत को करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और संपन्नता बढ़ती है।
- गुरुवार को प्रदोष व्रत होने से गुरु प्रदोष कहा जाता है। इस दिन व्रत करने से पुण्य मिलता है। हर तरह के पाप दूर हो जाते हैं। इस दिन शिव-पार्वती पूजा से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती है।
- शुक्रवार को प्रदोष होने से शुक्र प्रदोष का संयोग बनता है। इस दिन व्रत और शिव-पार्वती पूजा से समृद्धि आती है। सौभाग्य और दांपत्य जीवन में भी सुख बढ़ता है।
- संतान प्राप्ति के लिए शनिवार को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत से शत्रुओं पर जीत भी मिलती है। शनिवार को त्रयोदशी तिथि होने से शनि प्रदोष का संयोग बनता है।