- इन वैज्ञानिकों को मार्क जुकरबर्ग की कंपनी ‘चॉन जुकरबर्ग इनीशिएटिव’ शोध के लिए फंडिंग करती है, इनमें नोबेल पुरस्कार विजेता भी शामिल
- मार्क जुकरबर्ग से फेसबुक के कई वर्तमान और पूर्व कर्मचारी भी नाराज हैं, उन्होंने ट्रम्प के पोस्ट पर कोई एक्शन न लिए जाने पर आलोचना की है
दैनिक भास्कर
Jun 07, 2020, 10:05 PM IST
सैनफ्रांसिस्को. 140 से भी ज्यादा वैज्ञानिकों ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग से कहा है कि फेसबुक पर राष्ट्रपति ट्रम्प को काबू में रखें। उन्होंने जुकरबर्ग से फेसबुक पर गलत सूचनाएं और ट्रम्प के हिंसा को बढ़ावा देने वाले पोस्ट को रोकने के लिए कहा है। ये वे वैज्ञानिक हैं, जिनको मार्क जुकरबर्ग की कंपनी ‘चॉन जुकरबर्ग इनीशिएटिव (सीजेडआई)’ फंडिंग करती है।
अमेरिकी न्यूज वेबसाइट द वर्ज के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने जुकरबर्ग को लेटर लिखा है। इनमें हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और नोबेल पुरस्कार विजेता भी शामिल हैं।
वैज्ञानिकों ने कहा- फेसबुक अपनी नीतियों का पालन नहीं कर रही
वैज्ञानिकों ने लेटर में लिखा, ‘‘हमें यह देखकर निराशा हुई है कि आपने राष्ट्रपति ट्रम्प की पोस्ट पर अपनी नीतियों का पालन नहीं किया। ट्रम्प के हिंसा को बढ़ाने वाले वाले पोस्ट ‘जब लूट शुरू होगी, तो शूटिंग शुरू होगी’ पर आपने कुछ नहीं किया।’’
बता दें कि अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा और लूटपाट बढ़ गई थी। इस पर ट्रम्प ने धमकी देते हुए लूटपाट करने वालों को गोली मारने की चेतावनी देते हुए यह पोस्ट किया था। ट्विटर ने ट्रम्प के पोस्ट को हाइड करते हुए उसके ऊपर एक नोटिस लगा दिया था। ट्विटर ने इस पर कहा था कि हम हिंसा को बढ़ावा नहीं देते।
ट्रम्प वाले मामले पर फेसबुक से कई कर्मचारी नाराज
फेसबुक के कई वर्तमान और पूर्व कर्मचारी कंपनी से नाराज हैं। उन्होंने ट्रम्प के पोस्ट पर फेसबुक की ओर से कोई एक्शन न लिए जाने पर आलोचना की है। कर्मचारियों की नाराजगी को भांपते हुए जुकरबर्ग ने कहा कि फेसबुक अमेरिका और दुनिया भर में नस्लीय हिंसा पर काबू पाने में मदद करेगा। इस पर काम शुरू हो चुका है।
2015 में ‘चान जुकरबर्ग इनिशिएटिव’ की स्थापना हुई
फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिसिला चान ने ‘चान जुकरबर्ग इनिशिएटिव’ की स्थापना 2015 में की थी। इसकी स्थापना जुकरबर्ग की बेटी मैक्सिमा चान जुकरबर्ग के जन्म के दिन हुई थी। यह फेसबुक की एक परोपकारी संस्था है। इसका काम वैज्ञानिकों को शोध के लिए फंडिंग उपलब्ध करना होता है।