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भारत से बातचीत की कोशिश में नेपाल; हमारे इलाकों को नेपाल में दिखाने वाला नक्शा जारी किया था, इसके लिए बिल भी लाया था

  • नेपाल ने भारत के तीन इलाकों को अपना बताते हुए नया नक्शा भी जारी किया है
  • 9 जून तक संविधान संशोधन का बिल पास होने के आसार, ओली को विपक्ष का भी समर्थन

दैनिक भास्कर

Jun 07, 2020, 11:24 PM IST

नई दिल्ली. हफ्तेभर पहले ही नए नक्शे को संविधान में शामिल करने के लिए संशोधन का बिल पेश करने वाला नेपाल अब कूटनीतिक पैंतरेबाजी में जुट गया है। इस नक्शे में भारत के तीन इलाकों को नेपाल की सीमा में दिखाया गया है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, नेपाल की सरकार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भारत के साथ विदेश सचिव स्तर की बातचीत की मांग कर रही है। अभी ऐसा नहीं लग रहा कि भारत इस पर सहमत होगा। 

भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने हमेशा बातचीत की पेशकश की है, लेकिन यह बातचीत सार्थक होनी चाहिए। अगर नेपाल पहले से ही अकेले ही कोई कदम उठा लेता है तो बातचीत की क्या जरूरत? 

सीमा विवाद को नेपाल ने राष्ट्रवाद से जोड़ा

नेपाल ने संविधान संशोधन की प्रक्रिया को तेजी से बढ़ाया है। सरकार ने संविधान संशोधन का प्रस्ताव भी पेश कर दिया है। 9 जून तक इस प्रस्ताव के पास होने की संभावना है। इस मुद्दे को राष्ट्रवाद से जोड़ने के बाद विपक्ष भी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को समर्थन दे रहा है। 

1 जून को पेश किया था संविधान संशोधन का बिल
नेपाल सरकार ने 1 जून को अपने नए नक्शे को संविधान में शामिल करने के लिए संसद में बिल पेश किया है। इस नए नक्शे में भारत के तीन इलाके लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा शामिल हैं। इससे पहले, 27 मई को ओली संविधान संशोधन का बिल पेश नहीं कर पाए थे। मधेसी पार्टियों ने बिल पर असहमति जताई थी।

बिल को पास होने के लिए संसद में सरकार को दो तिहाई समर्थन चाहिए। सरकार के पास अभी 10 वोट कम हैं। हालांकि, इस बार इस बिल के 9 जून तक पास हो जाने के पूरे आसार हैं।

नेपाल ने 18 मई को नया नक्शा जारी किया था
भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया था, इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया मानचित्र जारी किया था। इसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में बताया।

भारत ने नेपाल के सभी दावों को खारिज करते हुए कहा था कि नेपाल का नया नक्शा ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित नहीं है। भारत के सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने कहा था कि नेपाल ने ऐसा किसी और (चीन) के कहने पर किया। भारत और नेपाल 1800 किलोमीटर का बॉर्डर शेयर करते हैं।

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