- एक्सपर्ट का कहना है कि आर्मी अफसरों की नियुक्ति से इमरान खान की सत्ता पर पकड़ कमजोर होगी
- पाकिस्तान के सात दशक के इतिहास में ज्यादातर सेना का ही शासन रहा है
दैनिक भास्कर
Jun 10, 2020, 07:22 PM IST
इस्लामाबाद. पाकिस्तान सरकार पर अन-ऑथराइज तरीके से वहां की सेना का कंट्रोल है। ब्लूमबर्ग मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान खान की सरकार में 12 से ज्यादा प्रमुख पदों पर आर्मी के मौजूदा या पूर्व अफसर काबिज हैं। ये अफसर एयर कैरियर, बिजली विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान जैसे विभागों में नियुक्त हैं। तीन अपॉइंटमेंट पिछले 2 महीनों में हुए हैं।
इमरान की लोकप्रियता घटी
पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई और सरकारी लोगों के भ्रष्टाचार में शामिल होने से प्रधानमंत्री इमरान खान का प्रभाव और लोकप्रियता कम हुई है। इसके चलते सेना का कद बढ़ गया है। विश्लेषकों ने लंबे समय से सेना के समर्थन को इमरान की पार्टी के लिए अहम माना है।
पाकिस्तान में ये कोई नई बात नहीं है। यहां सेना सबसे पावरफुल है और उसने अपने सात दशक के इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक देश पर शासन किया है। 2018 में जब इमरान प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने नया पाकिस्तान बनाने का वादा किया, ये वादा अब उन पर भारी पड़ने लगा है।
देश की नीतियों में आम लोगों की कोई जगह नहीं
अटलांटिक काउंसिल में नॉन-रेसिडेंट सीनियर फैलो उजैर युनूस के मुताबिक अहम पदों पर आर्मी अफसरों की नियुक्ति कर सरकार ये जता रही है कि देश में नीति बनाने और उन्हें लागू करने में आम लोगों की कोई जगह नहीं है। पाकिस्तान में इस वक्त कई आर्मी अफसरों को टीवी पर ब्रीफिंग करते देखा जा सकता है। ये अफसर महामारी रिस्पॉन्स टीम की मदद करते देखे जा सकते हैं। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल असीम सलीम बाजवा अब इमरान खान के कम्युनिकेशन एडवाइजर हैं।
आर्थिक संकट की वजह से तनाव बढ़ रहा
इमरान लंबे समय से इन आरोपों को खारिज करते रहे हैं कि 2017 के चुनाव से पहले से वे सेना के करीबी थे। हालांकि, पिछले साल उन्होंने मीडिया से कहा था कि सेना उनके साथ खड़ी है। महामारी के चलते पाकिस्तान में आर्थिक संकट की स्थिति है। इस वजह से तनाव बढ़ रहा है। भारत के बाद पाकिस्तान एशिया में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित देशों में से एक है। वहां मरीजों की संख्या अब तक 1.13 लाख पहुंच चुकी है, जबकि 2,200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी।
जीडीपी ग्रोथ माइनस में पहुंची
पाकिस्तान में आर्थिक विकास दर पहली बार माइनस में पहुंच गई है। वहां के सेंट्रल बैंक का मानना है कि जून के आखिर तक जीडीपी में 1.5% गिरावट आएगी। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से अप्रैल में 1.4 अरब डॉलर का इमरजेंसी फंड मिला था। न्यूयॉर्क की रिस्क एडवाइजरी फर्म वाइजर कंसल्टिंग के अध्यक्ष आरिफ रफीक का कहना है कि पाकिस्तान में आर्थिक चुनौतियां लगातार बढ़ रही है। अहम पदों पर सेना के अफसरों की नियुक्ति करने से इमरान की सत्ता पर पकड़ कमजोर होती रहेगी और वे दबाव में आ जाएंगे।