- पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून की आड़ में लोगों को जेल में डाला जा रहा
- हिंदू और ईसाईयों के साथ ही अहमदिया और हजारा मुस्लिम भी खतरे में
दैनिक भास्कर
Jun 11, 2020, 02:05 PM IST
वॉशिंगटन. अमेरिका की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं। यहां पर उनकी हत्या और जबरन धर्मांतरण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई के अलावा शिया मुस्लिम भी खतरे में हैं। यहां हजारा और अहमदिया मुस्लिमों की हत्याएं बढ़ी हैं। अमेरिका की रिपोर्ट में चीन पर भी उइघर, ईसाई, मुस्लिम, तिब्बती बौद्धों पर अत्याचार करने के आरोप लगाए गए हैं।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने इंटरनेशनल रिलीजियस रिपोर्ट-2019 जारी की है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून की आड़ में कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से हिंसा हुई। हिंदू और ईसाई युवतियों का अपहरण कर जबरन मुस्लिमों से शादी कराने की घटनाएं भी बढ़ी हैं। हिंदू और ईसाई के साथ अहमदियाओं के पवित्र स्थानों, कब्रिस्तानों, श्मशान पर हमले की भी घटनाएं बढ़ी हैं।
अहमदी सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइजेशन के अनुसार पाकिस्तान अहमदियों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले विज्ञापनों और भाषणों को रोकने में फेल रहा है। हालांकि, पाकिस्तान ने अपने नेशनल एक्शन प्लान में इसे रोकने का वादा किया था, लेकिन आज तक इस दिशा में कुछ नहीं किया।
ईशनिंदा के आरोप में 84 लोगों को जेल, 29 को मौत की सजा
सिविल सोसाइटी रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के तहत अभी 84 लोग जेल में हैं, इसमें 29 लोगों को मौत की सजा भी सुनाई जा चुकी है। इससे पहले 2018 में 77 लोगों को इसी आरोप में जेल हुई थी और 28 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। रिपोर्ट में बताया कि सरकार इतनी उदासीन है कि इन मामलों में सही से कार्रवाई तक नहीं करती है। साथ ही वह कट्टरपंथियों की नाराजगी भी नहीं लेना चाहती है।
रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में भेदभाव होता है
रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के बच्चों को पढ़ने का अवसर बहुत मुश्किल से मिलता है। स्कूलों में उनके साथ भेदभाव किया जाता है। इसके चलके अल्पसंख्यक अच्छे पदों पर नौकरी नहीं पाते हैं और उनका सामाजिक स्तर नहीं उठ पाता।