
अंकिता भकत
पेरिस ओलंपिक 2024 का आधिकारिक आगाज 26 जुलाई (शुक्रवार) को होगा। इससे पहले तीरंदाजी के क्वालिफाइंग राउंड एक दिन पहले शुरू हो चुके हैं। महिला तीरंदाजी रैंकिंग राउंड गुरुवार को खत्म हो गया जिसमें भारत की तीन तीरंदाज दीपिका कुमारी, अंकिता भकत और भजन कौर मैदान पर उतरीं। अंकिता 666 के अपने सीजन बेस्ट स्कोर के साथ 11वें स्थान पर रहीं, जबकि भजन 659 के स्कोर के साथ 22वें और दीपिका 658 के स्कोर के साथ 23वें स्थान पर रहीं।
पश्चिम बंगाल की रहने वाली अंकिता भकत ने अपनी मेहनत के दम पर इस मुकाम को हासिल किया है। वह भारत के लिए पदक तीरंदाजी में पदक जीतने की सबसे बड़ी दावेदार मानी जा रही हैं। आज हम आपको अंकिता के संघर्षों की कहानी बताएंगे। आइये जानते हैं…
महज 10 वर्ष की आयु में अंकिता ने तीरंदाजी में हाथ आजमाना शुरू कर दिया था। उन्होंने कोलकाता के सर्कस मैदान में एक स्थानीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में भाग लिया था। उनके पिता दूध का कोरबार करते थे। परिवार का आर्थिक हालात भी कुछ खास ठीक नहीं थे। इस सबके बावजूद अंकिता ने कभी हार नहीं मानी और संघर्ष किया। उन्होंने स्थानीय क्लब में उधार के उपकरणों से अभ्यास शुरू किया और तीरंदाजी के गुण सीखे। उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2014 में उन्हें टाटा तीरंदाजी अकादमी में जगह मिली। करियर के शुरुआती दौर में अंकिता ने तीरंदाजी की कला कोच धर्मेंद्र तिवारी, पूर्णिमा महतो और राम अवधेश के मार्गदर्शन में सीखी।

अंकिता भकत

अंकिता ने अपने करियर का पहला गोल्ड 2022 में जीता था। जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में हुए खेलो इंडिया महिला नेशनल रैंकिंग तीरंदाजी टूर्नामेंट में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था। अंकिता 2017 अंडर 21 विश्व चैंपियनशिप में मिश्रित टीम (जेम्सन सिंह निंगथौजाम के साथ) में स्वर्ण पदक विजेता हैं। वह हांग्जो 2022 एशियाई खेलों में टीम रिकर्व कांस्य पदक विजेता (भजन कौर और सिमरनजीत कौर के साथ) हैं और तीन बार की एशियाई चैंपियनशिप टीम पदक विजेता हैं – 2021 में रजत, 2019 और 2023 में कांस्य। अब वह पेरिस ओलंपिक में धमाल मचाने के लिए तैयार हैं।