April 20, 2024 : 5:37 PM
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भारत आज से करेगा जी-20 की अध्यक्षता, पीएम मोदी ने बताया एजेंडा

पीएम मोदी

हिंदी अख़बार दैनिक भास्कर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसमें उन्होंने भारत की जी-20 की अध्यक्षता पर बात की है.

पीएम मोदी ने इस लेख में उनके नेतृत्व वाली सरकार की उपलब्धियों और आने वाले उद्देश्यों की तरफ़ ध्यान दिलाया है.

ये लेख ‘नरेंद्र मोदी का कॉलम’ नाम के एक सेक्शन में दिया गया है. इसका शीर्षक है ‘भारत की जी-20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की भावना को बढ़ावा देने की ओर काम करेगी’.

इस बार जी-20 की अध्यक्षता की ज़िम्मेदारी भारत के पास है जिसकी शुरुआत आज से हो रही है. भारत की अगुवाई में जी-20 शिखर बैठक का आयोजन होगा.मोदी का कहना है कि भारत ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की थीम के साथ भारत 50 से अधिक शहरों में 200 से ज्यादा बैठकों का आयोजन करेगा.

पीएम ने अपने लेख में कहा, “जी-20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय कराधान (टैक्स सिस्टम) को तर्कसंगत बनाने, विभिन्न देशों के सिर से कर्ज़ के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए. हम इन उपलब्धियों से लाभान्वित होंगे, यहां से आगे बढ़ेंगे.”

“पूरे इतिहास के दौरान मानवता का जो स्वरूप होना चाहिए था, उसमें एक प्रकार की कमी दिखी. हम सीमित संसाधनों के लिए लड़े, क्योंकि हमारा अस्तित्व दूसरों को उन संसाधनों से वंचित कर देने पर निर्भर था. दुर्भाग्य से हम आज भी उसी मानसिकता में अटके हुए हैं. हम इसे तब देखते हैं, जब आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को हथियार बनाया जाता है, जब कुछ लोगों द्वारा टीकों की जमाखोरी की जाती है, भले ही अरबों लोग बीमारियों के कारण असुरक्षित हों. कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि टकराव और लालच मानवीय स्वभाव है. मैं इससे असहमत हूं.”उन्होंने लिखा, “अगर मनुष्य स्वाभाविक रूप से स्वार्थी है तो हम सभी में मूलभूत एकात्मता की हिमायत करने वाली आध्यात्मिक परंपराओं के स्थायी आकर्षण को कैसे समझा जाए? आज हमें अस्तित्व के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है- इस युग को युद्ध का युग होने की जरूरत नहीं. आज हम जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, महामारी जैसी जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान मिलकर काम करके ही निकाल सकते हैं.”उन्होंने लिखा, “अगर मनुष्य स्वाभाविक रूप से स्वार्थी है तो हम सभी में मूलभूत एकात्मता की हिमायत करने वाली आध्यात्मिक परंपराओं के स्थायी आकर्षण को कैसे समझा जाए? आज हमें अस्तित्व के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है- इस युग को युद्ध का युग होने की जरूरत नहीं. आज हम जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, महामारी जैसी जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान मिलकर काम करके ही निकाल सकते हैं.”

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