March 29, 2024 : 2:25 AM
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यूपी में 40 दिनों से हो रहा बेटे के शव का इंतज़ार, सऊदी अरब से कब आएगा राम मिलन का शव-

 

राम मिलन

26 साल के राम मिलन के शव का इंतज़ार उत्तर प्रदेश के कौशांबी के ‘अमुरा’ गांव में उनके परिवार को कई हफ़्तों से है.

राम मिलन की मौत 18 अगस्त 2022 को सऊदी अरब के दम्माम शहर में हो गई थी जहां राम मिलन ‘प्रिंस मोहम्मद बिन फ़हद यूनिवर्सिटी’ में सफ़ाई कर्मचारी थे.

“बेटे की मौत की ख़बर के बाद घर में दस दिन तक चूल्हा नहीं जला. पास-पड़ोस व रिश्तेदार दो वक़्त के खाने की व्यवस्था करते थे. लेकिन ये कब तक चलता क्योंकि बेटे का शव न आने के कारण शोक की अवधि बढ़ती जा रही थी.” ये कहना है राम मिलन की 65 साल की मां नत्थी देवी का.

जब उनसे राम मिलन की मौत के बारे में पूछा गया तो उनके आंसू रुक नहीं रहे थे और वो एक ही वाक्य दोहराती जा रही थीं कि “किसी तरह मेरे बेटे का चेहरा एक बार मुझे दिखा दें.राम मिलन की दो बेटियां हैं, संजना की उम्र महज़ छह महीने है तो बड़ी बेटी संध्या तीन साल की है.

राम मिलन की पत्नी राजवंती ने बताया कि दोनों बेटियों को बेहतर शिक्षा मिल सके, ये सपना आंखों में संजोए ही उनके पति सऊदी अरब गए थे.

भर्राती हुई आवाज़ में उन्होंने बताया, “अरब जाने से पहले वह कभी ईंट भट्ठे में काम करते तो कभी खेतों में, कभी दिल्ली तो कभी मुम्बई जाकर मज़दूरी करते. इस तरह साल में 20 से 30 हज़ार रुपये ही बचा पाते. इसका एक बड़ा हिस्सा मेरी सास व ससुर के इलाज में ख़र्च हो जाता. इसलिए राम मिलन ने अरब का रुख़ किया.”

उनकी मां नत्थी देवी ने कहा कि बेटे को अरब भेजने में एक लाख तीस हज़ार रुपये ख़र्च हुए थे. वे कहती हैं, “इनमें से लगभग 85 हज़ार रुपये मैंने रिश्तेदारों से क़र्ज़ लिया, जो अभी तक अदा नहीं हो सका है. जबकि कुछ रक़म मेरी बहू ने अपने गहने बेचकर जुटाई.”

राजवंती ने कहा, “मैंने गहने बेच दिए कि कल जब पैसे होंगे तब वापस गहने ख़रीद लूंगी, लेकिन भविष्य कौन जानता है. अब वो इस दुनिया में नहीं हैं. दो बेटियों और सास-ससुर की ज़िम्मेदारी मुझ पर है, जीविका चलाने के लिए अब वह गहने भी नहीं हैं जिन्हें बेच सकूं.”

राम मिलन के 70 वर्षीय पिता इंद्रजीत सरोज दमा के मरीज़ हैं. वह बताते हैं, “मैंने चार बेटों को रिक्शा चला कर पाला-पोसा. दमा के कारण आठ वर्षों से घर पर हूं. तीन बेटे अलग रहते हैं. मैं राम मिलन के परिवार के साथ रहता हूं. पांच वर्ष पहले मुझे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ये घर मिला, तब जाकर सर ढकने को छत नसीब हुई. जब बेटा अरब गया तो लगा कि हालात बदल जाएंगे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था.”बेटे के बारे में पिता बताते हैं, “इस साल 27 फ़रवरी को मैन पावर सप्लाई कंपनी के एक हज़ार रियाल के वेतन पर मेरा बेटा जेद्दाह गया. पहले महीने उसे सिर्फ़ पंद्रह दिनों तक काम मिला जिसकी सैलरी भी मिली. लेकिन फिर तीन महीने तक उसका काम बंद रहा. हालांकि इस दौरान कंपनी उन्हें खाने के लिए तीन सौ रियाल देती रही. वे फ़ोन करके कहते थे कि परेशान न हों, काम शुरू होते ही क़र्ज़ चुकता कर दूंगा.”

कैसे हुई मौत, बेटे ने आखिरी बार क्या बताया था?

मिलन से अंतिम बार क्या बात हुई, इस प्रश्न पर राम मिलन की माता नत्थी देवी ने कहा कि 18 अगस्त की सुबह बेटे से अंतिम बार बात हुई. उस दिन ड्यूटी पर जाने से पहले राम मिलन ने वीडियो कॉल की थी. बातचीत के दौरान उसने कहा कि “अम्मा मुझे सीने में दर्द हो रहा है. उसके बाद उसने अपनी शर्ट उतार कर दिखाया कि अम्मा देखिए कितना पसीना आ रहा है.”

नत्थी देवी ने बताया कि राममिलन से मैंने कहा कि आज तुम काम पर मत जाओ. अपने कमरे में आराम करो. ज़रूरत पड़े तो डॉक्टर को दिखा दो. इसके बाद राममिलन ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी.

राजवंती ने कहा, “पति के सीने में दर्द वाली बात से मैं बहुत परेशान थी. इसलिए खाना बनाने के बाद लगभग 11 बजे से मैंने उनको कॉल लगाना शुरू किया. लेकिन उनसे बात नहीं हुई. उसके बाद पुणे में रहने वाले मेरे भाई ने शाम को कॉल कर के बताया कि राम मिलन की हार्ट अटैक से मौत हो गई है. ये ख़बर उन्होंने फ़ेसबुक पर उनके किसी मित्र की टाइमलाइन पर पढ़ी.”

राजवंती ने बताया, “हम सभी को यक़ीन नहीं हुआ क्योंकि छह वर्षों के अपने वैवाहिक जीवन में राम मिलन को कभी बीमार पड़ते नहीं देखा. बहरहाल ख़बर मिलते ही मैंने जेठ उमेश कुमार को बताया. उन्होंने राम मिलन के सुपरवाइज़र सूर्या नारायण को दम्माम कॉल लगाई.”

राम मिलन के 28 वर्षीय भाई उमेश कुमार सरोज कहते हैं, “मैंने फ़ौरन सुपरवाइज़र से संपर्क करते हुए कहा कि आपने मेरे भाई का इलाज डॉक्टर से क्यों नहीं कराया. उन्होंने कहा कि राम मिलन ने इतना समय ही नहीं दिया कि हम कुछ कर पाते.”

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