2021 में मप्र में 10,648 और राजस्थान में 5,354 बच्चे अपने परिवार से अगल हो गए। इसके अनुसार 2020 की तुलना में 2021 में मप्र और राजस्थान में लापता होने वाले बच्चों की संख्या में क्रमश: 20 और 61 फीसदी की वृद्धि हुई है।
लापता बच्चों के मामले में मप्र और राजस्थान टॉप पर हैं
साल 2021 में मध्य प्रदेश में 29 और राजस्थान में हर दिन औसतन 14 बच्चे लापता हो गए। मप्र में 10,648 और राजस्थान में 5,354 बच्चे अपने परिवार से अगल हो गए। पिछले साल 2020 में यह आंकड़ा 8,751 और 3,179 ही था। यह दावा चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) की ‘स्टेटस रिपोर्ट ऑन मिसिंग चिल्ड्रन’ रिपोर्ट में किया गया है।
आंकड़ों के अनुसार 2020 की तुलना में 2021 में मप्र और राजस्थान में लापता होने वाले बच्चों की संख्या में क्रमश: 20 और 61 फीसदी की वृद्धि हुई है। आइए…मप्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में लापता होने वाले बच्चों के बारे में सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं।
मध्यप्रदेश: लापता बच्चों की संख्या में 26 फीसदी की बढ़ोत्तरी
मप्र में 2021 में हर दिन औसतन 29 बच्चे लापता गए। इनमें 24 लड़कियां और 5 लड़के शामिल हैं। हैरानी की बात तो यह है कि, प्रदेश के जिन जिलों से रोजाना इतने बच्चे लापता हो रहे हैं। वह कोई छोटे जिले नहीं हैं। सफाई लगातार नंबर वन रहने वाला इंदौर इस मामले में भी पहले नंबर पर ही है। इसके बाद भोपाल, धार, जबलपुर और रीवा का नाम आता है। सरकार के तमाम दावों और प्रयासों के बाद भी प्रदेश से लगातार बच्चे लापता हो रहे हैं। पिछले साल 11 महीनों के आंकड़े के अनुसार प्रदेश में 10,648 बच्चे लापता हुए हैं, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 8,751 था। ऐसे में लापता बच्चों की संख्या में करीब 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। लापता हुए 10,648 बच्चों में से 8,876 लड़कियां हैं। राजस्थान: हर रोज लापता हो रही 12 लड़कियां, 2020 की तुलना में 61 फीसदी की वृद्धि
प्रदेश में 2021 में रोजाना औसतन 14 बच्चे अपने परिवार से दूर हो गए। इनमें 12 लड़कियां और 2 लड़के शामिल हैं। पिछले साल प्रदेश में लापता बच्चों के 5,354 मामले दर्ज किए गए, इससे पहले 2020 में 3,179 केस दर्ज किए गए थे। 2020 की तुलना में राजस्थान में लापता बच्चों की संख्या में करीब 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2021 में लापता हुए बच्चों में ज्यादातर लड़कियां की है। इसके अलावा 2020 में 2,222 बच्चों की तस्करी की गई थी। जिसमें राजस्थान में सबसे अधिक 815 मामले दर्ज किए गए थे।
उत्तर प्रदेश: 58 जिलों से 2,998 बच्चे लापता, इनमें 2,163 लड़कियां
राज्य के 75 जिलों में से 58 में पिछले साल 2,998 बच्चे लापता हो गए। जिनमें 2,163 लड़कियां और 835 लड़के शामिल थे। इन बच्चों में करीब 88.9 फीसदी बच्चे 12 से 18 उम्र के थे। बच्चों के लापता होने के मामले में लखनऊ, मुरादाबाद, कानपुर नगर, मेरठ और महाराजगंज टॉप पांच जिलों में शामिल हैं। बाकी बचे 17 जिलों को डाटा और मिलता तो लापता बच्चों की संख्या में और भी इजाफा हो सकता था।
दिल्ली: आठ जिलों से हर दिन लापता हो रहे पांच बच्चे
क्राई की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के आठ जिलों में हर दिन पांच बच्चे लापता हुए। 2021 में लापता बच्चों का आंकड़ा 1,641 दर्ज किया गया। इन बच्चों की उम्र 12 से 18 साल के बीच थी। लापता बच्चों की संख्या उत्तर पूर्व जिले में सबसे अधिक और दक्षिण पूर्व जिले के लिए सबसे कम रही। उत्तर पूर्व जिले से 12-18 उम्र के सबसे अधिक बच्चे लापता हुए हैं। पश्चिम, उत्तर पश्चिम और दक्षिण जिलों के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए गए। इन जिलों के आंकड़े मिलते तो लापता बच्चों का आंकड़ा और अधिक होता।चार साल में 12 फीसदी बढ़ा देश में लड़कियों के लापता होने का अनुपात
क्राई नॉर्थ की क्षेत्रीय निदेशक सोहा मोइत्रा ने संस्था की रिपोर्ट पर कहा, यह गंभीर चिंता का विषय है कि लापता बच्चों की संख्या में लड़कियों की तादात काफी अधिक है। यह पिछले पांच साल लगातार बनी हुई है। उन्होंने कहा, एनसीआरबी डेटा के अध्ययन में सामने आया कि देशभर में लापता होने वाले बच्चों की संख्या में बालिकाओं का अनुपात 2016 में लगभग 65 फीसदी था। 2020 में बढ़कर यह 77 फीसदी हो गया है।
मोइत्रा ने कहा, चारों राज्यों में यह ट्रेंड रहा है। मप्र और राजस्थान में लापता बच्चियों की संख्या सबसे अधिक है। लड़कियों के लापता होने की घटना में घरेलू नौकरों की बढ़ती मांग, देह व्यापार, घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार और उपेक्षा सबसे बड़ा कारण है। कुछ मामलों में लड़कियां खुद ही घर से भाग जाती हैं। मोइत्रा ने यह भी कहा, लापता लड़कों की संख्या भी गंभीर चिंता का विषय है। कोरोना महामारी के दौरान असंगठित क्षेत्र में सस्ते श्रम की कमी के कारण बाल श्रम की मांग बढ़ गई है।