October 10, 2024 : 9:41 AM
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ज्ञानवापीः मस्जिद सर्वे में ‘शिवलिंग’ मिलने पर क्या कह रहे हैं बनारस के कुछ मुसलमान

हिन्दू पक्ष का कहना है कि यह शिवलिंग ही है. वहीं मुस्लिम पक्ष इसे वज़ूख़ाने में लगा फ़व्वारा बता रहे हैं. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को निचली कोर्ट की कार्यवाही पर स्टे लगा दिया है.

बीबीसी हिन्दी ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर बनारस के आम मुसलमानों से जानना चाहा कि पूरे मसले पर उनकी क्या राय है?

मोहम्मद अली
मोहम्मद अली

‘1991 के कानून के बाद इस सर्वे का क्या मतलब’

नदेसर इलाक़े में पिछले 14 सालों से गाड़ियों के कलपुर्जों का कारोबार कर रहे मोहम्मद अली इस पूरे मसले को राजनीति क़रार देते हैं.

वो कहते हैं,”जब 1991 में पूजा या इबादत स्थल को लेकर क़ानून बनाया जा चुका है तो इस तरह के सर्वे का क्या मतलब है. या तो क़ानून नहीं बनाना चाहिए था. ये तो ख़ुद कोर्ट ही क़ानून के ख़िलाफ़ काम कर रहा है. “

जहां तक शिवलिंग मिलने की बात है तो मैंने वहां बीसों बार नमाज़ पढ़ी है और वज़ू बनाया है. वहां फ़व्वावरा है. आप धरहरा मस्जिद चले जाइये, खोआ मंडी के बग़ल में भी वैसा ही फ़व्वारा है. दिल्ली के जामा मस्जिद में जो हौज़ हैं वहाँ भी ऐसा ही फ़व्वारा है.”

मंसूर क़ासिम

व्यापार पर बुरा असर’

इसी इलाक़े के एक दूसरे ऑटो पार्ट्स कारोबारी मंसूर क़ासिम कहते हैं कि मंदिर-मस्जिद मसले का व्यापार पर बहुत‍ बुरा प्रभाव पड़ा है. बक़ौल मंसूर चौक गौदौलिया के दुकानदारों का व्यापार बाधित हुआ है. बाहर से आने वाले व्यापारी नहीं आ रहे हैं.

मंसूर कहते हैं,”कोर्ट का जो भी आदेश होगा वो हम मानेंगे. बाबरी मस्जिद को लेकर जो भी आदेश हुआ माना गया. मैं आपसे ये सवाल करता हूं कि ये कहां तक न्याायोचित है?”

“अब मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है. वास्तुकला में घर के इंटीरियर में इस तरह के शिवलिंग के आकार की बहुत सी चीज़ें मिलती हैं. तो क्या इन सब चीज़ों को शिवलिंग मान लिया जाए.”

मंदिर मस्जिद की नहीं कारोबार की है ज़रूरत’

दो दशक से हार्डवेयर की दुकान चला कर अपने परिवार का पेट पाल रहे रोमी कहते हैं कि देश को मस्जिद या मंदिर की नहीं नौकरी व कारोबार की ज़रूरत है.

कार मैकेनिक सरवर अली इस पूरे मसले को ही ‘फ़ालतू’ क़रार देते हैं और कहते हैं कि जो फ़ालतू लोग होते हैं वो इस तरह की बातों पर लगे हैं, और उनकी कोशिश है कि हिन्दू मुसलमान आपस में लड़ें.

सरवर आगे कहते हैं,” रोज़ी रोटी सबसे पहला मुद्दा है. आप अपने धर्म को मानें दूसरा अपने धर्म को. लड़ाई किस बात की और इससे फ़ायदा किसको है. इस तरह की बातों से माहौल ख़राब होगा. लोग दूर-दूर से विश्वनाथ जी का दर्शन करने आते हैं, गंगा जी नहाने आते हैं. अगर ऐसा ही माहौल रहा तो यहां कोई नहीं आएगा. “

उनकी कोशिश है हिन्दू-मुसलमान आपस में लड़ें”

कार मैकेनिक सरवर अली इस पूरे मसले को ही ‘फ़ालतू’ क़रार देते हैं और कहते हैं कि जो फ़ालतू लोग होते हैं वो इस तरह की बातों पर लगे हैं, और उनकी कोशिश है कि हिन्दू मुसलमान आपस में लड़ें.

सरवर आगे कहते हैं,” रोज़ी रोटी सबसे पहला मुद्दा है. आप अपने धर्म को मानें दूसरा अपने धर्म को. लड़ाई किस बात की और इससे फ़ायदा किसको है. इस तरह की बातों से माहौल ख़राब होगा. लोग दूर-दूर से विश्वनाथ जी का दर्शन करने आते हैं, गंगा जी नहाने आते हैं. अगर ऐसा ही माहौल रहा तो यहां कोई नहीं आएगा. “

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