ग्वालियर/मुरैना. बच्चों की सलामती की दुआ करने और लोगों की खुशियों में बधाई मांगने वाले किन्नर बुरे वक्त में मददगार भी होते हैं. मुरैना के अंबाह में किन्नरों ने समाज के सामने एक ऐसी ही मिसाल पेश की. उन्होंने एक बेसहारा बुजुर्ग मां की बेटी की शादी में भात की रस्म निभाई. शादी के बाद बच्चा हुआ तो किन्नरों ने मामा-मामी बनकर रस्में निभाईं और मां-बेटे को ढेरों कीमती उपहार दिए.
गौरतलब है कि अंबाह की प्रताप कॉलोनी में रहने वाले डोंगर सिंह जाटव की दो साल पहले मौत हो गई थी. पति की मौत के बाद 60 साल की पत्नी चरणदेवी, बेटी पूनम और दिव्यांग बेटे के सामने संकट खड़ा हो गया. चरण देवी ने रिश्तेदारों की मदद से अपनी बेटी पूनम की शादी पिछले साल 14 मार्च को तय की. बेटा दिव्यांग होने से चरण देवी के सामने भात की रस्म अदायगी का संकट खड़ा हो गया.
इस तरह निभाया फर्ज
इधर, शादी की खबर लगते ही राबिया किन्नर अपनी टीम के साथ चरणदेवी के घर पहुंची, लेकिन राबिया को जब चरण देवी ने हालातों के बारे में बताया तो राबिया ने भाई बनकर फर्ज निभाया. शादी के लिए राबिया ने भात की रस्म के लिए हजारों रुपये पूनम के ससुराल भिंड भेजे. शादी के बाद पूनम अपनी ससुराल में खुशहाल रहने लगी. उसने एक बच्चे को जन्म दिया. जब राबिया किन्नर को पता चला कि पूनम को बच्चा हुआ है, तो उसने भाई का भी फर्ज निभाया.उसने भांजे के लिए सामाजिक रस्म पूरी की. उसने पछ (बच्चा पैदा होने पर मायके की तरफ से दिया जाने वाला सामान) की रस्म अदायगी भी की. किन्नर ने अपने साथियों के सहयोग से 60-70 हजार के पछ का सामान चरण देवी को दे दिया है, ताकि वह बेटी के ससुराल जाकर यह सामान दे सके. किन्नरों की इस मदद को लोग मानवता की मिसाल बता रहे हैं.