हाई कोर्ट ने अपनी कड़ी टिप्पणी में कहा कि यदि अवैध रेत खनन से नर्मदा की छाती छलनी हुई तो कलेक्टर स्वयं जिम्मेदार होंगे। लिहाजा, कलेक्टर रेत खनन में नियमों का पालन गंभीरता से सुनिश्चित कराएं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि नर्मदा से रेत खनन में मशीनों का उपयोग न हो।
प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व जस्टिस सुनीता यादव की युगलपीठ ने सीहोर से जुड़े मामले की अगली सुनवाई के दौरान कलेक्टर को स्वयं के व्यक्तिगत शपथपत्र पर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।हाई कोर्ट ने इस मामले में माइंस एंड मिनरल रिसोर्सेस विभाग के प्रमुख सचिव, स्टेट माइनिंग कारपोरेशन के कार्यकारी निदेशक, कलेक्टर, एसपी सीहोर, जिला माइनिंग अधिकारी और पावर मेक प्रोजेक्ट्स लिमिटेड कोटा के कृष्ण प्रवीण को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। अगली सुनवाई फरवरी के अंतिम सप्ताह में निर्धारित की गई है।जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर के पंडा की मढिया, गढ़ा क्षेत्र निवासी पर्यावरण संरक्षक अधिवक्ता विजित साहू की ओर से अधिवक्ता ब्रहमेंद्र पाठक ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि ठेकेदारों द्वारा नियमों को ताक पर रखते हुए धड़ल्ले से नर्मदा नदी से बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा रेत उत्खनन किया जा रहा है। मध्य प्रदेश शासन ने रेत खनिज उत्खनन, परिवहन व भंडारण नियम-2019 के नियम-तीन में स्पष्ट प्रविधान है कि नर्मदा नदी में रेत का खनन करने में किसी भी तरह की मशीनरी का उपयोग नहीं किया जा सकता।बहस के दौरान कोर्ट को अवगत कराया गया कि सीहोर के अलावा प्रदेश भर में कई जगह नर्मदा नदी से रेत खनन में मशीनों का मनमाना उपयोग हो रहा है। निर्धारित नियम का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कलेक्टर को आवेदन देकर नर्मदा नदी में मशीनों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की प्रार्थना की थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। मामले पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि निर्धारित नियम का पालन सुनिश्चित कराने कलेक्टर स्वयं पूरे प्रकरण को गंभीरता से लें। हाई कोर्ट ने साफ किया कि यदि विधिक प्रविधान का उल्लंघन होता है तो इसके लिए कलेक्टर स्वयं जिम्मेदार होंगे।