भारत के करोड़ों देशवासी पांच दिन का ज्योति पर्व धूमधाम से मनाने के बाद एक सुर से यह प्रार्थना कर रहे हैं कि सुपर संडे को खेले जाने वाले टी-20 विश्व कप के ग्रुप-दो मैच में अफ़ग़ानिस्तान किसी तरह न्यूज़ीलैंड को हराने में कामयाब हो जाए.
असल में न्यूज़ीलैंड की इस हार पर ही टीम इंडिया की सारी उम्मीदें टिकी हुई हैं.
अगर इस मैच में अफ़ग़ानिस्तान हार जाता है तो भारत के लिए सोमवार यानी आठ नवम्बर को नामीबिया के साथ खेले जाने वाले मैच के कोई मायने नहीं रह जाएंगे.
आईसीसी चैंपियनशिप्स के इतिहास को उठाकर देखें तो इन मुकाबलों में न्यूज़ीलैंड का प्रदर्शन शानदार रहा है.
वह अक्सर इन टूर्नामेंटों के सेमीफाइनल में खेलती नज़र भी आती रही है. वैसे भी एक टीम के रूप में देखें तो न्यूज़ीलैंड की टीम ज़्यादा संतुलित नज़र आती है.
न्यूज़ीलैंड की बल्लेबाज़ी अफ़ग़ानिस्तान के मुकाबले कहीं बेहतर है. साथ ही अनुभवी होने की वजह से वह जानते हैं कि मुश्किल स्थितियों में कैसे खेला जाए.
नामीबिया के ख़िलाफ़ जब बाउंड्री लगाना मुश्किल हो रहा था, तो उन्होंने एक-एक रन दौड़कर विजय प्राप्त की.
स्पिन के सहारे है अफ़ग़ानिस्तान
अफ़ग़ानिस्तान की टीम खेल के किसी क्षेत्र में न्यूज़ीलैंड से थोड़ी बेहतर नज़र आती है तो वह है स्पिन. राशिद ख़ान और मुजीब उर रहमान जैसे गेंदबाज़ों को खेलना किसी भी बल्लेबाज़ के लिए मुश्किल होता है.
न्यूज़ीलैंड की टीम में कप्तान केन विलियम्सन को छोड़ दें तो ज़्यादातर बल्लेबाज़ क्वालिटी स्पिन खेलने में महारत नहीं रखते हैं. इसलिए अफ़ग़ानिस्तान की यह स्पिन जोड़ी ही उलटफेर करने का माद्दा रखती है.
इस मैच में एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यह मैच अबुधाबी में दिन में खेला जाना है तो इसमें टॉस की भूमिका अहम नहीं रहने वाली है.
इसलिए बाद में गेंदबाज़ी करने वाली टीम के लिए भी जीतने के समान अवसर होंगे.
इस स्थिति में राशिद ख़ान और मुजीब पूरी तन्मयता से गेंदबाज़ी करके मैच पर प्रभाव डाल सकते हैं. देखने वाली बात यह होगी कि न्यूज़ीलैंड के कप्तान विलियम्सन यदि टॉस जीतते हैं तो वह क्या फैसला करते हैं.
अफ़ग़ानिस्तान को जीत पाने के लिए न्यूज़ीलैंड के पेस अटैक टिम साउदी और ट्रेंट बोल्ट का बेहतर ढंग से सामना करना होगा. वह इस तरह ही लड़ने लायक स्कोर बना सकता है.
एक बार यदि वह 150 के पार पहुंच जाती है तो जीत के लिए स्पिन जोड़ी की ओर से हाथ-पैर मारने की उम्मीद की जा सकती है.
लेकिन अगर हम न्यूज़ीलैंड के प्रदर्शन को देखें तो उसने सिर्फ पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ही ढीला प्रदर्शन किया है. बाकी मैचों में वह सफल रही है.