April 26, 2024 : 5:23 AM
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प्रेरणा है ये असल कहानियां .

इंदौर: ये उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो घबराकर पीछे हट जाते हैं।

माता-पिता का सपना पूरा
वर्षा सोलंकी के माता-पिता का सपना था कि वे अपनी बेटी को एक दिन पुलिस की वर्दी में देखें। वे चाहते थे कि उनकी बेटी पुलिस अफसर बनकर लड़कियों के साथ होने वाले अपराधों पर लगाम कसे। वर्षा ने इस सपने को पूरा करने के लिए जमकर मेहनत की और सफल भी हुईं। हालांकि इस दौरान पिता का लंबी बीमारी और मां का कैंसर से निधन हो गया। अब वर्षा सब इंस्पेक्टर बन चुकी है। वे फिलहाल सागर में प्रशिक्षण ले रही हैं। उन्होंने ठाना है कि मां और पिता जैसा चाहते थे, वैसा ही पुलिस अफसर की भूमिका में ढलकर बताऊंगी।
सब इंस्पेक्टर बनते ही पिता की मजदूरी छुड़वाई
आर्थिक कमजोरी के चलते बीना कौशल अकसर अपने पिता के साथ मजदूरी करती थी, लेकिन पुलिस अफसर बनने का सपना आंखों में हमेशा से ही कैद करके रखा था। मेहनत कर पैसे हाथ में आए तो परीक्षा दी और प्रशिक्षण लिया। बीना के मित्रों ने भी उसके सपने को पूरा करने में सहयोग किया और उसे सिलेबस दिया। अब बीना जबलपुर में सब इंस्पेक्टर है। बीना बताती हैं, सब इंस्पेक्टर बनते ही सबसे पहले पिता की मजदूरी छुड़वाई। अब उनके सपनों को पूरा करना ही मेरा सपना है।
40 किलो वजन किया कम
नितिन कुमावत का सपना भी पुलिस अफसर बनने का था, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ा रोड़ा उनका वजन था। वे 130 किलो वजन से परेशान थे। इसकी वजह से उन्हें तमाम तरह की दिक्कतें आती थीं, लेकिन लक्ष्य सामने था, तो कुछ कर गुजरना कठिन नहीं लगा। खूब मेहनत की और 34 दिन में 40 किलो वजन आश्चर्यजनक रूप से कम कर लिया। इसके बाद पुलिस भर्ती का इम्तिहान दिया। अब वे पुलिस सब इंस्पेक्टर बन गए हैं। उनके पिता एसजीएसआईटीएस में प्रोफेसर हैं, वे ही उनके मार्गदर्शक और प्रेरणा बने। नितिन फिलहाल मंदसौर में पदस्थ हैं।
 
ट्यूशन के पैसों से की खुद की पढ़ाई
मयूरी जोक ने ट्यूशन पढ़ाकर और नेट से सिलेबस निकालकर पुलिस की परीक्षा दी। सब इंस्पेक्टर बनने में जितने भी रुपए खर्च हुए, मयूरी ने ट्यूशन फीस से ही दिए। वे बताती हैं, हम चार बहनें है। पिता ने जैसे-तैसे हम बहनों को पढ़ाया-लिखाया और काबिल बनाया। लगन थी तो होलकर साइंस कॉलेज से बीएससी किया और फिर पुलिस में भर्ती के लिए अप्लाय किया। इसमें सफल भी हुई। सागर से प्रशिक्षण लेकर लौटी मयूरी की जल्द ही पोस्टिंग होने वाली है।
ऑटो चलाकर भरी फीस
अपनी बेटी के पुलिस अफसर बनने के सपने को पूरा करने के लिए दीपाली सहारिया के पिता ने ऑटो चलाया, जबकि वे नि:शक्त हैं। आर्थिक परेशानी के चलते वे दीपाली की कोचिंग की फीस भी नहीं भर पाते थे। जैसे-तैसे लोगों से मदद लेकर बेटी को सब इंस्पेक्टर बनाने में सफल हुए। दीपाली की पोस्टिंग बुरहानपुर में हुई है।

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